डीएनए हिंदी: अगर आप इन बीमारियों से जूझ रहे तो आपको अपनी डाइट में ऐसी चीजें शामिल करनी चाहिए जो आपके ब्लड में थक्के को बनने से रोके और ब्लड को गाढ़ा न होने दे. स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क के हिस्से में रक्त की आपूर्ति बंद हो जाती और हार्ट अटैक या कार्डिएक अरेस्ट तब होता है जब हार्ट तग आने वाले ब्लड में ब्लाकेज होती है. दोनों ही स्थितियां अचानक ही होती हैं. दोनो ही स्थितियों में मौत की संभावना बनी रहती है.
अगर आप ब्लड में वसा और थक्के बनने से रोकना चाहते हैं तो आपको अपनी डाइट में पोटेशियम की मात्रा बढानी होगी. यहां आपकेा एक ऐसी सब्जी के बारे में बताएंगे जो आपकी रोज की डाइट का अगर हिस्सा बन जाए तो ब्लड रिलेटेड कई दिक्कते आपकी दूर हो जाएंगी.
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अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन पालक को ब्लड में क्लॉटिंग को रोकने में बहुत प्रभावी बताता है. एसोसिएशन के अनुसार पालक में मैग्नीशियम, पोटेशियम, फाइबर, फोलेट, विटामिन के और आयरन सहित कई पोषक तत्व और विटामिन होते हैं. ये पोषक तत्वों का पावरहाउस है और स्ट्रोक और हार्ट अटैक को रोकने का सबसे बड़ी दवा भी है.
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, हरी पत्तियों में पाया जाने वाला विटामिन बी फोलेट उच्च रक्तचाप वाले लोगों में स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकता है. इसमें पालक नंबर वन पर है. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, जिन लोगों ने उच्च मात्रा में पोटेशियम का सेवन करते हैं उनमें इस्केमिक स्ट्रोक और हार्ट अटैक आने की संभावना कम होती है.
शोध में पाया गया था कि स्ट्रोक आने के पीछे पोटेशियम की कमी जिम्मेदार थी. हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की रिपोर्ट के अनुसार भी पोटेशियम रक्त वाहिकाओं को को लचीला बनाने के साथ उन पर पड़ने वाले दबाव को कम करता है. साथ ही ये सोडियम को कम करके बीपी को लो करता है.
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पालक का एक और हिस्सा जो स्ट्रोक होने की संभावना को कम कर सकता है वह है मैग्नीशियम. एक कप उबले हुए पालक में लगभग 157 मिलीग्राम खनिज होता है, जो बैलेंस डाइट का करीब आधा हिस्सा होता है. नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार पालक में फाइबर बहुत होता है इसलिए ये स्ट्रोक, हार्ट अटैक और कोलेस्ट्रॉल के साथ डायबिटीज में भी बहुत कारकर साबित होता है. पालक में प्रति 100 ग्राम सर्विंग में लगभग 2.4 ग्राम फाइबर होता है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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