आजकल याददाश्त, दिमाग का कमजोर होना, चिंता, तनाव, अवसाद, बाइपोलर डिसऑर्डर सहित दिमाग से जुड़ी कई अन्य गंभीर समस्याएं लोगों में तेजी से बढ़ रही हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. लेकिन, आपकी कुछ आदतें भी मेंटल हेल्थ को (Bad Habits For Brain) खराब करती हैं. आज हम यहां ऐसी ही कुछ आदतों के बारे में बात कर रहे हैं, जो दिमाग को अंदर से खोखला और कमजोर बना देती हैं.
इन आदतों को सुधार कर आप अपने मेंटल हेल्थ (Mental Health) का अच्छे से ख्याल रख सकते हैं. तो आइए जानते हैं इन आदतों के बारे में साथ ही बात करेंगे आप इन आदतों में कैसे सुधार कर सकते हैं...
एक्सरसाइज की कमी
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक फिजिकल एक्टिविटी नहीं करने से भी दिमागी क्षमता कमजोर हो सकती है, इतना ही नहीं इसकी वजह से आपकी उम्र ज्यादा दिखाई दे सकती है. बता दें कि एक्सरसाइज और व्यायाम करने से इस गिरावट को कुछ हद तक रोका जा सकता है. इसलिए मेंटल और फिजिकल हेल्थ बनाए रखना चाहते हैं तो एक्सरसाइज और व्यायाम को अपने डेली रूटीन में शामिल करें.
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ज्यादा मीठा और फैट वाली चीजें खाना
एक स्टडी के मुताबिक जो चीजें आपके दिल को नुकसान पहुंचाती हैं, वही चीजें दिमाग को भी नुकसान पहुंचा सकती हैं. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक ज्यादा मीठा और फैट वाला खाना दिमाग और दिन के लिए अच्छा नहीं माना जाता है. इससे दिमाग सिकुड़ने लगता है और याददाश्त कमजोर हो सकती है. ऐसे में मीठे के बजाय खाने में सब्जियां, साबुत अनाज, मछली और जैतून के तेल आदि शामिल करें.
पूरे दिन बैठना
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन के 2019 के एक स्टडी के मुताबिक, ज्यादा देर तक बैठे रहने से भी याददाश्त कमजोर हो सकती है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक हर घंटे में पांच मिनट उठकर थोड़ा टहल लेने से आपको फायदा हो सकता है. इसलिए अगर आप दिनभर बैठे रहते हैं तो बीच-बीच में टहल लिया करें.
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अकेले रहना
अकेलापन सोचने-समझने की क्षमता को कम करता है और इससे दिमाग कमजोर होने लगता है. वहीं दूसरी तरफ व्यस्त रहने से आपको जीवन में उद्देश्य और अर्थ खोजने में भी मदद मिलती है. इसके अलावा दूसरों के साथ बातचीत करने, विचारों का आदान-प्रदान करने से दिमाग भी एक्टिव रहता है.
तनाव और ब्लड प्रेशर
लो और हाई ब्लड प्रेशर भी दिमाग के कामकाज को प्रभावित करता है और इससे रक्त वाहिकाएं सख्त और सिकुड़ने लगती हैं. इतना ही नहीं यह ब्रेन में सेल्स और न्यूरोट्रांसमीटर में भी बदलाव का कारण बनता है. इसलिए अपने बीपी को 120/80 mmHg से कम रखने का प्रयास करें. साथ ही ज्यादा तनाव या चिंता न करें.
(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)
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