डीएनए हिंदीः डायबिटीज रोगी अधिकतर ही ब्लड शुगर का स्तर जानने के लिए दो तरह के टेस्ट कराते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि केवल इन दो टेस्ट से आपके ब्लड शुगर के लेवल की सही जानकारी नहीं मिल सकती है. सही जानकारी के लिए जरूरी है कि आप कुछ और ब्लड टेस्ट भी कराएं.
अमूमन घरों में लोग ब्लड शुगर का टेस्ट करते हुए फास्टिंग और खाने के बाद पीपी यानी पोस्ट प्रांडियल टेस्ट कराते हैं. इन दो रीडिंग के आधार पर ही वह अपने ब्लड में शुगर के स्तर को नार्मल हाई या लो समझते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. शुगर की सटीक जानकारी के लिए कुछ और टेस्ट भी जरूर कराते रहना चाहिए.
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बल्ड में शुगर के बढ़ने के लक्षण
मेडटॉक्स डॉट की रिपोर्ट के मुताबिक बल्ड में शुगर के बढ़ने पर अत्याधिक थकान, बेचैनी, रात में सोते हुए कपकपी, अचानक से ज्यादा भूख, ज्यादा प्यास, ज्यादा पसीना, बार-बार यूरिन पास करना, घाव का जल्दी सही न होना या मसूड़ों से खून आना आदि जैसी समस्या होती है. कई बार जरूरी है की शुगर हाई होने पर डायबिटीज ही हो. डायबिटीज तब होता है जब शुगर का लेवल लगातार बढ़ा रहे. ऐसे में अगर शरीर में उपरोक्त लक्षण नजर आएं तो खानपान और एक्सरसाइज के साथ कुछ जांच से डायबिटीज को टाला जा सकता है.
असल में कई बार ये प्रीडायबिटीज का भी लक्षण होता है. डायबिटीज में शुगर के स्तर की सही जानकारी लैब टेस्ट से ज्यादा सटीक होती है, इसलिए 4 तरह के टेस्ट करा के शुगर की बीमारी के स्टीक जानकारी मिल सकती है. इन टेस्ट के जरिए आप पिछले तीन महीनों के दौरान बढ़ी हुई शुगर का भी पता लगा सकते हैं.
फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट: (Fasting Plasma Glucose Test)
फास्टिंग प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट खाली पेट किया जाता है. इस टेस्ट को अक्सर सुबह खाली पेट ही किया जाता है जिसमें 8 घंटे तक भूखे रहना जरूरी होता है. इस ब्लड टेस्ट को कराने से पहले सिर्फ आप पानी पी सकते हैं.
पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर टेस्ट(Postpartum Blood Sugar Test)
पोस्टप्रांडियल ब्लड शुगर टेस्ट खाने के बाद ब्लड शुगर की मात्रा को मापता है जिसमें कार्बोहाइड्रेट की एक निर्धारित मात्रा होती है. पोस्टप्रांडियल प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट से ये पता लगया जाता है कि ब्लड शुगर बॉडी में किस तरह से प्रतिक्रिया देता है. पोस्टप्रेन्डियल ब्लड ग्लूकोज टेस्ट खाने के दो घंटे बाद किया जाता है.
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इंसुलिन रेजिस्टेंस टेस्ट (insulin resistance test)
इंसुलिन रेजिस्टेंस का पता लगाने के लिए समय-समय पर ब्लड शुगर लेवल का टेस्ट कराना चाहिए. अगर यह नॉर्मल से ज्यादा है तो डॉक्टर से कंसल्ट करना चाहिए. अभी तक इंसुलिन रेजिस्टेंस के सटीक कारणों का पता नहीं चल सका है. वैज्ञानिकों का मानना है कि अलग-अलग जीन की वजह से लोगों में इसका खतरा कम या ज्यादा हो सकता है.
एचबीए1सी (HbA1c) ब्लड टेस्ट
ये टेस्ट सबसे सटीक टेस्ट है जिससे ये पता लगाया जाता है कि पिछले तीन महीनों में आपके ब्लड में शुगर का स्तर कितना रहा है. इस टेस्ट के जरिए आप गुजरे तीन महीनों की शुगर का पता लगा सकते हैं. इस टेस्ट के परिणाम आपकी उम्र और एनीमिया जैसी स्थिति पर निर्भर करते हैं. अगर आप एनीमिक हैं तो आपको 3 महीने के ब्लड शुगर टेस्ट HbA1c की रेंज गलत मिल सकती है. ग्लाइकेटेड हीमोग्लोबिन टेस्ट पैथालॉजिस्ट में आसानी से कर सकते हैं. ये बहुत ही नार्मल टेस्ट है जिसमें भूखा रहने की कोई ज़रूरत नहीं है.
रैंडम प्लाज्मा ग्लूकोज टेस्ट: (Random Plasma Glucose (RPG) Testing)
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक रैंडम ग्लूकोज टेस्टिंग के जरिये ब्लड शुगर के स्तर पर निगरानी रखी रहती है. ये टेस्ट दिन में किसी भी समय किया जा सकता है. ये टेस्ट हाइपरग्लाइसेमिया और लो शुगर के स्तर का पता लगता है. इस टेस्ट के जरिए शुगर के घटने और बढ़ने का आसानी से पता लगाया जा सकता है. आमतौर पर इस टेस्ट को इमर्जेंसी स्थिति के दौरान किया जाता है जिसके लिए 8 घंटे तक खाली पेट रहने का इंतजार नहीं किया जा सकता.
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(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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