डीएनए हिंदी: अगर आप टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज ( diabetes type 1 or type 2) से पीडि़त हैं तो आपके शरीर में तय है कि इंसुलिन का असंतुलन त्(insulin imbalance) बना रहेगा. ऐसे में दवाओं के साथ आपको अपनी डाइट (Diet) पर भी विशेष ध्यान देना होगा. आपको ऐसी चीजें लेनी चाहिए जो आपके इंसुलीन नेचुरली शरीर में बढ़ाएं.
जब पैनक्रियाज इंसुलिन को पर्याप्त मात्रा में नहीं बना पता तब डायबिटीज की समस्या होती है. टाइप 1 डायबिटीज में जन्मजात ये समस्या होती है, लेकिन टाइप 2 में ये खानपान, बिगड़ी लाइफस्टाइल और जेनेटिक कारणों से होता है. तो चलिए जानें कि अगर आप नेचुरली इंसुलिन को बढ़ाना चाहते हैं तो कौन-कौन सी चाय इसमें मददगार होंगी.
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काली चाय- सबसे आसानी से बन सकती है ये चाय. चाय में आप अदरक, काली मिर्च, इलायची और दालचीनी मिलकर बनाएं तो ये इंसुलिन को बढ़ाने का काम करेगी. काली चाय कुछ बेहतरीन पौधों की पत्तियों से बनती है. इसमें थेफ्लेविन्स और थेरुबिगिन्स जैसे एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं जो शुगर को घटाने का काम करते हैं. रोज अगर आप 2 से 3 कप चाय पीने की आदत डाल लें तो आपका शुगर अप एंड डाउन नहीं होगा.
गुड़हल (हिबिस्कुस) चाय- गुड़हल में विटामिन सी, कैल्शियम, फाइबर, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट बहुत होता है. पॉलीफेनोल्स, एंटीऑक्सीडेंट, और एंथोसायनिन जैसे गुण इंसुलिन को बूस्ट करने का काम करते हैं. इसकी चाय आपके शुगर, बीपी और कोलेस्ट्रॉल के साथ वेट लॉस के लिए भी फायदेमंद होगी.
यह न केवल सूजन को कम करते हैं। बल्कि इसके जरिए इंसुलिन के प्रतिरोध में भी सुधार होता है। साथ ही यह रक्तचाप को भी संतुलित करके रखती है।
दालचीनी चाय- दालचीनी में भी कैल्शियम, मैग्नीशियम और अन्य कई पोषक तत्व पाए जाते हैं. साथ ही कई एंटी बैक्टीरियल और एंटी वायरल गुण इम्यूनिटी और इंसुलिन बढ़ाने में भी मददगार होते हैं. ये चाय दिल से लेकर सिरदर्द तक में लाभकारी होती है.
कैमोमाइल चाय- ये चाय इंसुलिन के स्तर को नियंत्रित करती है इसका स्वाद भले थोड़ा कसैला होता है लेकिन इसे पीने की आदत हो जाए तो अच्छी लगने लगेगी. कैमोमाइल चाय के अंदर एंटीऑक्सीडेंट, एंटी इंफ्लेमेटरी, और एस्ट्रिंजेंट गुण होते हैं और यही कारण है कि ये शुगर को कम करने काम करती है. साथ ही ये ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस के कम कर मेटाबॉलिज्म को बढ़ाती है.
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ग्रीन टी- रोजाना ग्रीन टी का सेवन से सूजन और सेल्स को डैमेज होने की समस्या को कम किया जा सकता है. ग्रीन टी के अंदर बायोएक्टिव कंपाउंड होते है, जो इंसुलिन को भी मैनेज करने का काम करते हैं. ग्रीन टी में पाया जाने वाले बायो एक्टिव कंपाउंड को एपिग्लो कैटेचिन गैलेट होता है जो ब्लड में ग्लूकोज को घुलने से रोकता है.