डीएनए हिंदीः पोषक तत्वों की कमी कई बीमारियों का कारण बन जाती है और शायद ही आपको पता होगा कि डायबिटीज में ब्लड शुगर हाई होने के पीछे भी ये बड़ा कारण है.यहां आज आपको उन 5 पोषक तत्वों के बारे में बताएंगे जिसकी कमी अगर शरीर में हो जाए तो शुगर भी हाई रहने लगता है और डायबिटीज की दवा भी काम नहीं करती है.
एनीमिया से लेकर ऑस्टियोपोरोसिस तक में पोषक तत्वों की कमी जिम्मेदार होती है.हाल ही में मैसाचुसेट्स में टफ्ट्स मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं द्वारा एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि विटामिन डी के साथ सप्लीमेंट लेने से प्री-डायबिटीज और टाइप 2 डायबिटीज का खतरा थोड़ा कम हो सकता है. टाइप 2 डायबिटीज तब होता है जब शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है या इंसुलिन का विरोध करता है. इससे शरीर में रक्त शर्करा का असंतुलन हो सकता है और अतिरिक्त चीनी हमारी आंतरिक प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाना शुरू कर सकती है.
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विटामिन डी के अलावा और भी कई पोषक तत्व हैं जो ओमेगा-3 फैटी एसिड, सेलेनियम से लेकर क्रोमियम तक डायबिटीज में शुगर को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होते हैं. तो चलिए जानें कि ये 5 पोषक तत्वों हैं कौन से.
1. विटामिन डी
मधुमेह की रोकथाम में विटामिन डी बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. विटामिन डी की कमी इंसुलिन रिलीज, इंसुलिन प्रतिरोध और टाइप 2 मधुमेह से जुड़ा पाया गया है. वहीं, विटामिन डी का पूरक इंसुलिन स्राव को सुधारता है. इसका कारण यह है कि कैल्शियम के संश्लेषण के लिए विटामिन डी की आवश्यकता होती है और इंसुलिन का स्राव कैल्शियम पर निर्भर होता है. इसलिए विटामिन डी की कमी इसे प्रभावित करती है और इंसुलिन उत्पादन को कम कर देता है.
सीमित विटामिन डी खाद्य स्रोतों में मौजूद है. अंडे की जर्दी, वसायुक्त मछली, ऑर्गन मीट और कुछ प्रकार के मशरूम में विटामिन डी पाया जाता है.
2. फाइबर
फाइबर अगर शरीर में कम हो तो भी शुगर कंट्रोल नहीं हो पाता है. डायबिटीज में फाइबर खाना बहुत जरूरी है, क्योंकि यही खाने को तुरंत टूटकर ग्लूकोज में बदलने से रोकता है. यह न केवल वजन कम करता है, बल्कि बढ़े हुए शुगर को कम भी कर देता है. फाइबर दो प्रकार के होते हैं: अघुलनशील और घुलनशील. चोकर, सब्जियों और साबुत अनाज में पाया जाने वाला अघुलनशील फाइबर पाचन क्रिया को सुचारू रखता है. दलिया, मेवे, बीज, सेम, दाल और मटर में पाए जाने वाले घुलनशील फाइबर आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और रक्त शर्करा नियंत्रण में सुधार करने में मदद करते हैं.
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3. ओमेगा 3 फैटी एसिड
सामान्य वृद्धि और विकास के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड आवश्यक हैं और कई अध्ययनों ने बताया है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड प्लाज्मा ट्राइग्लिसराइड्स को कम करते हैं और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं. इतना ही नहीं, शुगर को कम करने में भी ओमेगा-3 फैटी एसिड कारगर है और ये सूजन कम करने के साथ ही ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को भी कम करता है. मांसाहारी स्रोतों में वे सार्डिन, मैकेरल, सामन, टूना, हेरिंग आदि समुद्री मछलियों में मौजूद होते हैं और शाकाहारी खाद्य पदार्थों में, वे अलसी, कद्दू, खरबूजे के बीज और बादाम और अखरोट जैसे मेवों में भी पाए जाते हैं. इसकी कमी को दूर करने के लिए सप्ताह में कम से कम 2 बार मछली या हर दिन आहार में 1-2 बड़े चम्मच सूरजमूखी- कद्दू के बीज और 30 ग्राम नट्स शामिल करना चाहिए.
4. सेलेनियम
सेलेनियम एक एंटीऑक्सीडेंट पोषक तत्व है और अग्न्याशय के आइलेट्स को ऑक्सीकरण से बचाता है और इसके कार्य में सुधार करता है. एक अध्ययन जिसमें स्वस्थ आहार के साथ 75 डायबिटीज रोगियों द्वारा 6 महीने तक खाली पेट 200 माइक्रोग्राम सेलेनियम लिया गया, रक्त शर्करा, एचबीए1सी, कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल में कमी और अच्छे एचडीएल कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि देखी गई. सेलेनियम के बीन्स, दाल, मछली, ब्राजील नट्स, फोर्टिफाइड अनाज और साबुत गेहूं भोजन में सेलेनियम के कुछ स्रोत हैं.
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5. क्रोमियम
क्रोमियम एक आवश्यक खनिज है जो इंसुलिन गतिविधि को बढ़ाता है, अध्ययनों से पता चला है कि टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों में क्रोमियम की कमी होती है. क्रोमियम की खुराक इंसुलिन की क्रिया को बढ़ाती है और विशेष रूप से अधिक वजन वाले व्यक्तियों में हृदय रोग के कुछ जोखिम कारकों को कम करती है. क्रोमियम मीट, अनाज उत्पादों, फलों, सब्जियों, नट्स, मसालों, खमीर जैसे कई खाद्य पदार्थों में मौजूद होता है. डायबिटीज की रोकथाम के लिए इन खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करना सुनिश्चित करें.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।)
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