10 में से 7 भारतीय चाहते हैं Packed Food पर वॉर्निंग लेबल, आप भी रखें इन बातों का ध्यान

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 21, 2022, 09:18 PM IST

11 हजार 439 लोगों पर किए गए सर्वे में 31 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें खाने के पैकेट पर वॉर्निंग साइन चाहिए.  

डीएनए हिंदीः अगर चिप्स, बिस्किट या केक के पैकेट में फैट की मात्रा ज्यादा है यानी चीनी (Sugar) या नमक (Salt) तय मानकों से ज्यादा डाला गया है तो उस पैकेट पर लाल रंग (Red Colour) का वॉर्निंग साइन बना होना चाहिए. इसी तरह अगर कोई पैकेज्ड फूड सेहतमंद है तो उसपर हरे रंग (Green Colour) या नारंगी रंग का साइन होना चाहिए. सोशल मीडिया रिसर्च प्लैटफॉर्म लोकल सर्किल्स के एक सर्वे में ये बात सामने आई है कि भारतीय पैकेज्ड फूड या खाने पर वॉर्निंग लेबल (Warning Lable) चाहते हैं.   

11 हजार 439 लोगों पर किए गए सर्वे में से 31 प्रतिशत ने कहा कि उन्हें खाने के पैकेट पर वॉर्निंग साइन चाहिए.  39 प्रतिशत के मुताबिक अगर खाना स्वास्थ्य की दृष्टि से सही हो तो उस पर ग्रीन या ऑरेंज साइन बना होना चाहिए.  वहीं केवल 8 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिन्होंने किसी तरह के निशान में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई. भारत में मोटापा और दिल की बीमारियां बढ़ने के लिए पैकेज्ड फूड या प्रोसेस्ड फूड भी बहुत हद तक जिम्मेदार है.   

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सर्वे के मुताबिक लोगों को ये Choice मिलनी चाहिए कि वे जानकारी के आधार पर ये तय करें कि उन्हें सेहत से समझौता करके अपना फेवरेट चिप्स या केक खाना है या नहीं.  फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी आफ इंडिया यानी FSSAI पैकेज्ड फूड के लिए हेल्थ स्टार रेटिंग का सिस्टम लाने का प्रस्ताव रख चुका है. ये रेटिंग एनर्जी, सैचुरेटिड फैट और सोडियम जैसी चीजों की मात्रा के आधार पर दी जा सकती है.

आसान भाषा में इसका मतलब ये है कि तेज नमक, ज्यादा चीनी या वनस्पति घी या तेल की मात्रा ज्यादा होने पर उस पैकेट की रेटिंग कम हो जाएगी.  हालांकि इस सिस्टम का काफी विरोध हुआ है. जाहिर है खराब रेटिंग होने पर किसी प्रोडक्ट की सेल घट जाएगी. इसके अलावा कंपनियों को ये आशंका भी है कि ऐसे सिस्टम को इंडस्ट्री अपने प्रभाव के हिसाब से तोड़ मरोड़ सकती है.   

अच्छे खाने पर पांच सितारा रेटिंग और सेहत के हिसाब से खराब खाने को एक स्टार देने वाले सिस्टम का विरोध होने के बाद FSSAI ने पैकेट के फ्रंट पर वॉर्निंग साइन वाला सिस्टम लाने की बात की.  हालांकि 2013 से लेकर 2021 तक कई ड्राफ्ट बन और रद्द हो चुके हैं. पैकेट पर ना तो ज्यादा  तेल, नमक या चीनी की वार्निंग होती है और ना ही सितारों के हिसाब से रेटिंग. 

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हालांकि अभी तक किसी भी सिस्टम पर सहमति नहीं बन सकी है और भारत में बिक रहे फूड प्रोडक्टस् पर पीछे की तरफ ऐसी न्यूट्रीशन इंफॉरमेशन दी जाती है जो अक्सर आम आदमी की समझ से परे होती है. सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट एनजीओ के मुताबिक स्टार रेटिंग सिस्टम को आम तौर पर इंडस्ट्री के हिसाब से तोड़ा मरोड़ा जाता है. ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे कुछ एक देशों को छोड़कर इसे ज्यादातर देश नकार चुके हैं.   

कुछ लैटिन अमेरिकी देश, कनाडा और इजरायल में पैकेज्ड फूड पर ऐसे वॉनिंग लेबल का इस्तेमाल किया जाता है जो ज्यादा असरदार पाया गया है. आमतौर पर आपको किसी खाने की आदत लगवाने के लिए कंपनियां उसमें नमक की मात्रा ज्यादा कर देती हैं या चीनी की मात्रा जरूरत से ज्यादा कर देती है.

एक पैकेट चिप्स में इतना नमक हो सकता है कि आपकी दिन भर की जरुरत केवल एक पैकेट से पूरी हो जाए लेकिन आप स्वाद के चक्कर में पूरा पैकेट खा जाते हैं और आपको अहसास भी नहीं होता कि आप कितना नमक खा गए. अब भारत में नमक स्वादानुसार नहीं स्वास्थ्य अनुसार होने की मांग जोर पकड़ रही है. 

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