डीएनए हिंदी: नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सीलेंस (National Institute for Health and Care Excellence) के अनुसार कम उम्र में भी अब लोग रुमेटाइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) के शिकार हो रहे हैं. खानपान और बिगड़ी हुई जीवनशैली इसके लिए जिम्मेदार बन रही है. रुमेटीइड आर्थराइटिस से पहले जब शरीर में यूरिक एसिड का लेवल बढ़ता है तो शरीर में 9 तरह की समस्याएं शुरू होती है. अगर समय रहते इन लक्षणों को पहचान लिया जाए और यूरिक एसिड पर कंट्रोल कर लिया जाए तो आर्थराइटिस को टाला जा सकता है.
आर्थराइटिस यानी गठिया वो स्थिति है जिसमें शरीर के हर जोड़ में असहनीय दर्द, सूजन और कठोरता आ जाती है. कई बार बोन्स मुड़ने तक लगती हैं और मरीज का चलना-फिरना ही नहीं, उठना-बैठना तक मुश्किल हो जाता है. तो चलिए जानें कि शरीर में जब यूरिक एसिड बढ़ने लगता है तो आंख से लेकर पेट और दिल से लेकर कान तक में क्या दिक्कते आती हैं.
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सीने में दर्द
रुमेटीइड आर्थराइटिस के कारण भी सीने में दर्द होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि यूरिक एसिड के कारण धमनियों में प्लाक जमने लगता है और ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होने लगता है. इससे दिल के दौरे की संभावना बढ़ जाती है. रुमेटीयड एक दर्दनाक हृदय समस्या को पैदा करता है जिसे पेरीकार्डिटिस कहा जाता है. इसमें दिल के चारों ओर ऊतकों की पतली परतों में सूजन आ जाती है. इससे सीने में दर्द होता है.
ड्राई आई सिंड्रोम
आंखों की ये बेहद कॉमन समस्या भी यूरिक एसिड बढ़ने का ही संकेत है. आंखों में सूखापन आने से आंखों से लगातार आंसू गिरता है और वह गड़ने लगती हैं. इससे आपको आंखों में संक्रमण की अधिक संभावना होती है. इसे Sjogren's सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है. ये ऑटोइम्यून स्थिति होती है जिसमें मुंह, नाक, होंठ, जीभ, आंखें, योनि या स्किन सब में सूखापन आने लगता है. रुमेटीइड आर्थराइटिस आंख के सफेद हिस्से में सूजन पैदा कर सकता है, जिसे स्क्लेरा कहा जाता है. इस बीमारी में आंखें लाल होती हैं और उनमें बेहद दर्द होता है.
बुखार
यदि आपको बार-बार बेवजह ही बुखार हो रहा तो ये भी आर्थराइटिस का संकेत है. बता दें कि जोड़ों में दर्द के लिए ली जाने वाली बायोलॉजिक्स और स्टेरॉयड जैसी दवाएं जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करती हैं लेकिन धीरे-धीरे ये प्रतिरक्षा प्रणाली को भी कमजोर कर देती हैं. इससे बार-बार संक्रमण या बुखार होता है.
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बहरापन
रूमेटोइड आर्थराइटिस के मरीजों में कान की कमजोरी भी नजर आती है. मरीजों को कम सुनाई देने लगता है. टिनिटस, यानी कानों में बजना जैसी समस्याएं होने लगती हैं.
मूड का बदलना
अवसाद, चिंता, मूड स्विंग होना भी यूरिक एसिड के शरीर में बहुत ज्यादा बढ़ने का होता है. जब रुमेटाइड आर्थराइटिस होती है तो साथ में ये समस्याएं भी नजर आने लगती हैं. लगातार शरीर में दर्द बने रहने के कारण अवसाद की स्थिति आती हैं.
शरीर में सुन्नाहट या झुनझुनी
हाथों या पैरों का बार-बार सुन्न होना या उसमें झुनझुनी का होना भी यूरिक एसिड की अधिकता का कारण हेाता है. कई बार ऐसा लगता है जैसे हाथ या पैर में पिन और सुइयों से चुभोया जा रहा है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हाथों या पैरों में ये छोटी रक्त वाहिकाएं बंद हो जाती हैं, तो आपकी उंगलियां या पैर की उंगलियां ठंड या सुन्न महसूस करने लगती हैं. कई बार स्किन का रंग भी बदलने लगता है. जैसे सफेद, लाल या नीले आदि.
पेट दर्द या अपच
रूमेटाइड आर्थराइटिस जब होता है तो लोगों को शुरुआती दौर में ये पता नहीं चलता और जोड़ों में दर्द के लिए वे दर्दनिवारक दवाएं लेते रहते हैं. ये दवाएं मुंह और पेट के अल्सर, पेट से खून बहना, एसिड रिफ्लक्स, दस्त और कब्ज का कारण बनती हैं. वहीं आर्थराइटिस की दवाओं से दर्दनाक डायवर्टीकुलिटिस और कोलाइटिस का खतरा भी बढ़ता है.
वजन कम होना और भूख न लगना
यूरिक एसिड के बढ़ते हुए जब रुमेटाइडट आर्थराइटिस में बदलता है तो वजन भी कम होता है और भूख भी मरने लगती है. ये अवस्था
वास्कुलाइटिस कहलाती है और बेहद गंभीर होती है.
सांस लेने में दिक्क्त
यदि आपको अपनी सांस लेने में दिक्कत हो रही तो ये भी शरीर में हद से ज्यादा बढ़ चुके यूरिक एसिड का होता है. ऐसा फेफड़ों के उत्तकों में आई सूजन के कारण होता है. इससे खांसी, सांस की तकलीफ, थकान और कमजोरी नजर आती है.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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