Irrfan Khan Birthday 2023: इस बीमारी ने ली थी इरफान की जान, जानिए क्या होते हैं इसके लक्षण?

मनीष कुमार | Updated:Jan 07, 2023, 01:20 PM IST

कोलन इंफेक्शन के कारण इरफान खान का निधन हुआ था. ये बीमारी सही ढंग से खाना नहीं खाने और आपके पाचनतंत्र से जुड़ी हुई है.

डीएनए हिंदी: आज बॉलीवुड के मशहूर दिवंगत अभिनेता इरफान खान का जन्मदिन (Irrfan Khan Birthday) है. बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड में अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाले दिग्गज अभिनेता ने 53 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया था. आज इरफान खान अगर जिंदा होते तो फैंस के बीच वे अपना 55वां जन्मदिन (Irrfan Khan Birthday) मना रहे होते. इरफान खान ने कमर्शियल सिनेमा में तो खूब नाम कमाया ही लेकिन उनके दिल की पहली पसंद हमेशा आर्ट सिनेमा ही रही. वे आर्ट सिनेमा (Irrfan Khan Birth Anniversary) के माध्यम से लोगों के बीच उन विषयों पर फिल्म लेकर आते थे जिन पर शायद ही आज कोई एक्टर पूरे मन से बात करना चाहेगा. 53 साल की उम्र में इरफान खान का दुनिया से यूं चले जाना कोई इत्तेफाक नहीं था बल्कि वे कोलन इंफेक्शन (colorectal infection) से पीड़ित थे. जिसकी वजह से  29 अप्रैल 2020 को मुंबई में उनका निधन हो था. ये कोलन इंफेक्शन क्या है?, इसके क्या लक्षण होते हैं?, इस बीमारी के क्या कारण होते हैं? और इसके लिए क्या इलाज मौजूद हैं?  आज हम इन्हीं सबके बारें में आपको बताएंगे.

कोलन क्या होता है?

कोलन इंफेक्शन (colorectal infection) को समझने से पहले आइए ये समझते हैं कि 'कोलन' क्या होता है? दरअसल कोलन बड़ी आंत का सबसे बड़ा भाग होता है. इसलिए इसे कई बार बड़ी आंत भी कहा जाता है. कोलन पाचन तंत्र का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है जोकि साइकिल के पहिए की ट्यूब की तरह दिखता है. इसका एक भाग छोटी आंत और दूसरा मलाशय से जुड़ा होता है. इस कोलन का कार्य आंशिक रूप से पचे हुए भोजन, पोषक तत्वों और इलेक्ट्रोलाइट्स को हटाना होता है.


कोलन इंफेक्शन क्या है?
कोलन इंफेक्शन (colon infection) मलाशय में संक्रमण की समस्या होती है. आसान भाषा में समझे तो कोलन में इंफेक्शन ऐसा भोजन खाने की वजह से होता है जिसे डाइजेस्ट करने में में डाइजेशन सिस्टम को काफी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. ऐसी स्थिति में जो फूड हमारे शरीर में अच्छी तरह से पच नहीं पाता वो वेस्ट फूड कोलन में जमा होने लग जाता है. कोलन में काफी लंबे समय तक वेस्ट फूड जमा होने से वो सड़ने भी लगता है और कोलन की अंदरूनी परत में सूजन आने लगती है. 

कोलन इंफेक्शन के लक्षण:

कोलन में इंफेक्शन के लक्षण पेट में होने वाली सूजन (गेस्ट्राइटिस) और फ्लू से मिलते जुलते हो सकते हैं. कुछ केस में ये लक्षण (Symptoms of colon infection) और भी ज्यादा गंभीर हो सकते हैं जैसे: 
-बुखार
- मतली
- डिप्रेशन
- जोड़ो में सूजन
- भूख कम लगना
- अचानक वजन घटना
- कोलन टिश्यू में सूजन
- जोड़ों में ऐंठन और दर्द
- पेशाब या लैटरिंग में खून 
- डिहाइड्रेशन की शिकायत
- पेट में दर्द और ऐंठन होना
- दस्त (खून के साथ या बिना) 
-आंखों और त्वचा में जलन होना
- अत्याधिक थकान महसूस होना
- बार-बार टट्टी (stool)आना

अगर आपका पेट भी खराब रहता है बार-बार पेट में गैस, कब्ज, दर्द की समस्या हो या फिर पेट ठीक से साफ ना होता हो तो आपको एक बार डॉक्टर के पास चेकअप के लिए जरूर जाना चाहिए.


कोलन इंफेक्शन के कारण:

कोलन इंफेक्शन को कोलाइटिस इंफेक्शन भी कहा जाता है. ये इंफेक्शन वायरस, बैक्टीरिया और परजीवी के कारण हो सकता है. ये बैक्टीरिया गंदे पानी, भोजन या खराब हाइजीन के जरिए आपके शरीर में प्रवेश कर सकते हैं. लैब में टेस्ट किए गए कई सैंपल्स में साल्मोनेला, कैंपिलोबैक्टर, शिगेला, एस्चेरिचिया कोलाई जैसे सूक्ष्मजीव और साथ ही अमीबियासिस, जिआर्डियासिस परजीवी संक्रमण  पाए गए हैं. इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा कि इनमें से कोई एक या ये सब कोलन सूजन का कारण- (Causes of colon infection) बन सकती हैं.


A. बैक्टीरिया:
कोलन इंफेक्शन में बैक्टीरिया की अहम भूमिका होती है. इनकी वजह से ही स्थिति और अधिक खराब हो जाती है. ये बैक्टीरिया इस प्रकार है:

1. साल्मोनेला (Salmonella)- साल्मोनेला एक ऐसा बैक्टीरिया है जो आंत में मौजूद होता है. ये बैक्टीरिया बिना अच्छे से पके मांस या अच्छे से साफ ना किए गए दूध का सेवन करने से शरीर में प्रवेश करता है और बैक्टीरियल इन्फेक्शन का कारण बनता है. 

2. ई. कोलाई(E. coli)- गंदा खाना खाने या खाने से पहले अच्छे से हाथ ना धोने पर ई. कोलाई इंफेक्शन हो सकता है. कुछ सीरियस केसों में इससे किडनी की बीमारी, डिहाइड्रेशन और यूरिनेशन प्रोसेस में दिक्कतें जैसी समस्या हो सकती है. सामान्य स्थिति में ये वायरस आमतौर पर 5 से 10 दिनों तक रहता है जिसे घरेलू उपचार के जरिए ठीक किया जा सकता है.

3. क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल (C. Diff. Colitis)- ये बैक्टीरिया बड़ी आंत में मौजूद होता है. ये बैक्टीरिया भी इंफेक्शन की वजह बन सकती है. अगर क्लोस्ट्रीडियम डिफिसाइल से इन्फेक्टेड इंसान अपने हाथ अच्छे से नहीं धोता है तो यह बैक्टीरिया हर उस स्थान और वस्तु पर अपनी जगह बना लेता है जिसे भी संक्रमित व्यक्ति छूता है. इतना ही नहीं अधिक उम्र के लोग और एंटीबायोटिक दवाएं लेने वालों को भी कई बार क्लॉस्ट्रिडियम डिफिसाइल कोलाइटिस हो जाता है. पेट में ऐंठन होना इसका एक सामान्य लक्षण है और कुछ मामलों में मल से खून भी आ सकता है. आमतौर पर यह बीमारी 10 दिनों के भीतर ही ठीक हो जाती है लेकिन कुछ सीरियस केसों में किडनी इंफेक्शन, छोटी आंत या कोलन की दीवार में एक छेद होना भी हो जाते हैं. 

4. शिगेला (Shigella)- भारत में बच्चों में सिगिल्लोसिस एक आम इंफेक्शन है. शिगेला बैक्टीरिया के लक्षणों में बुखार, दस्त, सुस्ती, भूख न लगना, उल्टी और लगातार लेटरिंग करने की इच्छा महसूस होना आदि शामिल है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है इसके लक्षण हल्के होने लगते हैं.
 
B. कोलन इंफेक्शन  के लिए ये वायरस भी हो सकते हैं जिम्मेदार:

1. रोटावायरस
2. नोरोवायरस 
3. एडिनोवायरस 
4. साइटोमेगालो वायरस
 
कोलन इंफेक्शन ये एंटअमीबा हिस्टोलिटिका परजीवी भी जिम्मेदार हो सकता है. यह प्रोटोजोआ एकल कोशिका वाले जीव होते हैं, जो कोलन के म्यूकोसल परत में घुस सकता है और सूजन का कारण बनता है. 

C. यौन संचारित संक्रमण (STD):
 

कुछ एसटीडी बीमारियां भी कोलन इंफेक्शन का कारण मानी जाती हैं:

1. ट्रैपोनेमा पैलिडम (Treponema pallidum)
2. क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस (Chlamydia trachomatis) 
3. एचआईवी नेइसेरिया गोनोरिया (Neisseria gonorrhoeae) 
4. हर्पीस सिंपलेक्स वायरस (Herpes simplex virus)  


D. इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (आईबीडी):

इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज (Inflammatory Bowel Disease) कोलन इंफेक्शन का काफी सामान्य रूप है. जब पाचन तंत्र में सूजन होती है, तो आईबीडी की समस्या उत्पन्न होती है. इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज मूल रूप से कई पुरानी बीमारियों का एक समूह है. IBD के अंतर्गत कई रोग शामिल हैं जो इस प्रकार हैं:

1. क्रोहन रोग- पाचन तंत्र की अंदरुनी परत में होने वाले इंफेक्शन को क्रोहन रोग (Crohn's disease) के रूप में जाना जाता है. इस  इंफेक्शन में पाचन तंत्र का कोई भी भाग इंफेक्ट हो सकता है लेकिन आमतौर पर या सबसे अधिक बार यह छोटी आंत के अंतिम भाग, इलियम में विकसित होता है.

2. अल्सरेटिव कोलाइटिस-  अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis in hindi) एक ऐसी स्थिति है जिसमें बड़ी आंत में लंबे समय के लिए सूजन और जलन हो जाती है  इस जलन और सूजन की वजह से बड़ी आंत के मलाशय (colon) और मलनाली (rectum) में छाले हो जाते है. इससे कोलन कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है.

3. इस्केमिक कोलाइटिस- इस्केमिक कोलाइटिस (Ischemic colitis) एक प्रकार का कोलाइटिस है.  यह कोलन में कम रक्त प्रवाह के कारण होता है.
इसके परिणामस्वरूप आवश्यक ऑक्सीजन पाचन तंत्र में कोशिकाओं के माध्यम से नहीं पहुंच पाती और यह मुख्य रूप से संकुचित या अवरुद्ध धमनियों के कारण होता है. इस्केमिक कोलाइटिस कोलन के किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकता है लेकिन आमतौर पर एक इसमें व्यक्ति को पेट के बाईं ओर दर्द महसूस होता है. यह दर्द धीरे-धीरे या अचानक भी हो सकता है.

4. माइक्रोफोबिक कोलाइटिस- माइक्रोस्कोपिक कोलाइटिस (Microscopic colitis) कोलन में सूजन के कारण होती है. यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें पानी की तरह दस्त होते हैं. कुछ मामलों में ये सूजन डाइजेशन सिस्टम में इंफेक्शन के कारण होती है तो वहीं कुछ केस में ये कुछ दवाओं के कारण होता है. उदाहरण के लिए नोन-स्टेरोईडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (nonsteroidal anti-inflammatory drugs) कभी-कभी माइक्रोस्कोपिक कोलाइट का कारण बनते हैं. इस स्थिति को ड्रग-प्रेरित कोलाइटिस(Drug-induced colitis) भी कहा जाता है.  सामान्यता माइक्रोस्कोपिक कोलाइटिस 45 और उससे ज्यादा उम्र के लोगों में सबसे अधिक होता है.

माइक्रोफोबिक कोलाइटिस कोलाइटिस के 2 प्रकार होते हैं 

1. लिम्फोसाइटिक कोलाइटिस (lymphocytic colitis)- इसमें लिम्फोसाइटों, ऊतकों की संख्या अधिक होती है और इसके कारण कोलन की परत मोटी हो जाती है.

2. कोलेजनस कोलाइटिस (collagenous colitis)- इस स्थिति में कोलन की परत के नीचे कोलेजन की परत सामान्य रूप से अधिक मोटी हो जाती है.
दोनों प्रकार समान लक्षण पैदा करते हैं, और एक ही तरह से इनके इलाज किए जाते हैं
  
कोलन इन्फेक्शन से बचाव (Prevention from colon infection): 

1. साफ पानी पानी ही पीएं.
2. दूध उबाल कर पीएं पीना. 
3. अधपके मांस का सेवन ना करें. 
4. व्यायाम और संतुलित भोजन करें.
5. खाना खाने से पहले अच्छी तरह से हाथ धोएं.
6. खाना बनाने से पहले भी अच्छी तरह से हाथ धोएं.
7. जिन्हें कोलन इंफेक्शन है वो कच्चे फल या सब्जियों का सेवन ना करें आदि.

अधिकतर मामलों में 10-15 दिनों के अंदर साफ-साफ पता चल जाता है कि कोलन इंफेक्शन है या नहीं. अगर आप कोलन इंफेक्शन  से जुड़े किसी भी तरह के लक्षणों को महसूस कर पा रहें हैं तो ऐसे में ट्रीटमेंट में देरी नहीं करनी चाहिए. 
 

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(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.) 

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