डीएनए हिंदीः अगर आपको लगता है कि मिर्गी के दौरे पड़ते ही जूता सूंघाने वाली बातें सहीं हैं तो आपको मिर्गी से जुड़ी बहुत सी जानकारी है ही नहीं. डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक विश्व मे करीब 5 करोड़ लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं, जबकि देश में में भी लगभग एक करोड़ लोग मिर्गी के शिकार हैं.
इस बीमारी का कोई इलाज तो नहीं है लेकिन इसे दवाइयों के जरिए आसानी से कंट्रोल में रखा जा सकता है. दवा के साथ इस बीमारी में स्ट्रेस फ्री रहना जरूरी है. इस बीमारी के बारे में जानकारी का अभाव बहुत होता है और यही कारण है कि लोगों के बीच कई भ्रांतियां इस बीमारी को लेकर रही है. इसमें सबसे बड़ी भ्रांति है जूता सूंघाने वाली, तो चलिए आज आपको बताएं कि मिर्गी को लेकर क्या बातें सच या झूठ हैं.
मिथक- जादू-टोने या भूत-प्रेत का असर है मिर्गी
फैक्ट- बिलकुल गलत. मिर्गी एक बीमारी है और इसका भूत-प्रेत और जादू-टोने से कोई संबंध नहीं है. यह एक नर्वस सिस्टम को प्रभावित करने वाली समस्या है, जिससे मरीज के दिमाग में शॉर्ट सर्किट होता है और उसे दौरे पड़ते हैं.
मिथक- मिर्गी अटैक आते ही मरीज के मुंह में चम्मच या उंगली डालें, जूता सुंघाना चाहिए
फैक्ट- मिर्गी से जुड़ी यह बात पूरी तरह गलत है. दौरा पड़ने के दौरान मरीज के मुंह में कुछ भी ज़बरदस्ती डालने से दांतों और मसूड़ों को नुकसान हो सकता है. इसके अलावा मरीज को जूता या मोजा सुंघाने वाली बात भी पूरी तरह से निराधार है.
मिथक- संक्रामक बीमारी होती है मिर्गी?
फैक्ट- वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक, मिर्गी एक नॉन- कम्युनिकेबल डिसऑर्डर यानी असंक्रामक बीमारी है. यह रोग किसी पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता नहीं है.
मिथक- मिर्गी से पीड़ित व्यक्ति की दिमाग कम होता है
फैक्ट- मिर्गी किसी भी तरह से व्यक्ति की दिमाग को प्रभावित नहीं करती है. इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति की दिमाग भी उतना ही तेज होता है जितना सामान्य लोगों की होता है.
मिथक- मिर्गी के मरीज का जीवन सामान्य नहीं होता है
फैक्ट- यह धारणा बिल्कुल गलत है. मिर्गी से ग्रसित व्यक्ति भी दूसरों की ही तरह आम और सामान्य जीवन व्यतीत कर सकता है. ऐसे व्यक्ति न सिर्फ पढ़ाई और कार्यस्थल पर अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं, बल्कि शादी के बाद भी एक सामान्य जीवन जी सकते हैं. हालांकि, ऐसे लोगों को ड्राइविंग और स्विमिंग से बचना चाहिए.