Air Pollution Bad Effects: मां के पेट में ही जहरीली हवा में सांस ले रहा बच्चा, हो सकती हैं ये बीमारियां

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 04, 2022, 06:56 PM IST

बच्चे पैदा होने से पहले ही सांस की बीमारी का शिकार हो सकते हैं, वंदना भारद्वाज की स्पेशल रिपोर्ट में पढ़ें डॉक्टर्स क्या कहते हैं

डीएनए हिंदी: Pollution Bad Effects on Pregnant Women and New Born Babies- चारों तरफ धुंध की सफेद चादर, हर तरफ सिर्फ धुंधली सी तस्वीर, कम विजिबिलिटी, दिल्ली-एनसीआर में आजकल ये हालात आम है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि प्रदूषण की वजह से 10 में से 8 बच्चों को सांस लेने संबंधी बीमारियां हो रही हैं. सिर्फ इतना ही नहीं कुछ एक्सपर्ट्स के मुताबिक जो बच्चे जन्म लेने वाले हैं वे दुनिया में पैर रखने से ही पहले ही प्रदूषण का शिकार हो रहे हैं.

क्या कहते हैं डॉक्टर्स, कैसे जन्म से पहले ही बच्चों को होती है समस्या

मेदांता अस्पताल में इंस्टीट्यूट ऑफ चेस्ट सर्जरी के अध्यक्ष डॉ अरविंद कुमार से जी मीडिया ने खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि प्रदूषण का असर तब से शुरू हो जाता है जब बच्चा इस दुनिया में आया भी नहीं होता है. एक महिला की गर्भ में पल रहे बच्चे तक को प्रदूषण से खतरा होता है. जैसे ही एक गर्भवती महिला सांस लेती है और हवा में मौजूद जहरीले कण महिला के अंदर जाते हैं तो बच्चे की सांस लेने की नली में सूजन पैदा हो सकती है और जन्म ले पहले ही बच्चे को नुकसान पहुंच सकता है. जन्म लेते ही बच्चा किसी ना किसी बीमारी के साथ पैदा होता है और ऐसा भी हो सकता है कि बच्चा सारी जिंदगी उसी बीमारी को झेलता रहे. ऐसे बच्चों को सांस लेने में तकलीफ, फेफड़ों की समस्या हो सकती है. मां का गर्भ जहां बच्चे के लिए सबसे सुरक्षित माना जाता है वहीं वायु प्रदूषण से बच्चा महफूज नहीं रह पा रहा है.

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दिल्ली मेडिकल काउंसिल के अध्यक्ष डॉ अरुण गुप्ता ने जी मीडिया से बातचीत में कहा कि एक गर्भवती महिला के लिए प्रदूषण बहुत खतरनाक है. जैसे ही एक महिला सांस लेती है हवा में प्रदूषण के कारण ऑक्सीजन लेवल कम होता,लिहाजा बच्चे को भी कम ऑक्सीजन मिलता है, जिससे बच्चे की ग्रोथ पर असर पड़ता है. प्री मैच्योर स्टेज पर अगर ये होता है तो बच्चे की हड्डियों पर इसका असर हो सकता है, बच्चा अंडर वेट हो सकता है, कई बार गर्भपात तक की स्थिति पैदा हो सकती है.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक दिल्ली एनसीआर की जहरीली हवा बच्चों की सेहत पर बहुत बुरा असर डाल रही है. रेनबो  चिल्ड्रन हॉस्पिटल की डॉ अनामिका ने कहा कि अस्पताल में 10 में से 8 बच्चे सांस की समस्या से जूझ रहे हैं. प्रदूषण से जहरीली गैसों की संख्या बढ़ जाती है और हवा में मौजूद कण बच्चों के नाजुक फेफड़ों को प्रभावित करते हैं

डॉ संजीव बगाई बताते हैं कि बच्चे सबसे ज्यादा रिस्क पर हैं. बच्चों के नाज़ुक फेफड़ों पर इसका असर पड़ सकता है और इसलिए बच्चों को इस प्रदूषण से बचाना बहुत जरूरी है. बहुत जरूरी है कि स्कूल तब तक बंद रखे जाएं जब तक प्रदूषण पर काबू नहीं पाया जाता

 
बढ़ते प्रदूषण के कारण बच्चों को क्या हो रही है परेशानियां?

1. डॉ अरविंद कुमार के मुताबिक प्रदूषण के कारण बच्चों के फेफड़ों में सूजन हो सकती है, जिसे हम ब्रोंकाइटिस भी कहते हैं, ये बीमारी बच्चों के बड़े होने तक उनके साथ रह सकती है और जीवन घातक हो सकती हैं

2. वायु प्रदूषण के कारण बच्चों को निमोनिया हो सकता है, जो पांच साल से कम उम्र के बच्चों की जान के लिए भी खतरा हो सकता है।

3. आज कल बच्चों में अस्थमा अटैक ज्यादा देखा जा रहा है जिसका कारण वायु प्रदूषण है. इसके अलावा खांसी, सांस फूलना आदि समस्याएं बच्चों को हो सकती है।

4. दिमाग पर असर - डॉ अरविंद बताते हैं कि प्रदूषण सिर्फ सांस लेने की तकलीफ नहीं बल्कि बच्चों के दिमाग पर भी असर डाल रहा है. हवा में मौजूद कण जब बच्चों के दिमाग तक पहुंचते है,तो उनके दिमाग में सूजन पैदा हो रही है, जिससे बच्चे  चिड़चिड़े हो रहे हैं

5. इसके अलावा बच्चों में हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा, डायबिटीज जैसी समस्याएं प्रदूषण के कारण हो रही है

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क्या करें उपाय ?

1. डॉ अरविंद बताते हैं कि हमें अपने रवैये में बदलाव लाना होगा, ये सोचना होगा कि वायु प्रदूषण का बहुत बुरा असर हमारी आने वाली पीढ़ियों पर होगा, इमरजेंसी से भी आगे बढ़कर अब ये Disaster बन चुका है. चाहे वो किसानों का पराली जलाना हो, चाहे रोजमर्रा में गाड़ियों का इस्तेमाल करना, फैक्ट्रियों का धुआं हो हर किसी को आने वाली पीढ़ी को देखते हुए रवैये में बदलाव लाना होगा

2. फिलहाल एहतियात के तौर पर बच्चों को घर पर रखें, बाहर कम भेजें

3. अगर बाहर भेजें तो मास्क लगाकर भेजें

4. बच्चों को अगर सांस लेने में दिक्कत हो तो तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं

5. डॉ अरुण गुप्ता के मुताबिक गर्भवती महिलाओं को खास ध्यान देने की जरूरत है, घर से बिल्कुल बाहर न निकलें, पानी ज्यादा पिएं ताकि शरीर से टॉक्सिन बाहर निकलें

6. घर में संभव हो तो एयर प्यूरिफायर लगाएं.

7.गर्भवती महिलाएं रेगुलर चेक अप कराएं, ताकि बच्चे की स्थिति का पता चल सके

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.) 

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