Law On Abortion: अमेरिका में अब गर्भपात अवैध, जानिए भारत में महिलाओं के लिए क्या है कानून और अधिकार

Written By ऋतु सिंह | Updated: Jun 25, 2022, 11:44 AM IST

Law On Abortion for women in India

अमेरिका में 50 साल पुराने गर्भपात से जुड़े कानून को वैध से बदल कर अवैध कर दिया गया है. भारत में गर्भपात को लेकर महिलाओं के अधिकार या कानून के बारे में क्‍या आप जानते हैं?

डीएनए हिंदी: भारत में गर्भपात को लेकर महिलाओं को कानूनी अधिकार नहीं है, लेकिन कुछ शर्तों और निश्चित समय सीमा के अंदर गर्भपात कराया जा सकता है. देश में इसे लेकर क्या नियम और कानून हैं इसके बारे में अमूमन महिलाओं को भी पता नहीं होता है. बता दें कि 1973 में अमेरिका की शीर्ष अदालत रो वर्सेज वेड ने गर्भपात को महिलाओं का संवैधानिक अधिकार बताते हुए इसे कानूनी रूप से वैध कारा दिया था लेकिन अब अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाते हुए गर्भपात का संवैधानिक अधिकार खत्म कर दिया है. भारत में महिलाओं को गर्भपात से जुड़े क्‍या अधिकार दिए गए हैंं,चलिए जानें.

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भारत में गर्भपात को लेकर क्याक है कानून- Law Regarding Abortion in India

संशोधित मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेन्सी 2020बिल (Medical Termination of Pregnancy (MTP) 20202) को 2 मार्च, 2020 को लोकसभा में पेश किया गया और 17 मार्च, 2020 को पारित किया गया था. एमटीपी अधिनियम 1971 में संशोधन किया है और नए कानून के तहत इसमें अब गर्भपात के लिए कई श्रेणियां तय की गई हैं. देश में गर्भपात की समय सीमा को 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 हफ्ते कर दिया गया है. इन श्रेणियों में बलात्कार पीड़ित (Rape Victim),अनाचार की शिकार (Victim of Malpractice) और शारीरिक रूप से कमजोर महिलाओं को रखा गया है. 

देश में गर्भपात अपराध है, लेकिन

देश में गर्भपात को दंडनीय अपराध माना गया है. लेकिन एमटीपी के तहत ऐसे मामलों में अपवाद को जगह दी गई. मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेन्सी एक्ट, 1971 कुछ शर्तों पर मेडिकल डॉक्टरों (विशिष्ट स्पेशलाइजेशन वाले) द्वारा गर्भपात कराने की अनुमति देता है.एक डॉक्टर की सलाह से 12 हफ्ते तक और दो डॉक्टरों की सलाह से 20 हफ्ते तक गर्भपात कराया जा सकता है. गर्भपात की अनुमति तब है, जब गर्भावस्था बरकरार रहने से गर्भवती महिला की जान की खतरा हो, उसके मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान हो सकता हो (बलात्कार और गर्भ निरोध के उपायों के असफल होने सहित), या भ्रूण के असामान्य हो. गर्भावस्था के किसी भी चरण में गर्भपात कराया जा सकता है, अगर महिला के जीवन को बचाने के लिए ऐसा करना जरूरी है. असामान्य भ्रूण (फीटल अबनॉर्मिलिटी) के मामलों मे 24 हफ्ते के बाद गर्भपात पर फैसला लेने के लिए बिल में राज्य स्तरीय मेडिकल बोर्ड्स का गठन किया गया है. 

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गर्भावस्था के विभिन्न चरणों में गर्भपात कराने की शर्तों में प्रस्तावित परिवर्तन

गर्भावस्था के चरण और गर्भपात की शर्तें

  • 12 हफ्ते तक एक डॉक्टर की सलाह से गर्भपात कराया जा सकता है
  • 12 से 20 हफ्ते  तक दो डॉक्टरों की सलाह से   गर्भपात कराया जा सकता है
  • 20 से 24 हफ्ते तक अनुमत‍ि नहीं होती, ले‍किन कुछ श्रेणी की महिलाओं के लिए दो डॉक्टरों की सलाह से गर्भपात कराया जा सकता है
  • 24 हफ्ते से अधिक  तक  अनुमति नहीं हेाती लेकिन भ्रूण के अत्यधिक विकृत होने पर मेडिकल बोर्ड की सलाह से गर्भपात कराया जा सकता है
  • गर्भावस्था के दौरान कभी भी  एक डॉक्टर, अगर गर्भवती महिला का जीवन बचाने के लिए तत्काल ऐसा करना जरूरी हो

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गर्भपात को ले कर दुनिया में कहां क्या है कानून?
दुनिया में 26 देश ऐसे हैं जहां किसी भी हाल में गर्भपात नहीं कराया जा सकता है. फिर चाहे मां या बच्चे की जान पर ही खतरा क्यों ना हो. इनमें इराक, मिस्र, सूरीनाम और फिलीपींस शामिल हैं.

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