Auto Brewery Syndrome: इस अजीब बीमारी में शरीर खुद बनाता है अल्कोहल, नशे में रहता है मरीज

Written By ऋतु सिंह | Updated: Jul 23, 2022, 08:26 AM IST

जब शरीर में खुद बनने लगता है अल्‍कोहल, बेहद गंभीर होती है ये बीमारी 

जब शरीर में ही अल्‍कोहल (Alcohol) बनने लगे तो तय है उससे इंसान ही नहीं, उसके शरीर के अंग (Body Parts) भी सही तरीके से काम नहीं करेंगे. आज आपको ऐसी ही एक बीमारी के बारे में बताएंगे जब शरीर खुद अल्‍कोहल बनाने लगता है (Body Starts Making Alcohol Itself) और मरीज हर समय नशे में रहता है.

डीएनए हिंदी: Auto Brewery Syndrome: इस गंभीर बीमारी का नाम ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम है. इस बीमारी में बिना पीए ही इंसान नशे में रहने लगता है क्‍योंकि शरीर खुद ही अल्‍कोहल बनाने लगता है. नतीजा ये होता है कि इस बीमारी का मरीज धीरे-धीरे अपना मानसिक और शारीरिक संतुलन खोने लगता है. असल में ये ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम चिंता और डिप्रेशन जैसी परेशानियों का दुष्प्रभाव होता है. 

ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम के मरीज को हमेशा ही हैंगओवर जैसा महसूस होता है. ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम के कारण ( Auto-brewery Syndrome causes) के बारे में एनसीबीआई पर छपी रिपोर्ट के मुताबिक ये बीमारी मरीज के शरीर में कार्बोहाइड्रेट एल्कोहल (इथेनॉल) का उत्सर्जन बढ़ा देता है. जब भी मरीज कार्बोहाइड्रेट ज्‍यादा लेता है उसके शरीर में इथेनॉल की मात्रा बढ़ जाती है. ये इथेनॉल आंतों में जमा होता जाता है और इससे आंत में अत्‍यधिक मात्रा में यीस्‍ट (yeast) जमा हो जाता है. यीस्‍ट के साथ मिलकर हर खाना अल्‍कोहल बनने लगता है. 

ये यीस्‍ट होते हैं ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम के कारण

  • टोरुलोप्सिस ग्लबराटा (Torulopsis glabrata)
  • कैंडिडा क्रूसि (Candida krusei)
  • कैंडिडा केफिरो (Candida kefyr)
  • कैनडीडा अल्बिकन्स (Candida albicans)
  • कैंडिडा ग्लबराटा (Candida glabrata)
  • Saccharomyces cerevisiae (शराब बनाने वाला ईस्ट)

रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि लंबे समय तक ऐसा होने से कार्बोहाइड्रेट से उत्सर्जित अल्कोहल धीर-धीरे मरीज के पूरे शरीर में ब्‍लड के जरिये घुल जाती है और मरीज हमेशा नशे में धुत हो जाता है.  

ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम के Symptoms 
मरीज हमेशा सुस्‍त, हैंगओवर सा महसूस करता है. उसे नींद भी ज्‍यादा आती है. मरीज का स्‍किन लाल होने लगता है और उसे चक्‍कर और सिरदर्द की समस्‍या बनी रहती है. हिडाइड्रेशन, थकान, मोमोरी लॉस, भ्रम की स्थि‍ति के साथ ही उसका मुंह सूखने लगता है और कई बार उसे उल्‍टी या बहुत ज्‍यादा डकार आने लगती है. 

ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम के अन्य साइड इफेक्‍ट

  • क्रोनिक फेटीग सिंड्रोम
  • इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम
  • डिप्रेशन 

Auto-brewery Syndrome का इलाज (Treatment) 
ऑटो ब्रीवेरी सिंड्रोम के मरीज के लिए कार्बोहाइड्रेट लेना जहर के समान हो जाता है. इसलिए इसे लेना बंद करना होता है. आंत में फंगस को कंट्रोल करने के लिए एंटीफंगल दवाएं देनी पड़ती हैं. साथ ही इस बीमारी से जूझ रहे लोगों को चीनी कम खाना होता है. ब्रेड और पास्ता, सफेद चावल, रिफाइंड आटा, आलू के चिप्स, कोल्ड-ड्रिंक्स, फलों का जूस लेना सख्‍त मना होता है. 

Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.) 


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