Hormones Test: पेट की चर्बी डाइट और एक्सरसाइज के बाद भी नहीं हो रही कम तो इन हार्मोन्स की कराएं जांच

Written By ऋतु सिंह | Updated: Mar 09, 2024, 10:53 AM IST

पेट कम न होने में रुकावट पैदा करते हैं ये हार्मोन

मोटापा कम करने (Weight Loss), पेट की अतिरिक्त (Belly Fat चर्बी कम करने, आहार (Diet) और व्यायाम (Exercise ) के बावजूद वजन कम न होने पर कुछ हार्मोन की जांच (Hormone Test) करानी चाहिए.

शरीर का वजन नियंत्रण से बाहर हो रहा है, हर किसी को डराता है. इसमें पेट के घेरे का बढ़ना और भी परेशान करता है. इसके बाद वज़न कैसे कम करें इसकी दौड़ शुरू हो जाती है . आहार और व्यायाम की बौछार कर दी जाती है लेकिन फिर भी आपकी तोंद कम न हो तो संभव है कि कुछ हार्मोन्स इसके लिए जिम्मेदार हों.

वजन नियंत्रित करने में शरीर में हार्मोन का कार्य 

हार्मोन मानव शरीर में रासायनिक वाहक के रूप में कार्य करते हैं. हार्मोन शरीर के चयापचय, भूख और पाचन के बाद वसा भंडारण की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं. अगर शरीर में हार्मोन अनियमित हो जाएं तो पूरी प्रक्रिया गड़बड़ा जाती है. नतीजतन, शरीर में वजन कम करने की प्रक्रिया पर ब्रेक लग जाता है. वजन प्रणाली के लिए पेट का मेटाबॉलिज्म गड़बड़ा जाता है.

इन हार्मोनों का परीक्षण अवश्य कराएं

इंसुलिन - ये हार्मोन का उत्पादन अग्न्याशय में होता है. इंसुलिन शरीर में शुगर लेवल को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है. कुछ बिंदु पर, अग्न्याशय इंसुलिन प्रतिरोधी हो जाता है. इस स्थिति में, शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति कम प्रतिक्रियाशील हो जाती हैं, जिसके परिणामस्वरूप रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है और पेट में वसा का भंडारण बढ़ जाता है. शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध की प्रक्रिया जानने के लिए इंसुलिन टेस्ट किया जा सकता है ताकि वजन बढ़ने के कारण को समझा जा सके.

कोर्टिसोल - ये शरीर में तनाव के लिए जिम्मेदार हार्मोन है. इस हार्मोन का सीधा संबंध पाचन और वसा भंडारण की प्रक्रिया से होता है. लगातार तनाव से कोर्टिसोल का स्तर बढ़ सकता है, जिसके परिणामस्वरूप पेट की चर्बी जमा हो सकती है. शरीर में कोर्टिसोल का स्तर सुबह और शाम को अलग-अलग होता है. तो दो झटके में सुबह और शाम

कोर्टिसोल परीक्षण आवश्यक है. ये परीक्षण शरीर पर पड़ने वाले तनाव के सटीक स्तर को समझने में मदद करते हैं. आपका शरीर जिस तनाव से जूझ रहा है, उसे जानने से भी वजन घटाने को रोकने में मदद मिल सकती है.

थायराइड हार्मोन - (T3, T4, TSH)-थायरॉयड ग्रंथि द्वारा उत्पादित हार्मोन शरीर के चयापचय पर सीधा प्रभाव डालते हैं. यदि थायराइड हार्मोन सक्रिय नहीं हैं (इसे हाइपोथायरायडिज्म कहा जाता है.) तो शरीर का पाचन तंत्र धीमा हो जाता है और वजन बढ़ने लगता है. थायरॉयड को नियंत्रित करने वाले टीएसएच हार्मोन (टीएसएच) के साथ-साथ थायरोक्सिन (टी4) और ट्राइयोथायरोलिन (टी4) का परीक्षण करने के बाद, थायरॉयड के कामकाज में विफलता देखी जा सकती है.

लेप्टिन - रक्त (कोशिकाओं) में लेप्टिन हार्मोन उत्पन्न होता है जो शरीर में वसा बढ़ाता है. लेप्टिन हार्मोन इंसानों में दो महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं पर काम करता है, भूख और शरीर में भोजन का पाचन. कभी-कभी मस्तिष्क इस कार्य में खराबी कर देता है. यदि मस्तिष्क लेप्टिन से संकेतों का ठीक से जवाब नहीं देता है, तो लेप्टिन प्रतिरोध नामक स्थिति उत्पन्न होती है. लोगों को भोजन की आवश्यकता से अधिक भूख लगती है और उनका वजन बहुत अधिक बढ़ जाता है. लेप्टिन हार्मोन पेट की चर्बी का मुख्य कारण है. लेप्टिन के स्तर का परीक्षण यह निर्धारित करने में मदद कर सकता है कि लेप्टिन कैसे काम करता है और वजन घटाने पर इसका प्रभाव पड़ता है.

वजन बढ़ने के लिए जिम्मेदार सभी हार्मोनों का परीक्षण करने के बाद डॉक्टर या गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट से मिलें. विशेषज्ञ टीम शरीर के अतिरिक्त वजन, पेट की चर्बी को कम करने के लिए रिपोर्ट के निष्कर्षों से उचित मार्गदर्शन प्रदान करती है. यह जानने के बाद कि आपके शरीर में किस चीज़ की कमी है, विशेषज्ञ आवश्यक जीवनशैली में बदलाव, आहार में बदलाव, तनाव प्रबंधन, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने के लिए दवा आदि की सलाह देते हैं.

(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.

देश-दुनिया की Latest News, ख़बरों के पीछे का सच, जानकारी और अलग नज़रिया. अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटरइंस्टाग्राम और वॉट्सऐप पर.