डीएनए हिंदीः डायबिटीज एक ऐसी बीमारी हैं जिसमें ब्लड में शुगर की मात्रा ज्यादा होने से न केवल फोड़े-फुंसी ज्यादा होते हैं और जल्दी ठीक नहीं होते हैं, बल्कि कई बार सेप्टीसीमिया जैसे गंभीर इंफेक्शन का खतरा भी होता है.
सेप्टीसीमिया एक बैक्टिरियल इंफेक्शन होता है और ये शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है. सेप्टीसीमिया एक ऐसा इंफेक्शन है जो लंग्स से लेकर लिवर, किडनी, स्किन, यूरिन कहीं भी हो सकता है.
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क्यों है डायबिटीज रोगियों को ज्यादा खतरा
इस इंफेक्शन का खतरा शुगर के मरीजों में ज्यादा होता है क्योंकि उनके ब्लड में मौजूद शुगर किसी भी तरह के इंफेक्शन को जल्दी ठीक नहीं होने देती है. दूसरे डायबिटीज रोगियों का इम्युन सिस्टम भी बेहद कमजोर होता है. इस कारण शुगर के रोगियों में किसी भी तरह का इंफेक्शन जल्दी होता है और सेप्टीसीमिया का खतरा भी ज्यादा होता है.
जानलेवा हो सकता है सेप्टिसीमिया
सेप्टीसीमिया खास तरह का बैक्टीरियल इंफेक्शन होता है जो अगर अनुपचारित रह जाए तो जानलेवा भी हो सकता है क्योंकि इंफेक्शन के बने रहने से लिवर, किडनी डैमेज का खतरा बना रहता है.
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इन लोगों में ही है सेप्टीसीमिया का ज्यादा खतरा
सेप्टीसीमिया का सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों में है जिनकी इम्यूनिटी वीक होती है. डायबिटीज ही नहीं बल्कि उसके अलावा अपेंडिक्स कैंसर, एचआईवी और निमोनिया के मरीजों को भी इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है. वहीं, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के साथ बच्चों भी खतरे बने रहते हैं.
क्यों बनता है सेप्टिसीमिया खतरनाक
सेप्टीसीमिया में खून में एक खास तरह का केमिकल बहुत ज्यादा रिलीज होने लगता है और इससे बॉडी में सेप्टिक होने लगता है. बॉडी में सूजन के कारण मल्टी ऑर्गन फैलियर का खतरा बढ़ता है. कई बार इसकी वजह से शरीर में खून के थक्के बन जाते हैं जिससे हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा भी हो जाता है.
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सेप्टिसीमिया के लक्षण
- बुखार आना और ठंड लगना
- दिल की धड़कन कम या ज़्यादा होना
- थकान या कमजोरी महसूस होना
- शरीर पर रैशेज़ हो जाना
- स्किन का रंग हल्का होना
- ज्यादा पसीना आना
- स्किन में चिपचिपापन होना
- मतली और उल्टी आना
- दस्त लगना
- यूरिन कम आना
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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