डीएनए हिंदी: बच्चों को बार-बार पॉटी आना बेहद आम समस्या है लेकिन कई बार शिशु हल्का सा दूध पीने के बाद भी पॉटी कर देता है या पानी भी पीता है तो उसे तुरंत दस्त लग जाते हैं.अगर ऐसा होता है तो आपको ध्यान देने की आवश्यकता है. ऐसे में आपको बच्चे के पॉटी करने के समय और कलर पर भी ध्यान देना चाहिए.आपको देखना चाहिए कि वो कैसी पॉटी कर रहा है,जिससे आप उसका समाधान निकाल सकें.बार बार दस्त आने को बेबी डायरिया (Baby Diarrhea) कहते हैं, अगर घरेलू उपाय से यह कम न हो तो फिर बच्चों के डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए. आज हम जानेंगे बच्चों को ज्यादा पॉटी लगने के कारण क्या है, ऐसे में क्या करना चाहिए और कैसे उसका ख्याल रखा जाए.
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बच्चों को ज्यादा पॉटी लगने के कारण (Causes of child loose motion)
बच्चों को बार-बार पॉटी आने की समस्या दूध पीने, सर्दी-जुकाम, या मां के गलत खान-पान के कारण हो सकती है. इसके अलावा दूध पीने वाली बोतल से भी बच्चे को इंफ्केशन का डर हो सकता है.डॉक्टरों के अनुसार स्तनपान करने वाले नवजात शिशु एक,तीन या चार दिन में 15 बार पॉटी कर सकते हैं.अगर बच्चा सही तरह से फीडिंग ले रहा है हेल्दी दिख रहा है और उसका वजन भी सही बढ़ रहा है, तो पतली पॉटी आने पर आपको परेशान नहीं होना चाहिए.कई माएं बच्चे की पतली पॉटी के लिए स्तनपान को जिम्मेदार मानकर उसे फीडिंग कराना बंद कर देती हैं, यह एक गलतफहमी है.
पॉटी का रंग और उसका धरण क्या संकेत देता है (Symptoms of Child motion color and type)
हरे रंग की पॉटी का कारण
बच्चे के जन्म के बाद उसकी पॉटी पीले के साथ-साथ कभी-कभी हरे रंग की भी दिखाई दे सकती है.कई बार काली या लाल रंग की भी होती है. पॉटी का रंग अलग-अलग होना सामान्य बात है. दरअसल, बच्चे छह महीने तक दूध के अलावा और कुछ नहीं खाते-पीते हैं,ऐसे में कभी-कभी पानी की कमी होने के कारण पॉटी का रंग हरा हो सकता है. वहीं, फॉर्मूला मिल्क पीने वाले करीब 50 प्रतिशत बच्चे हरे रंग का मल त्याग करते हैं
लक्षण (Symptoms of loose motion)
- अगर पतली पॉटी के साथ बच्चे को हल्का बुखार है और बच्चा एक साल से छोटा है, तो इस समस्या को गंभीरता से लेना चाहिए.
- दस्त के साथ उल्टी और पेट में संक्रमण के संकेत हो सकते हैं, इसलिए सावधान रहें.ज्यादा प्यास लगना, जीभ सूख जाना, आंखे धंसना और बच्चे का लगातार रोना डिहाइड्रेशन के संकेत हो सकते हैं
- दस्त में खून आना भी एक गंभीर समस्या हो सकती है. ऐसे में विशेष सावधानी बरतने की ज़रूरत है
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घरेलू उपाय- किन बातों का रखें ख्याल (Loose motion Treatment at home in hindi)
एक मुट्ठी राइस पाउडर पानी में मिलाकर कम से कम 10 मिनट पकाएं.इसमें हल्का नमक और बाद में कम से कम एक लीटर पानी मिलाकर पतला कर लें। इस पतले तरल पदार्थ को बच्चे को पिलाएं
- दूसरा उपाय एक गिलास पानी में थोड़ी चीनी और एक चुटकी नमक मिलाकर बच्चे को पिलाएं
- स्तनपान वाले बच्चे को केवल स्तनपान ही कराएं. इससे उसे बैक्टीरियल, वायरल और डायरिया से लड़ने में शक्ति मिलती है
- बच्चे को जबरदस्ती फीडिंग ना कराएं, उसे जब भूख लगे, तब ही फीडिंग कराएं
- फीडिंग छुड़ाने के लिए दाल की खिचड़ी को एक बेहतर चीज माना जाता है, इसके लिए अनावश्यक आहार परिवर्तन की जरूरत नहीं हैं.
- अगर आप घर में कुछ ऐसा नहीं बना सकते, तो बाजार में मिलने वाले रिहाड्रेटेशन का इस्तेमाल करें.
- अपने बच्चे को कोई भी एंटीबायोटिक दवा देने से बचें. डॉक्टर द्वारा दी गई दवाओं के बारे में सही से जानकारी लेनी चाहिए.अगर बच्चे को उल्टी की दवा दे रहे हैं तो ध्यान रहे कि इसके तुरंत बाद उसे फीडिंग ना कराएं, दवा देने के बाद कम से कम एक घटे बाद फीडिंग कराएं
- हमेशा घरेलू उपायों के साथ-साथ डॉक्टर की सलाह लेना न भूलें
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