डीएनए हिंदी: गाय-भैंसके गोबर को लेकर यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने जो रिपोर्ट दी है उसमें दावा किया गया है कि ब्लैक फंगस का खतरा गाय के गोबर से ही ज्यादा होता है. ध्यान रहे कि कोविड संक्रमित लोगों में ब्लैक फंगस पाया गया था और इससे लोगों की जान तक चली गई थी. इतना ही नहीं, इसके धुंए से अपंगता की बात भी रिपोर्ट में दर्ज है.
भारतीय समजा में गाय का गोबर न केवल पूजा-पाठ में बल्कि ईंधन के साथ ही घर के लेपन में भी यूज होता है. गाय के गोबर से बने उपले कई अनुष्ठान में प्रयोग होते हैं. रिसर्च में दावा किया गया है कि इन गोबर के कारण ही ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ा था. तो चलिए जानें क्या कहती है ये रिसर्च.
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क्या है cow dung को लेकर Research claim
यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की रिपोर्ट बताती है कि म्यूकोर्मिकोसिस, म्यूकोरालेस (Mucormycosis, Mucorales Fungus ) के कारण संक्रमण होता है. म्यूकोरालेस फंगस का एक सहप्रोफिलस (गोबर-प्रेमी) समूह, शाकाहारी जीवों के मलमूत्र पर ही पनपता है. इसमें गाय या भैंस के गोबर का ही सबसे ज्यादा प्रयोग होता है.
गाय-भैंस के गोबर से ही है क्यों खतरा
अप्रैल में अमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी की एक मैग्जीन एमबायो पब्लिश रिपोर्ट के अनुसार म्यूकोरालेस गाय-भैंस बे मल-मूत्र में सबसे ज्यादा होता है. विशेष रूप से महामारी के दौरान कई भारतीय अनुष्ठानों में इसका उपयोग धुएं या लेपन के रूप में किया गया था. इसके धुएं से आसपास के वातावरण में ये रोगाणु फैल गए थे.
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ह्यूस्टन, टेक्सास के एक शोधकर्ता का दावा है कि भारत ही नहीं, अन्य देशों में भी ब्लैक फंगस का खतरा समान रूप से था, लेकिन इसके पीछे कारण इन गोबरों के जलाने से निकलने वाले धुएं को माना गया. धुंआ म्यूकोरालेस बीजाणुओं के संपर्क में वृद्धि कर थे जो हवाओं में फैलते रहे. दावा है कि बायोमास जलाने के धुएं के माध्यम से फंगल बीजाणु व्यापक रूप से फैलते हैं. गोबर और फसल के अवशेषों को जलाने की प्रथा से म्यूकोरालेस बीजाणु पर्यावरण में फैलते हैं.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।)
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