Heart Attack जानलेवा होगा या नहीं - अब पता लगा सकते हैं डॉक्टर

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jun 01, 2022, 11:06 PM IST

सांकेतिक चित्र 

Heart Attack के खतरे को समझने के लिए दिल्ली के जी बी पंत अस्पताल के डॉक्टरों ने इंजीनियरस के साथ मिलकर एक मॉडल तैयार किया है. पूजा मक्कर की रिपोर्ट.

डीएनए हिंदी : दिल्ली के जी बी पंत अस्पताल में पिछले कुछ वर्षों से  20% दिल के मरीज 18 से 45 वर्ष के बीच के आ रहे हैं. अस्पताल ने दो वर्ष पहले ऐसे 154 मरीजों पर स्टडी की. इन सभी मरीजों में से किसी को भी डायबिटीज़ नहीं थी इनमें से कोई भी सिगरेट नहीं पीता था. लेकिन इन सभी में एक बात कॉमन थी  कि इन सभी का तनाव स्तर उंचा था.  इन मरीजों की डीएनए स्टडी में यह पता चला कि इनके क्रोमोज़ोम्स की टेलोमियर लेंथ काफी कम थी.

क्या होती है टेलोमियर लेंथ

टेलोमियर (Telomeres) डीएऩए के कोने पर लगी कैप की तरह होते है. हार्ट अटैक पर हुई स्टडी में पता चला कि इन लोगों में वे सिकुड़ चुके थे. डॉक्टरों के मुताबिक जन्म के हिसाब से इनकी उम्र 18 से 45 के बीच ही थी लेकिन डीएनए स्टडी के हिसाब से इन सभी की उम्र 60 पार कर चुकी थी. यानी आपको हाई बीपी, डायबिटीज़ या कोई और बीमारी ना भी हो तो भी हो सकता है कि दिमागी तनाव आपके दिल पर बहुत भारी पड़ जाए. 

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जी बी पंत अस्पताल तैयार किया अनूठा मॉडल

हार्ट अटैक कितना बड़ा खतरा(Dangers of Heart Attack) बन सकता है, इसे समझने के लिए दिल्ली के जी बी पंत अस्पताल के डॉक्टरों ने इंजीनियरस के साथ मिलकर एक मॉडल तैयार किया है. 3 हज़ार 191 दिल के मरीजों पर दो वर्ष की स्टडी के बाद इस मॉडल को तैयार किया गया है. यह पहला ऐसा मॉडल है जो पूरी तरह भारतीय मरीजों के आधार पर बना है. इसमें 31 अलग अलग पैरामीटर्स के आधार पर ये तय किया जाता है कि हार्ट अटैक के मरीज को जान जाने का खतरा कितना है.

इससे मिलने वाले रिजल्ट 85% तक सही पाए गए हैं. जैसे जैसे इस मॉडल को ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा, इसमें सुधार होते रहेंगे. डॉक्टरों की कोशिश है कि वो लगभग 100% सही आंकलन कर पाए कि हार्ट अटैक के किस मरीज को जान जाने का कितना खतरा होगा. 

 

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