डीएनए हिंदी: Dengue Prevention Tips- बरसात शुरू होते ही घर घर में डेंगू बुखार (Dengue Fever) के फैलने का डर भी मंडराने लगता है. खासकर अगर हम दिल्ली की बात करें तो डेंगू ने पिछले कुछ सालों में राजधानी में काफी दहशत फैलाई है.इसलिए यह बुखार फैलने से ही अलग कुछ सावधानियां बरती जाएं और इसके लक्षणों (Dengue Symptoms in Hindi) की पहचाना जा सके तो काफी हद तक इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.ज्यादातर लोग डेंगू बुखार के लक्षणों को समझ नहीं पाते हैं.जब डेंगू बुखार के लक्षण होते हैं, तो लोग उसे आम बुखार के साथ जोड़ देते है. ऐसे में डेंगू का सही इलाज नहीं हो पाता है.
कैसे फैलता है डेंगू (How Dengue Fever Spread)
डेंगू फैलाने वाले एडीज मच्छर गंदे या जमा पानी में आते हैं. नाले, कुलर के पानी में भी ये मच्छर काफी पनपते हैं. इसलिए गर्मियों में कुलर का पानी बदलते रहना चाहिए.वैसे यह मच्छर जब अंडे देते हैं तो वो ज्यादा फैलने लगते हैं. डेंगू वाला वायरस जब इंसान को काटता है तभी यह फैलने लग जाता है.
डेंगू के लक्षण (Symptoms of Dengue fever)
बुखार आमतौर पर संक्रमित मच्छर द्वारा काटे जाने के चार से 10 दिन बाद शुरू होता है.
-शरीर पर रैशेज होना.
-आंखों के पीछे दर्द होना.
-उल्टी आना या जी मिचलाना.
-मसल्स, हड्डियों या फिर जोड़ों में दर्द होना.
-अगर गंभीर स्थिति हो जाती है, तो पेट दर्द, बार-बार उल्टियां आना
-स्टूल में खून आना या उल्टियों में खून आना
-नाक से खून आना या फिर मसूड़ों में खून आना
-चिड़चिड़ापन महसूस करना, ज्यादा थकान महसूस होना आदि लक्षण नज़र आ सकते हैं.
डेंगू से बचाव के उपाय (Prevention Tips from Dengue Fever)
कैसे करवाएं टेस्ट (How to do Test in Dengue Fever)
डेंगू के लक्षण वायरल फीवर और मलेरिया से मिलते-जुलते होते हैं. इस वजह से कई बार लक्षणों की सही से पहचान नहीं हो पाती है. डेंगू का पता लगाने के लिए सबसे विश्वसनीय जांच एलाइजा टेस्ट है. इसका रिजल्ट 100 फीसदी सही आता है, वहीं एलाइजा में भी दो तरह के टेस्ट होते हैं- आईजीएम और आईजीजी. डेंगू के लक्षण पता चलने के 3 से 5 दिन के अंदर आईजीएम टेस्ट करवा लेना चाहिए.
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वहीं आईजीजी टेस्ट की मियाद 5 से 10 दिन की है. वहीं डेंगू के ज्यादातर मामलों में डॉक्टर पहले एंटीजन ब्लड टेस्ट (NS1)की सलाह देते हैं.लक्षण सामने आने पर पांच दिन के अंदर ही NS1 टेस्ट कराया जाता है. डेंगू के लक्षण बढ़ने पर यह टेस्ट कारगर नहीं है, डॉक्टरों के मुताबिक लक्षण दिखने के पांच दिन के अंदर यह टेस्ट करा लेना चाहिए
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क्या होता है वेक्टर कंट्रोल
वेक्टर कंट्रोल वास्तव में वह तरीक़ा होता है जिसके ज़रिये किसी भी जीव चाहे वह स्तनपाई हो, चिड़िया हो अथवा कीड़ा हो, उसकी संख्या को सीमित किया जाता है. इन तमाम जीवों को सम्मिलित रूप से वेक्टर कहा जाता है. ऐसा इन जीवों के द्वारा बीमारियों के प्रसार की रोकथाम के लिए किया जाता है. सबसे आम 'वेक्टर कंट्रोल' मच्छरों को भिन्न तरीक़े से कंट्रोल करने की नीति मानी जाती है.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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