डीएनए हिंदी: (Diabetes Patient Causes Of Blood Sugar Fluctuation) डायबिटीज साइलेंट बीमारियों में से एक है. यह एक क्राॅनिकल के साथ लाइलाज बीमारियों में से एक है. इसकी मुख्य वजह खराब लाइफस्टाइल और खानपान है. इस वजह से ही यह बीमारी तेजी से फैल रही है. कभी 60 से अधिक उम्र को होने वाली डायबिटीज जैसी घातक बीमारी अब 20 साल के युवाओं को भी अपना शिकार बना रही है. डायबिटीज को क्योर नहीं किया जा सकता है. इसे दवाई से लेकर लाइफस्टाइल में बदलाव कर ब्लड शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है, लेकिन कुछ लोगों समय पर दवाई लेने से लेकर सही डाइट रखने पर भी ब्लड शुगर हाई हो जाता है. डायबिटीज मरीजों में यह खतरे की घंटी बजा देता है. इस दौरान हार्ट अटैक से लेकर स्ट्रोक और अंधेपन का शिकार भी हो सकते हैं. अगर आपके परिवार या आसपास में किसी का ब्लड शुगर कंट्रोल नहीं हो रहा है. इसके पीछे ये वजह हो सकती हैं.
कुछ वजह हैं जिनकी वजह से ब्लड शुगर हाई रहता है. इनमें तमाम दवा लेने से लेकर अच्छी डाइट के बाद भी यह कंट्रोल नहीं होता.
बहुत भयंकर गर्मी
डायबिटीज एक क्राॅनिकल बीमारी है. गर्मियों के मौसम में तापमान हाई होते ही यह ब्लड शुगर को बढ़ा देता है. गर्मी के चलते ब्लड कोशिकाएं तेजी से फैलने लगती है. इसे इंसुलिन भी तेजी से अवशोषित होने लगता है. इस दौरान ब्लड शुगर बढ़ने गंभीर समस्याएं हो सकती है. गर्मी में डायबिटीज मरीज को हल्की चोट भी भारी पड़ सकती है.
ठीक से नींद न आना
सही से न शो पाना भी ब्लड शुगर लेवल को बढ़ा देता है. इसमें स्लीपिंग पैटर्न ठीक नहीं होना भी एक कारण है. इसमें बहुत कम और ज्यादा सोना दोनों ही नुकसानदायक है. इसका सीधा असर ब्लड शुगर पर पड़ता है.
पानी कम पीना भी देता है परेशानी
डायबिटीज के मरीजों को पानी का ज्यादा सेवन करना चाहिए. गर्मियों में पानी ज्यादा से ज्यादा लेना जरूरी है. पानी की कम मात्रा लेने से ब्लड शुगर हाई और लो सकता है, जो आपकी सेहत पर भारी पड़ सकता है.
ब्रेकफास्ट न लेना
डायबिटीज मरीजों को सुबह का ब्रेकफास्ट लेना बेहद जरूरी होता है. ऐसा न करना उन्हें नुकसान पहुंचा सकता है. ज्यादा समय तक खाली पेट रहने की वजह से ब्लड शुगर हाई हो जाता है. ऐसे में सुबह के समय हेल्दी डाइट ही लेनी चाहिए.
बढ़ा देता है मानसिक तनाव
डायबिटीज मरीजों को मानसिक संतुलन सही रखना बेहद जरूरी है. तनाव लेने की वजह से भी ब्लड शुगर हाई या लो हो सकता है. यह तनाव एंग्जायटी या डिप्रेशन की समस्याओं में दिक्कत और ज्यादा बढ़ जाती है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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