Diabetes Patient: सर्दियों में रात की ये 3 गलतियां बढ़ा देती हैं शुगर, गंभीर स्थिति से बचने के लिए इन आदतों में कर लें सुधार

Written By नितिन शर्मा | Updated: Jan 15, 2024, 02:04 PM IST

डायबिटीज क्रॉनिकल बीमारियों में से एक है. इसके मरीजों पर खानपान से लेकर मौसम तक असर पड़ता है. इसकी वजह से व्यक्ति को बेहद ध्यान रखना पड़ता है, लेकिन खानपान के साथ ही आलस समेत कुछ दूसरी आदतें आपका डायबिटीज लेवल को बढ़ा सकती हैं. इन्हें सर्दियों के मौसम में भूलकर भी न करें.

डीएनए हिंदी: आज के समय में डायबिटीज एक बड़ी समस्या बन गई है. लगतार इस बीमारियों के मरीजों की संख्या इजाफा हो रहा है. इसकी मुख्य वजह खराब खानपान के साथ ही आलस और वर्कआउट न करना भी है. यही वजह है करोड़ों लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं. डायबिटीज उन लाइलाज बीमारियों में से एक है, जिसका अब तक कोई इलाज भी नहीं है. इस बीमारी की गिरफ्त में आए लोगों को जिंदगी भर इसे कंट्रोल में रखना पड़ता है. शुगर लेवल हाई होते ही व्यक्ति अंधा होने से लेकर उसकी मौत तक हो सकती है. यही वजह है कि डायबिटीज मरीजों को खानपान का बेहद ध्यान रखना पड़ता है. उनकी छोटी सी गलती गंभीर रूप ले सकती है. 

डायबिटीज दो तरह का होता है. इनमें एक टाइप 1 डायबिटीज और दूसरा टाइप 2 डायबिटीज है. टाइप 1 डायबिटीज अनुवांशिक होता है. इसमें व्यक्ति के पेंक्रियाज में हार्मोन इंसुलिन बनना बंद करते हैं. इसकी वजह से खून में ग्लूकोज का लेवल बढ़ने लगता है. इसका लगातार हाई लेवल व्यक्ति को डायबिटीज का रोगी बना देता है.  वहीं टाइप टू डायबिटीज के मरीजों इंसुलिन का प्रोडक्शन बेहद धीमा पड़ जाता है. इंसुलिन बनता है तो है, लेकिन इसके बेहद धीमा होने पर यह शुगर को कंट्रोल नहीं कर पाता. जिसकी वजह से व्यक्ति की स्थिति गंभीर हो जाती. 

मौसम का भी पड़ता है असर

डायबिटीज लाइलाज होने के साथ ही क्रॉनिकल बीमारी है. इस पर खानपान के साथ ही मौसम यानी तापमान का असर भी पड़ता है. डायबिटीज मरीजों को सर्दियों के मौसम में खास ध्यान रखने की जरूरत है. इसकी वजह सर्दियों के मौसम में लोगों द्वारा भूख से ज्यादा खाना खाने से लेकर वर्कआउट न करने से तक ऐसी कई गलतियां की जाती हैं, जिसकी वजह से शुगर का लेवल हाई हो जाता है. ठंड में कॉर्टिसोल इंसुलिन का प्रोडक्शन धीमा हो जाता है. यह खून में ग्लूकोज का लेवल बढ़ा देता है, जो डायबिटीज मरीजों के लिए किसी आफत से कम नहीं होता. इसके अलावा लोगों द्वारा भी इस मौसम में ये तीन गलतियां की जाती हैं, जिसकी वजह से सुबह उठते ही ब्लड शुगर का लेवल हाई हो जाता है. आइए जानते हैं रात की वो गलतियां, जिनकी वजह से ब्लड शुगर हाई हेा जाता है. 

जरूरत से कम नींद लेना

अगर आप डायबिटीज मरीज हैं और देर रात तक सोते नहीं हैं. सुबह समय से पहले जाग जाते हैं. इससे नींद पूरी नहीं होती है. यह आपका तनाव बढ़ा देती है. इसका सीधा असर ब्लड शुगर लेवल पर पड़ता है. जरूरत से कम नींद लेने की वजह से पाचन तंत्र स्लो हो जाता है. दिमाग की नसें तन जाती हैं. साथ ही कोर्टिसोल हार्मोन बनने लगते हैं. इस हार्मोन के बनते ही इंसुलिन का प्रोडक्शन डाउन हो जाता है. जिसकी वजह से व्यक्ति का डायबिटीज बढ़ते ही इसके लक्षण दिखाई देने लगते हैं. अगर आप भी ऐसी ही गलती कर रहे हैं तो तुरंत बदल लें. रात को जल्दी सोने के साथ ही पर्याप्त रूप से नींद लें. डायबिटीज मरीजों को कम से कम 7 से 8 घंटे की नींद लेनी जरूरी है.  

वॉक छोड़ना हो सकता है खतरनाक

डायबिटीज मरीज अगर एक्सरसाइज नहीं कर पाते हैं. रात को खाना खाकर सो जाते हैं तो यह गंभीर स्थिति पैदा कर सकती है. इससे बचने के लिए रात की वॉक शुरू कर दें. रात के डिनर के बाद वॉक करना बेहद जरूरी है. हालांकि कुछ डायबिटीज मरीज सर्दियों के मौसम में रात को खाना खाने के बाद सो हो जाते हैं. यह ठंड की वजह से वॉक को छोड़ देते हैं. उनकी यही गलती अगले दिन शुगर का लेवल हाई कर देती हैं. आपने यह गलती नहीं सुधारी तो अस्पताल पहुंच सकते हैं. इससे बचने के लिए हर दिन डिनर के बाद कम से कम 30 मिनट से लेकर एक घंटे तक वॉक जरूर करें. इससे ग्लूकोज लेवल कंट्रोल में रहता है.

पानी कम पीना भी है घातक

सर्दियों के मौसम में प्यास कम लगने लगती है. बार बार पेशाब आता है.​ दिन या रात में  बार बार पेशाब आने की वजह से लोग परेशान हो जाते हैं. इससे बचने के लिए प्यास लगने पर भी पानी पीना बंद कर देते हैं. अगर आप डायबिटीज मरीज होने के बाद ऐसा कर रहे हैं तो सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है. इसकी वजह पानी कम पीने से बॉडी डिहाइड्रेट होने लगती है. इसके अलावा ग्लूकोज का लेवल बढ़ने लगता है. यह शुगर के लेवल को बढ़ा देता है. इस स्थिति को हाइपोग्लेसेमिया कहा जाता है. डायबिटीज मरीजों के लिए बेहद खतरनाक स्थिति पैदा कर सकता है. इससे बचने के लिए दिन भर खूब पानी पिएं.  

(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)

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