डीएनए हिंदी: डायबिटीज लाइलाज बीमारियों में से एक है. यह धीमे जहर की तरह है, जो शरीर पनपने के बाद कई दूसरी बीमारियों को बढ़ा देती है. डायबिटीज मरीजों के लिए सबसे बड़ी चुनौती ब्लड शुगर को कंट्रोल करना होता है. ब्लड शुगर के हाई या लो होते ही यह जानलेवा बन जाती है. इसे मरीज अंधेपन का शिकार होने से लेकर मौत तक हो सकती है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए डायबिटीज मरीजों को रेगुलर रेगुलर ब्लड शुगर को चेक करना बेहद जरूरी होता है.
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ऐसे में डायबिटीज मरीज ब्लड शुगर को टेस्ट करने के लिए दो तरीके अपनाते हैं. इनमें एक फिंगर स्टिक से ब्लड और दूसरा यूरीन टेस्ट है. ये दोनों टेस्ट हमारे ब्लड शुगर की सही रिपोर्ट तो देते हैं, लेकिन सिर्फ उसी समय की, ब्लड शुगर के उतार चढ़ाव के विषय में इस टेस्ट से पता नहीं लगता. ऐसे में कई बार ब्लड शुगर अचानक से हाई हो जाता है. इसे बचने के लिए ही HbA1c टेस्ट बेहद जरूरी होता है.
3 महीने में कम से कम एक बार जरूर कराएं ये टेस्ट
एक्सपर्ट्स के अनुसार, ब्लड शुगर की हिस्ट्री से लेकर उसकी सटीक जानकारी HbA1c यानी हीमोग्लोबिन A1c टेस्ट से ही मिलती है. ये टेस्ट कम से कम दो से तीन महीने में एक बार जरूर करना चाहिए. इसे ब्लड शुगर की सही जानकारी मिलती है. यह टेस्ट प्रीडायबिटीज मरीजों के लिए वरदान साबित होती है.
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इसलिए कराना चाहिए HbA1c टेस्ट
दरअसल HbA1c टेस्ट ब्लड शुगर की मात्रा पता करने के लिए कराया जाता है. इस टेस्ट से डायबिटीज या प्रीडायबिटीज होने की एक दम सटीक जानकारी मिलती है. HbA1c उम्र के साथ बढ़ता रहता है. यही वजह है कि इस टेस्ट को हर तीन माह में करान बहुत ही जरूरी होता है. यह टेस्ट टाइप 2 डायबिटीज़ की स्क्रीनिंग के लिए कराया जाता है.
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तीन महीने शुगर हिस्ट्री आ जाती है सामने
HbA1c टेस्ट से 120 दिनों की ब्लड शुगर की हिस्ट्री का पता लग जाता है. इसे ब्लड शुगर के खतरे को आसानी से भापा जा सकते है. साथ ही समय पर इसका इलाज और ब्लड शुगर को कंट्रोल कर डायबिटीज जैसी घातक बीमारी से बचा जा सकता है, लेकिन टेस्ट में लापरवाही करना आपकी सेहत ही नहीं जान के लिए खतरा होती है. प्रीडायबिटीज मरीजों को शुगर कंट्रोल के तुरंत टेस्ट के साथ ही HbA1c टेस्ट से प्रीडायबिटीज को रोका जा सकता है. अन्यथा आप भी डायबिटीज का शिकार हो सकते हैं.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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