दुनिया भर में भारत को Diabetes की राजधानी माना जाता है और दुनियाभर में मोटापा भी महामारी का रूप ले रहा है. हाल ही में जारी मेडिकल जर्नल लांसेट की रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में एक अरब से ज़्यादा लोग मोटापे के शिकार हैं.
मेडिकल जर्नल लांसेट में प्रकाशित स्टडी से यह भी पता चला है कि दुनिया में मोटापे के शिकार एक अरब से ज़्यादा लोगों में 88 करोड़ लोग एडल्ट हैं जबकि 15 करोड़ 90 लाख बच्चे हैं.
मोटापे के मामले में भी हमारे देश के पुरुष 21 वें नंबर पर हैं और महिलाएं 19 वें नंबर पर आती हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च द्वारा किए गए इंडिया डायबिटीज 2023 की एक स्टडी से पता चला है कि 2021 में देश में 10.01 करोड़ लोग डायबिटीज के मरीज थे और 13.6 करोड़ लोग प्री- डायबिटीज यानी Diabetes की बॉर्डर लाइन पर थे. आपको यह भी जानना चाहिए कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के हालिया आंकड़ों से पता चला है कि 24 फीसदी हमारे देश की महिलाएं और 22.9% पुरुष मोटापे या फिर अधिक वजन से पीड़ित हैं.
हालांकि मोटापा और डायबिटीज को लेकर लगातार रिसर्च जारी है लेकिन इस बीच डेनमार्क की बड़ी कंपनी नोवो नॉर्डिस्क की ओर से एक ऐसे रसायन की खोज कर ली गई है जो हमारे डायबिटीज कैपिटल बनते देश के लिए 'संजीवनी' का काम करेगी. इस सेमाग्लूटाइड नामक रसायन से डायबिटीज की नई दवा ओजेम्पिक बनाई जा रही है. जो न केवल डायबिटीज के मरीजों के लिए संजीवनी है बल्कि मोटापे पर भी राम बाण की तरह काम करती है. हालांकि ये ओजेम्पिक अभी भारत में लांच नहीं हुई है लेकिन अमेरिका में टाइप टू मरीजों पर जमकर प्रयोग की जा रही है. इसके एक खुराक की कीमत 77,600 रुपये है.
नेशनल डायबिटीज ओबेसिटी कोलेस्ट्रॉल फाउंडेशन के निदेशक डॉ. अनूप मिश्रा कहते हैं कि ये दवा बहुत 'इफेक्टिव' है. लेकिन यह सभी मरीजों को नहीं दी जा सकती है.
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ओजेम्पिक ने मचाया तहलका
डायबिटीज की इस दवा ने दुनिया में तहलका मचा दिया है. ओजेम्पिक और उसके वैरिएंट्स न केवल डायबिटीज के मरीजों के लिए बल्कि मोटापे से ग्रसित लोगों के लिए संजीवनी साबित हो रही है. सेमाग्लुटाइट की ही राइबेल्सस भारत में 2022 में लांच की गई थी और फिर इसे हाथों हाथ लिया गया. ये दवा पैन्क्रियाज को इस्टीमुलेट कर देती है और इंसुलिन निकालने में जबरदस्त मदद करती है साथ ही ब्लड - शुगर को नियंत्रित भी करती है. इस दवा की खास बात यह है कि यह खाने की इच्छा को भी कम करती है.
सेमाग्लूटाइड से बनी दवा ने सबसे ज्यादा उन लोगों प्रभावित किया और उनलोगों का ध्यान खींचा जो मोटापे से ग्रसित थे. यही वजह है सेमोग्लूटाइड की अधिक खुराक के साथ एक इंजेक्शन 'वेगोवी' बनाया जिसे अमेरिकी फीड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (एफडीए) ने 2021 में हरी झंडी भी दे दी. लोग तब चौंके जब लोगों को हर हफ्ते सेमाग्लूटाइड का इंजेक्शन दिया गया और महज एक साल चार महीने में मोटे लोगों का वजन करीब 15% तक कम हो गया. इस एक 2.4 मिली ग्राम के इंजेक्शन को एक हफ्ते में एक बार लिया जाता है और इसकी कीमत करीब 1.08 लाख रु. है.
हालांकी, इस दवा का ओपरा विन्फ्रे और एलन मस्क ने प्रचार किया जिसके बाद वेगोवी खूब पॉपुलर हुई.
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कम हुए हुए हार्ट स्ट्रोक के खतरे
हालांकि वेगोवी दवा कड़े परीक्षण से गुजरी है. पता चला है कि सेमाग्लूटाइड दवा का जिस किसी ने भी सेवन किया है जिन्हें डायबिटीज नहीं भी थी जो सिर्फ मोटापे के शिकार थे ऐसे लोगों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक के खतरे लगभग 28 फीसदी तक कम हो गए.
सेमाग्लूटाइड के फायदे तो कंपनियां बहुत गिना रही हैं लेकिन इन दवाओं के साइड इफेक्ट्स भी खूब हैं. मेडिकल एक्सपर्ट का कहना है कि एक चौथाई मरीजों को इसके साइड इफेक्ट्स का सामना करना पड़ता है. मरीजों को भूख कम लगने के साथ साथ , जी मिचलाना, उल्टी- दस्त, पेट दर्द की शिकायत होती है.साथ ही इससे पेट में पैरालिसिस होने के खतरे से भी इनकार नहीं किया जा सकता है.
डॉ मिश्रा कहते हैं, "शुगर हो या फिर मोटापा उन मरीजों पर यह दवा इफेक्टिव बहुत है लेकिन यह सभी मरीजों को नहीं दी जा सकती है."
उन्होंने कहा कि थायरॉयड के मरीज हों या फिर पैनक्रियाज कैंसर के मरीज या फिर बात करें इंटेसटाइन कैंसर से जुड़े मरीजों की उन्हें ये दवा देते समय सावधानी बरतने की जरूरत होती है.
डायबिटीज के एक्सपर्ट और दिल्ली AIIMS में मेडिसिन के प्रोफेसर नवल किशोर विक्रम कहते हैं, "मोटापा और डायबिटीज के मरीजों के लिए ब्लॉक बस्टर है यह दवा."
वह कहते हैं कि ये दवा शरीर के अलग अलग जगहों पर अलग अलग तरह से काम करती है. ब्लड शुगर को नियंत्रित करना हो या फिर एपेटाइट को कंट्रोल करना या फिर बात करें ब्रेन पर असर करने की."
हालांकि ओजोम्पिक, वेगोवी के अलावा इस दवा के और भी कई वैरिएंट्स हैं जिसमें मौन्जारो, जैपबाउंड अभी भारत में मौजूद नहीं है. जबिक विकटोजा,राइबेल्सस और एप्लेबांट भारत में मौजूद है. राइबेल्सस डायबिटीज के टाइप-2 मरीजों के लिए इफेक्टिव है. भारत ने इस दवा को 2020 में मंजूरी दी और इसे लांच 2022 में किया गया. तीन एमजी, 7 एमजी और 14 एमजी में उपलब्ध इस दवा की कीमत क्रमश: 3,170 रु, 3,520 रु. और 3870 रु. है. जबकि इंजेक्शन में एक्सेनाटाइड जिसकी खुराक .005 मि.ग्राम है भारत में 2007 से है. इसकी 60 खुराक वाली दवा की कीमत 6,957 रु. है.
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