Eyes TB Signs: आंखों में तेजी से बढ़ रहा TB, धुंधलापन से लेकर लाल होने तक के लक्षण देते हैं, इस गंभीर बीमारी का संकेत

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 27, 2023, 03:16 PM IST

फेफड़ों और आंतों के बाद आंखों में टीबी का खतरा बढ़ता ही जा रहा है. इसके मरीजों की संख्या में काफी तेजी देखी गई है. इसकी मुख्य वजह समय रहते इसके लक्षणों को पहचान नहीं पाना है. ऐसे में इलाज में देरी के चलते अंधेपन के शिकार भी हो सकते हैं. 

डीएनए हिंदी: टयूबरक्लोसिस यानी टीबी घातक बीमारियों में से एक है. यह शरीर किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है. फेफड़े से लेकर आंत के टीबी के लक्षण तेजी से दिखने पर इस बीमारी को जल्दी से पकड़ लिया जाता है, लेकिन शरीर के दूसरे कई हिस्सो में इसके संक्रमण का पता काफी देर से लगता है. इन्हीं में आंखों का टीबी भी शामिल है. एक्सपर्टस की मानें तो आंख से लेकर दिमाग, हड्डी और स्पाइन का टीबी तेजी से बढ़ रहा है.

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आंखों में टीबी होने पर धुंधलापन, सिर में दर्द, तेज चमक और आंख लाल जैसे लक्षण दिखने लगते हैं. इन्हें दिखते ही आंखों के डाॅक्टर से परामर्श करना बेहद जरूरी है. इन लक्षणों के दिखने के बाद लापरवाही करने से आंखों की रोशनी तक जा सकती है

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टीबी की 2022 के रिपोर्ट के अनुसार, सिर्फ यूपी में ही एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी के केस फेफड़ों की टीबी के मामलों की तुलना में एक तिहाई हैं. यह टीबी का संक्रमण कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों को सबसे पहले अटैक करता है. यहां एक्सट्रा पल्मोनरी टीबी के एक लाख 12 हजार 268 से भी ज्यादा केस सामने आए थे.

किसी भी उम्र में हो सकता है आंखों का टीबी

आई एक्सपर्ट बताते हैं कि आंखों का टीबी किसी भी उम्र में हो सकता है. इसके मरीजों को इसकी जानकारी भी काफी दिनों बाद लगती है. जब तक यह पूरी तरह से आंखों को अपनी जद में ले लेता है. ज्यादातर लोग इसके लक्षण से लेकर दवाईयों से अनजान होने की वजह से इसे समय रहते नहीं पहचान पाते. वहीं इसे भी बड़ी चुनौती आंखों के टीबी रोगियों में दवा का शुरू करना है. डाॅक्टरों को टीबी रोगियों को सही करने के लिए टिशु पाॅजिटिव साक्ष्यों की जरूरत होती है. यह सिर्फ रोगी की आंखों से नमूना लेने पर भी संभव होता है, जो आम तौर पर बीमारी के बुरी तरह फैल जाने की वजह से नहीं मिल पाता. ऐसे में डाॅक्टर अपने अनुभव के आधार पर इनकी दवाई शुरू कर देते हैं. कुछ डाॅक्टर बिना जांच के टीबी की दवा शुरू करने से इनकार करते हैं, तो वहीं आंखों के डाॅक्टरों को मरीजों में फैल रही बीमारी को देखते हुए दवा शुरू करनी पड़ती है. बताया जा रहा है कि हर माह पांच से छह केस आंखों के टीबी के आते हैं. 

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अंधेपन का हो सकते हैं शिकार

डाॅक्टर बताते हैं कि फेफड़ों की टीबी न होने पर भी आंखों का टीबी हो सकता है. ऐसी स्थिति में मरीज की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है. अंधेपन का शिकार हो सकते हैं. आंखों में मोतियाबिंद, ग्लूकोमा के बाद अंधेपन की बड़ी वजह टीबी है. कई बार व्यक्ति को टीबी का संक्रमण न होने पर भी आंखों की टीबी होती जाती है. लक्षण पहचानने में देरी से आंख पूरी तरह से खराब हो जाती है. हालांकि आंखों की समय समय पर जांच कराने से बीमारियों से राहत पाई जा सकती है. 
 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)

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