डीएनए हिंदीः भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली ने डायबिटीज के मरीजों को बड़ा तोहफा दिया है. हां, इंसुलिन इंजेक्शन लेने वाले टाइप 1, टाइप 2 या किसी अन्य प्रकार के मधुमेह से पीड़ित मरीजों को न तो इंसुलिन के लिए पैसे खर्च करने होंगे और न ही इसे रोजाना खरीदने का दबाव झेलना पड़ेगा. एम्स दिल्ली ने मधुमेह के मरीजों को मुफ्त इंसुलिन उपलब्ध कराने का फैसला किया है.
दो नए काउंटर खोले गए
मंगलवार को डायबिटीज रोगियों को मुफ्त इंसुलिन देने की सुविधा शुरू हो गई है. डायबिटीज के उन रोगियों को यहां से इंसुलिन फ्री मिलेगी जिन्हें एम्स की किसी भी ओपीडी से इंसुलिन प्रस्क्राइब किया गया हो. यह मुफ्त सुविधा प्रदान करने के लिए एम्स ने न्यू राज कुमारी अमृत कौर ओपीडी भवन के सामने अमृत फार्मेसी में दो नए काउंटर खोले हैं.
रोजाना सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुलेंगे काउंटर
ये काउंटर रोजाना सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुले रहेंगे. इंसुलिन वितरण काउंटर इंसुलिन शीशियों के सुरक्षित घर ले जाने के लिए जमे हुए आइस पैक भी दिए जाएंगे.
सभी उम्र के मरीजों को मिलेगी सुविधा
प्रिस्क्राइब करने वाला चिकित्सक यह उल्लेख करेगा कि उस मरीज को कितनी शीशियां प्रदान की जाएंगी. इसके बाद केंद्र उन्हें उपलब्ध कराएगा. शुरुआत में इंसुलिन की शीशियां एक महीने की उपचार अवधि के लिए जारी की जाएंगी, जिसे भविष्य में 2-3 महीने तक बढ़ाया जा सकता है. यह सुविधा एम्स में इलाज कराने वाले मधुमेह के सभी मरीजों के लिए शुरू की जा रही है, फिर चाहे वे किसी भी उम्र के हों.
कई दवाइयां मिल रहीं फ्री अभी कुछ दिनों पहले एम्स में 63 दवाओं की संख्या और बढ़ाई गई थी. एम्स के जेनेरिक फार्मेसी में अब कुल 359 दवाएं मरीजों को फ्री में दी जा रही हैं. जिन दवाओं को शामिल किया गया है उनमें पाल्बोसिक्लिब, डेसैटिनिब, मेथोट्रेक्सेट, ट्राइमेजेट, मेस्ट्रोल एसीटेट और ल्यूकोवोरिन शामिल हैं. एम्स के निदेशक ने कहा कि इससे कई गरीब लोगों को फायदा होगा.
किनको लेने की जरूरत पड़ती है
इंसुलिन डायबिटीज टाइप 1 के रोगियों को हमेशा ही इंसुलिन लेनी होती है लेकिन टाइप 2 के रोगियों का पहले दवा से ही ब्लड शुगर कम किया जाता है लेकिन जब ब्लड शुगर पर दवा असर नहीं करती तब इंसुलिन के इंजेक्शन देने पड़ते हैं. यह कब और कैसे तय होता है कि अब दवा की जगह इंजेक्शन लेना होगा, आइए जानते हैं. ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए डाइट और एक्सरसाइज बहुत जरूरी है. हाई प्रोटीन और फाइबर वाली डाइट के साथ रोजाना कम से कम 45 मिनट की एक्सरसाइज ब्लड शुगर को मेंटेन करने और दवा को इफेक्टिव बनाने का काम करती हैं लेकिन कई बार ब्लड शुगर हाई रहने के कारण मरीज को इंसुलिन पर निर्भर होना पड़ता है.
ग्लूकेाज को करता है मेंटेन
इंसुलिन पैंक्रियास में बनने वाला वो हार्मोन हैं जो ब्लड में शुगर यानी ग्लूकेाज को मेंटेन करता है लेकिन जब ये हार्मोन किसी कारण वश एक्टिवेट नहीं होता या कम बनता है तब दवा और बाद में इंसुलिन की जरूरत पड़ती है. दरअसल इंसुलिन पेट के पिछले हिस्से की एक ग्लैंड है. कई कार्बोहाइड्रेट में ग्लूकोज की मात्रा होती है क्योंकि ग्लूकोज एक प्रकार से शुगर का ही हिस्सा है. डायबिटीज के मरीजों या कुछ स्थितियों में इंसुलिन की जरूरत पड़ती है.
इंसुलिन का महत्व
जब शरीर में ब्लड में ग्लूकोज की मात्रा ज्यादा होती है तो इंसुलिन ग्लूकोज को लीवर में जमा करने लगता है और ग्लूकोज तब तक नहीं निकलता तब तक ब्लड में शुगर का स्तर सामान्य नहीं होता. लेकिन डायबिटीज में इंसुलिन का उपयोग अच्छी तरह से नहीं बनने या उत्पादन होने के कारण बाहर से अतिरिक्त इंसुलिन लेने की जरूरत होती है. इंसुलिन की सुई कब लेनी चाहिए इंजेक्शन तब काम करता है, जब आपके मील और स्नैक्स से ग्लूकोज आपके ब्लडस्ट्रीम यानी रक्त प्रवाह में पहुंचने लगता है. इसलिए इंसुलिन की सुई भोजन करने से 10 - 15 मिनट पहले लेनी चाहिए. ध्यान रखें, यदि आपने इंजेक्शन ले लिया है, तो आपका कुछ खाना बेहद जरूरी है, वरना शुगर कम हो सकती है.
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