Breast Cancer: ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग में आया बड़ा बदलाव, रेडिएशन फ्री होगा चेकअप

Written By ऋतु सिंह | Updated: Oct 20, 2022, 05:36 AM IST

ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग में आएगा अब बड़ा बदलाव, रेडिएशन फ्री हो सकेगा चेकअप

Breast Cancer New Technology: ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग अब रेडिएशन फ्री हो सकेगी. महिलाओं के लिए ये एक वरदान से कम नहीं हैं.

डीएनए हिंदीः कांटेक्ट बेस स्क्रीनिंग को आसान बनाने में अब नई चिकित्सा पद्धति बहुत काम आएगी. रेडिएशन के कारण ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग से अब तक बहुत से नुकसान शरीर को होते थे लेकिन अब एक नई डिवाइस से रेडिएशन फ्री  स्क्रीनिंग हो सकेगी. 

युवा महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ते मामलों को देखते हुए जेनवर्क्स ने एक ऐसा डिवाइस ब्रेस्टर प्रो लॉन्च किया है जो महिलाओं के लिए वरदान होगी. ये डिवाइस बीमारी का जल्द पता लगाने में बेहद कारगर होने के साथ ही रेडिएशन फ्री होगी. 

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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर प्रिवेंशन एंड रिसर्च के अनुसार ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित दो में से एक महिला इस बीमारी के कारण दम तोड़ देती हैं. इससे होने वाली मृत्यु की वजह बीमारी का देरी से पता चलना है. स्क्रीनिंग के मौजूदा तरीके जैसे मोमोग्राफी और सोनोग्राफी आमतौर पर उम्रदराज महिलाओं के लिये हैं, क्योंकि पहले आमतौर पर 50 साल से अधिक उम्र की महिलाओं पर इसे किया जाता था.

ब्रेस्टर प्रो में लिक्विड क्रिस्टल थर्मोग्राफी नाम की एक तकनीक का इस्तेमाल अब किया जा रहा है जो ब्रेस्ट में उच्च तापमान वाले हिस्से का पता लगाता है. इससे समय रहते बीमारी का पता लगाने में मदद मिलती है. क्योंकि ट्यूमर के विकसित होने का संबंध उच्च तापमान से है जहां कैंसर कोशिकाएं विकसित होती हैं. यह डिवाइस स्टीमलेस शैम्पेन सॉसर की तरह नजर आता है और लिक्विड क्रिस्टल मैट्रिक्स तस्वीरों को दर्शाते हुए काम करता है, जोकि अंदरूनी टिशूज में तापमान के वितरण को दर्शाता है.

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इन थर्मोग्राफिक तस्वीरों को मूल्यांकन के लिये भेजा जाता है. दोनों ब्रेस्ट की तस्वीरों की व्याख्या और तुलना करके, उनका मूल्यांकन किया जाता है. डॉ. प्रिया गणेश कुमार मेडिकल डायरेक्टर साईनिवास हेल्थ केयर एवं क्लीनिकल एडवाइजर वीमन्स हेल्थ ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग के पीछे महिलाओं में समय रहते इस बीमारी का पता लगाना होता है. ब्रेस्टर प्रो एक संपर्क.आधारित डिवाइस है. इसलिए यह अधिक विशिष्टता दर्शाता है.

इस डिवाइस से मूल्यांकन के आधार पर यह बताया सकता है कि ट्यूमर बिनाइन है या नहीं. लिक्विड क्रिस्टलोग्राफी पैटर्न में सूजन और ट्यूमर एकसमान नजर आ सकता है. इस तरह के मामले में हम ब्रेस्टर के द्वारा दिए गए स्कोर के अनुसार चलते हैं. यदि यह स्कोर 5 या उससे ज्यादा है तो मरीजों को सोनोग्राफी करवानी ही पड़ती है. यदि यह स्कोर 0 और 2 के बीच है तो यह बिनाइन होता है. ब्रेस्टर की नेगेटिव रिपोर्ट मरीज के ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका को तीन गुना तक कम कर सकती है.

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मूल्यांकन संबंधी अध्ययनों से पता चला है कि ब्रेस्टर को मैमोग्राफी जैसे अन्य स्क्रीनिंग डिवाइस के साथ मिलाने से दक्षता में 9 प्रतिशत तक की वृद्धि हो सकती है. फाउंडर एमडी एवं सीईओ गणेश प्रसाद ने बताया कि क्योंकि अक्टूबर का महीना ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता का होता है इसलिए इस के उपरकरणों के बारे में लोगों को पता होना जरूरी है. 

(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)

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