डीएनए हिंदीः Health Problems In Ninth Month Pregnancy- प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को अपनी सेहत का खास ख्याल रखना बहुत ही जरूरी होता है. क्योंकि इस दौरान थोड़ी सी भी लापरवाही जच्चा-बच्चा दोनों की ही सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकता है. इस दौरान महिलाओं को कई स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है. खासतौर से प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों में महिला को शरीर में हो रहे बदलाव के कारण उल्टी, मतली, चक्कर आना जैसी तकलीफों का सामना करना पड़ता है और इस पूरे सफर के दौरान महिला को थकान और कमजोरी तो होती ही है. इसके अलावा, मूड स्विंग, बहुत ज्यादा नींद आना और खाने की क्रेविंग जैसी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन, प्रेग्नेंसी (Common Health Issues In Pregnancy) के अंतिम दिनों में यानी नौवें महीने के आसपास महिलाओं को कई तरह के हेल्थ इश्यूज का सामना करना पड़ता है, जिससे सावधानी बरतना बेहद जरूरी होता है. आइए जानते हैं इसके बारे में...
प्रेग्नेंसी के नौवें महीने बढ़ जाता है इन बीमारियों का खतरा
एक्सपर्ट्स के अनुसार जैसे-जैसे प्रेग्नेंसी का समय बढ़ता जाता है, वैसे वैसे प्रेग्नेंट महिला की समस्या में कमी आने लगती है. लेकिन, नौवें महीने में महिलओं को कई तरह की हेल्थ इश्यूज (Ninth Month Pregnancy Symptoms) हो सकते हैं. इसलिए ऐसी स्थिति में डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
वेरीकोज वेंस की समस्या
प्रेग्नेंसी में वेरीकोज वेंस का होना सामान्य है. बता दें कि इसका बच्चे की हेल्थ पर किसी तरह का बुरा असर नहीं पड़ता है. लेकिन, इसकी वजह से आपको गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है.
बार-बार पेशाब आने की समस्या
बता दें कि नौवें महीने तक गर्भ में पल रहे शिशु का वजन काफी बढ़ जाता है और शिशु का दबाव पेट के निचले हिस्से में ज्यादा पड़ता है. ऐसी स्थिति में पेशाब कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है.
पेट में स्ट्रेच मार्क्स होना
इसके अलावा प्रेग्नेंसी के आखिरी महीनों में अक्सर महिला के पेट में स्ट्रेच मार्क्स के निशान बनने लगते हैं. हालांकि इसके लिए बाजार में कुछ क्रीम मौजूद हैं, जिनकी मदद से स्ट्रेच मार्क्स को कम किया जा सकता है. बता दें किनकुछ महिलाओं में स्ट्रेच मार्क्स (Stretch Mark In Pregnancy) काफी ज्यादा दिखने लगते हैं.
हो सकती हैं ये समस्याएं
बता दें कि प्रेग्नेंसी के आखिरी समय में महिला को कई तरह की समस्याएं हो जाती हैं, इनमें पीठ में दर्द होना, संकुचन महसूस होना, वजाइनल ब्लीडिंग होना आदि शामिल है.
(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)
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