डीएनए हिंदी: महिलाओं और पुरुषों में हार्ट अटैक के संकेतों में थोड़ा बहुत अंतर जरूर होता है. अटैक तब आता है जब दिल को पहुंचने वाला खून अचानक रुक जाए. इसके चलते तमाम लक्षणों की सुनामी सी आ जाती है. हालांकि ऐसे सबूत भी मिले हैं जिनमें पाया गया है कि चेतावनी के संकेत घटना से महीने भर पहले से मिलने शुरू हो जाते हैं.
एक रिसर्च में सामने आया है कि हार्ट अटैक से महीने भर पहले महिलाओं में बेतहाशा थकान, नींद में खलल और सांस फूलने की समस्या नजर आने लगती है. इन लक्षणों का मतलब ये होता है कि दिल को पोषण से भरपूर खून और ऑक्सीजन नहीं मिल पा रहा है.
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पहला लक्षण तो ये होता है कि महिलाओं के सीने में दर्द उठने लगता है, जो कि बिल्कुल वैसा ही होता है जैसे कसरत करते समय पैरों की मांसपेशियों में खिंचाव या अकड़न.
चूंकि हमारे पूरे शरीर में बेशकीमती खून पहुंचाने के लिए हृदय ही जिम्मेदार होता है, ऐसे में किसी भी गड़बड़ी के चलते शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है.
सर्कुलेशन जर्नल में छपी एक स्टडी के मुताबिक 500 महिलाओं पर हुए अध्ययन में लगभग 95 फीसदी ने माना कि हार्ट अटैक से कुछ महीने पहले उन्होंने शरीर में अजीबोगरीब बदलव महसूस करने शुरू कर दिए थे.
इनमें सबसे ज्यादा ने थकान और नींद में दिक्कत की शिकायत की.
इस स्टडी में दिलचस्प ये रहा कि पुरुषों की तुलना में कुछ ही महिलाओं को चेस्ट पेन (chest pain) महसूस हुआ.
दरअसल, एक तरफ जहां बहुसंख्यक पुरुषों को हार्ट अटैक के दौरान चेस्ट पेन हुआ, वहीं महिलाओं में ज्यादातर को सांस फूलने की समस्या नजर आई.
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इन 12 लक्षणों को किसी भी तरह न करें नजरअंदाज
- बेवजह थकान
- नींद में परेशानी
- सांस फूलना
- अपच
- तनाव
- दिल की धड़कन बढ़ना
- हाथों में कमजोरी/ भारीपन
- सोचने या याद्दाश्त में बदलाव
- धुंधलापन
- भूख न लगना
- हाथों/ भुजाओं में झुनझ़नी
- रात में सांस लेने में परेशानी
महिलाओं और पुरुषों में लक्षणों में अंतर क्यों
महिलाओं और पुरुषों में हार्ट अटैक के लक्षणों में अंतर की वजह ये मानी जाती है कि पुरुषों की बड़ी आर्टरीज में प्लेक जमने लगता है, जो दिल की तरफ जाने वाले खून के साथ पहुंचने लगता है और जमा होता जाता है. वहीं महिलाओं में सांस फूलने की समस्या ज्यादा नजर आती है क्योंकि ये प्लेक उनके हार्ट की छोटी आर्टरीज में जमा होने लगते हैं.
जागरूकता से बच सकती है जान
एक्सपर्ट्स का कहना है कि वॉर्निंग साइन को जल्दी पहचान कर अपने डॉक्टर से बताना चाहिए. अपनी लाइफस्टाइल पर भी नजर रखनी चाहिए और खुद से ये सवाल करना चाहिए कि कहीं मैं जरूरत से ज्यादा आरामतलब तो नहीं हो गया? या कहीं मैं जरूरत से ज्यादा तला भुना तो नहीं खा रहा? या खुद से पूछें कि आपने पिछली बार कसरत, साइकिलिंग, सीढ़ियां चढ़ने जैसी शारीरिक श्रम वाली चीजें कब की थीं? एक्सपर्ट्स का कहना है कि तंबाकू सेवन से बच कर, शारीरिक गतिविधियों को बढ़ा कर और खान पान पर ध्यान देकर हम रिस्क फैक्टर्स को खुद से दूर रख सकते हैं.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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