डीएनए हिदीः खून की कमी यानी हीमोग्लोबिन कम होने से शरीर को अंदर ही अंदर खोखला करती जाती है और इससे चिड़चिड़ापन ही नहीं, शरीर का कमजोर होना, नींद की कमी, बालों का झड़ना और आंख और सिर में दर्द के साथ कई और तरह की समस्या का सामना करना पड़ता है. कब्ज से लेकर थकान- कमजोरी जैसे लक्षण खून की कमी के होते हैं. खून की कमी को एनिमिया के नाम से जाना जाता है.
पुरुषों की तुलना में महिलाओं में एनिमिया की दिक्कत ज्यादा नजर आती है. यहां आपको कुछ ऐसी आयुर्वेदिक औषधि के बारे में बताने जा रहे हैं जो एनीमिया को दूर करने में बहुत ही कारगर होते हैं. साथ ही ये एनिमिया से शरीर में होने वाली दिक्कतों को भी दूर करती हैं
क्या है एनीमिया के खतरे?
एनीमिया का सही समय पर सही इलाज न हो तो ये जानलेवा हो सकता है. एनीमिया के कारण खून में ऑक्सीजन कम होता जाता है इससे शरीर के विभिन्न अंगों के साथ ही सेल्स को सही से ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है. इससे दिल से लेकर फेफड़े तक को नुकसान होता है. यदि इसे अनुपचारित छोड़ दिया जाए, तो एनीमिया बहु-अंग विफलता का कारण बन सकता है.
आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया के लक्षणों में कमजोरी, चक्कर आना, सिरदर्द, पीली या पीली त्वचा, अनियमित दिल की धड़कन और भंगुर नाखून शामिल हैं. इसके उपचार में आयरन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन और आयरन सप्लीमेंट लेना शामिल है. कुछ गंभीर मामलों में लाल रक्त कोशिका आधान भी शामिल हो सकता है.
एनीमिया कितने दिन में ठीक होता है?
एनीमिया को ठीक होने में छह से नौ महीने का समय लगता है. इसमें आयरन, फॉलिक एसिड और विटामिन बी12 के सप्लीमेंट्स भी लिए जा सकते हैं. आयरन की गंभीर कमी को इंट्रावीनस आयरन थेरेपी के द्वारा ठीक किया जा सकता है.
एनीमिया के लक्षण क्या है? What are the symptoms of anemia?
- थकान
- दुर्बलता
- हल्की या पीली त्वचा
- अनियमित दिल की धड़कन
- सांस लेने में कठिनाई
- चक्कर आना
- हल्कापन महसूस होना
- छाती में दर्द
इन आयुर्वेदिक औषधि से दूर होगी खून की कमी
आंवला
एनीमिया में आंवला के चूर्ण को रोजाना सुबह गर्म पानी में मिलाकर पी सकते हैं. इससे खून बढ़ता है और रक्त कोशिकाओं की संख्या में इजाफा होता है. यह फल मूलरूप से खट्टा होता है, जो कि एनीमिया के इतर अन्य बीमारियों में भी उपयोगी है. खासकर पित्त से संबंधित बीमारियों में इस फल का इस्तेमाल किया जाता है. यह फल विटामिन-सी का अच्छा स्रोत है और परिसंचरण तंत्र से जुडी बीमारियों का इलाज करने में मदद करता है.
शतपुष्पा
शतपुष्पा कब्ज की समस्या को बेहतर करता है, हड्डियों की कमजोरी दूर करता है और इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाने में महति भूमिका निभाता है. आप किसी आयुर्वेदिक विशेषज्ञ की सलाह पर इसका सेवन कर सकते हैं.
हरीतकी
हरीतकी के छिलके का पाउडर को गर्म पानी के साथ मिलाकर खाने से शरीर में खून की मात्रा बढ़ती है. लेकिन गर्भवती महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए. यह उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा स कता है. खैर, हरीतकी के सेवन से एनीमिया के साथ-साथ पाचन तंत्र भी बेहतर होता है. असल में हरीतकी ऐसे पोषक तत्व को अवशोषित करने में मदद करती है, जिससे शरीर में खून बढ़ता है. इस तरह यह एनीमिया के मरीजों के लिए उपयोगी आयुर्वेदिक जड़ी बूटी बन जाती है.
अशोक
अशोक का पेड़ के फूल लाल रंग के होते हैं. यह आयुर्वेदिक जड़ी महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी है. ये रक्तस्राव की समस्याएं कम करता है, स्किन के लिए उपयोगी है और फीमेल हार्मोन को भी बैलेंन करेन का काम करता हैं. यह पाचन से जुड़ी समस्याओं के लिए भी कारगर हो सकता है. इसके अलावा यह कृमि संक्रमण के प्रबंधन में उपयोगी हो सकता है. यहां तक कि दर्द कम करने के लिए प्रभावित जगह पर अशोक का लेप लगाया जा सकता है. इससे दर्द से राहत मिलती है.
शतावरी
शतावरी के उपयोग से तनाव, मूड स्विंग, हार्मोनल बदलाव जैसी बीमारियों में भी किया जाता है. इसके अलावा, शतावरी रेसमोसस पौधे से प्राप्त होती है और आयुर्वेद के अनुसार यह एनीमिया के लिए एक अच्छा उपाय माना जाता है. शतावरी को एक पेय के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. आप चाहें तो इसको दूध के साथ मिलाकर भी सेवन कर सकते हैं.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.