डीएनए हिंदीः एक शोध के अनुसार देर रात सोने से मधुमेह का खतरा 19% तक बढ़ सकता है. ऐसा क्यों होता है और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, चलिए इस खबर के जरिए बताते हैं. जो देर रात तक जागते हैं और सुबह के समय झपकी लेते हैं उनमें शुगर हाई होने का खतरा ज्यादा होता है.
कुछ लोगों में यह आनुवांशिक प्रवृत्ति हो सकती है, वहीं कुछ लोग ऑफिस शिफ्ट के कारण या आदत के कारण देर तक जाग सकते हैं. रात को जागना कई बीमारियों के प्रति आपके शरीर को संवेदनशील बना देता है, क्योंकि वे नाश्ता छोड़ देते हैं और दिन के दौरान अधिक खाते हैं. उनमें पेट की चर्बी या पेट की चर्बी विकसित होने की संभावना भी अधिक होती है जो आगे चलकर टाइप 2 मधुमेह और हृदय रोग का कारण बन सकती है. हाल के शोध से पता चला है कि नाइट आउल यानी रात को जागने वाले में मधुमेह का खतरा 19% तक बढ़ सकता है.
1. बाधित सर्कैडियन लय (Disrupted circadian rhythm)
हमारे शरीर में एक प्राकृतिक सर्कैडियन लय होती है जो ग्लूकोज चयापचय सहित विभिन्न शारीरिक प्रक्रियाओं को नियंत्रित करती है. रात्रि उल्लू की नींद का पैटर्न अनियमित होता है, जो इस लय को बाधित कर सकता है और रक्त शर्करा नियंत्रण पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है.
2. नींद की खराब गुणवत्ता
रात्रि उल्लू अक्सर खराब नींद की गुणवत्ता का अनुभव करते हैं, जिससे नींद की कमी हो जाती है. अपर्याप्त नींद के परिणामस्वरूप इंसुलिन प्रतिरोध हो सकता है, जो टाइप 2 मधुमेह की एक परिभाषित विशेषता है.
3. अनहेल्दी खान-पान की आदतें
देर रात स्नैकिंग करना रात के उल्लुओं की एक आम आदत है, और इन स्नैक्स में अक्सर चीनी और अस्वास्थ्यकर वसा की मात्रा अधिक होती है. लगातार खराब आहार विकल्प वजन बढ़ाने और मधुमेह के खतरे को बढ़ाने में योगदान दे सकते हैं.
4. शारीरिक गतिविधियों की कमी
रात्रिकालीन उल्लू को अपने देर रात के कार्यक्रम के कारण नियमित व्यायाम के लिए समय निकालने में कठिनाई हो सकती है. शारीरिक निष्क्रियता टाइप 2 मधुमेह के लिए एक ज्ञात जोखिम कारक है.
5. तनाव
अनियमित नींद के पैटर्न और सामाजिक जेटलैग तनाव के स्तर को बढ़ा सकते हैं और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकते हैं. दीर्घकालिक तनाव और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं मधुमेह के बढ़ते जोखिम से जुड़ी हैं.
इन जोखिमों को कम करने के लिए बेहतर नींद स्वच्छता, स्वस्थ भोजन की आदतें, नियमित शारीरिक गतिविधि और तनाव के लिए प्रयास करना चाहिए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)
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