डीएनए हिंदीः कोलेस्ट्रॉल का उच्च स्तर पित्ताशय की थैली में विकारों का कारण भी होता है. जैसे कि कोलेस्ट्रॉल और पित्त पथरी की बीमारी से जुड़ा हुआ है. इसके अलावा, मोटापे को कोलेस्ट्रॉल पित्त पथरी रोग के लिए मुख्य जोखिम कारक माना जाता है.
National Center for Biotechnology Information के अनुसार पित्त पथरी तब बनती है जब पित्ताशय में पित्त जमा हो जाता है और पत्थर जैसी सामग्री में कठोर हो जाता है. बहुत अधिक कोलेस्ट्रॉल, पित्त लवण, या बिलीरुबिन (पित्त वर्णक) पित्त पथरी का कारण बन सकते हैं. जब पित्ताशय में ही पथरी हो जाती है तो इसे कोलेलिथियसिस कहते हैं.
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Johns Hopkins Medicine के अनुसार किडनी स्टोन से गॉलब्लैडर का स्टोन अलग होता है. क्योंकि किडनी स्टोन कैल्शियम के क्रिस्टल से बनते हैं, जबकि गॉलब्लैडर का स्टोन कोलेस्ट्रॉल यानी गंदे वसा से बनते हैं. इसलिए इसके लक्षण भी अलग होते हैं.
गॉलब्लैडर का स्टोन के लक्षण और जोखिम भी जान लें
पित्त की थैली में स्टोन हो तो अचानक दर्द होता है, जो कंधे के ब्लेड के बीच या फिर दाहिने कंधे के बीच पीठ के ऊपरी हिस्से या फिर पेट के बीच में महसूस होता है. ये दर्द आमतौर पर 20 मिनट से एक घंटे तक रह सकता है.
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पित्त की थैली अगर यूरिनेरी ट्रेक में अटक जाए अटक जाए तो जानलेवा साबित हो सकती है. क्योंकि, यह बाइल डक्ट को बंद कर देती है और इसमें इंफेक्शन बनने लगता है. कई बार ये कैंसरस भी हो जाती है. इसलिए इसे निकालना बहुत जरूरी है.
पित्त की थैली में पथरी के लक्षण
- पेशाब का रंग गहरे भूरे या चमकीले पीले रंग में बदलना
- पेट की ऊपरी हिस्से में लगातार दर्द रहना
- कंधों के बीच में दर्द
- अपच व पेट फूलना
- दाएं कंधे में दर्द
- जी मिचलाना
- उल्टी
- बुखार
- ठंड लगना
- पीलिया
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बता दें कि पित्त की थैली से पथरी निकालने के लिए सर्जरी की जरूरत पड़ती है. कई बार डॉक्टर ओरल डिस्सॉल्यूशन थेरेपी से पथरी को पित्ताशय की पथरी को गला देते हैं.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें।)
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