HIV Treatment Good News: क्या एचआईवी से ठीक हो सकते हैं मरीज? पहली बार एड्स काे मात दे चुकी है एक महिला

ऋतु सिंह | Updated:Dec 01, 2022, 12:15 PM IST

HIV Treatment Good News: क्या एचआईवी से ठीक हो सकते हैं मरीज? पहली बार एड्स काे मात दे चुकी है महिला

क्या एचआईवी के मरीज ठीक हो सकते हैं? आपके मन में भी ऐसे सवाल हैं तो जान लें यूएस में एक महिला एचआईवी ही नहीं, एड्स तक से ठीक हो चुकी है. कैसे? जानें.

डीएनए हिंदीः एचआईवी का लास्ट स्टेज एड्स होता है और अब तक ये माना जाता था कि एचआईवी के साथ तो भले ही इंसान जी सकता है लेकिन एड्स होने के बाद जिंदगी लंबी नहीं होती है. लेकिन आपको जानकार आश्चर्य होगा कि स्टेमसेल ट्रांसप्लांट से एचआईवी को भी ठीक किया जा सकता है और ऐसा यूएस की महिला के साथ हो चुका है, जो ब्लड कैंसर की भी मरीज थी. 

पहली बार एड्स से ठीक हुई महिला स्टेमसेल ट्रांसप्लांट के जरिये ट्रीटमेंट ली और वह एक बेहतर लाइफ जी रही है. अमेरिका के वैज्ञानिकों ने पहली बार स्टेमसेल ट्रांसप्लांट के जरिये एड्स संक्रमित महिला का ट्रीटमेंट कर उसे इस जानलेवा कर उसे वायरस से मुक्त करने में सफलता पाई है. स्टेमसेल एक ऐसे व्यक्ति ने दान किए थे. जिसके अंदर एचआइवी वायरस के खिलाफ कुदरती प्रतिरोधक क्षमता थी.

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कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की डॉ. इवोन ब्राइसन और बाल्टीमोर की जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी की डॉ डेब्रा परसॉड ने अपने अध्ययन में पाया था कि गर्भनाल के खून का इस्तेमाल करके एचआईवी को ठीक किया जा सकता है और ये ल्युकेमिया यानी ब्लड कैंसर की मरीज रही महिला पर काम कर भी गइ. महिला लगभग 1 साल से  बेहर स्वस्थ महसूस कर रही है. महिला अब बिना किसी दवा के ही हेल्दी है और वह दुनिया की पहली महिला और कुल तीसरी मरीज है. अब तक दुनियाभर में केवल 3 लोग ही इस बीमारी से ठीक हो पाए हैं.

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महिला को 2013 में चला था बीमारी का पता
साल 2013 में महिला को HIV संक्रमित होने का पता चला था.करीब 4 साल बाद, उसे ल्यूकेमिया के बारे में पता चला.इस ब्लड कैंसर का इलाज हैप्लो-कॉर्ड ट्रांसप्लांट के जरिये किया गया.साल 2017 में महिला का आखिरी ट्रांसप्लांट किया गया.वह पिछले 4 सालों से ल्यूकेमिया से ठीक है.ट्रांसप्लांट के 3 साल बाद डॉक्टरों की टीम ने उनका HIV इलाज बंद कर दिया था.इसके बाद से वह किसी वायरस की चपेट में नहीं आई हैं.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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