भारत समेत दुनियाभर के अन्य देशों के लिए वायु प्रदूषण (Air Pollution) एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, खराब हवा लोगों को गंभीर रूप से बीमार बना रही है और इसके कारण लोग कई तरह की गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. हाल ही में आई एक स्टडी के मुताबिर वायु प्रदूषण और लगातार बढ़ता तापमान दुनियाभर में बढ़ते स्ट्रोक (Stroke) के मामलों के प्रमुख कारण में से एक है. यह स्मोकिंग (Smoking) से कई गुना अधिक खतरनाक साबित हो रहा है. आइए जानते हैं क्या कहती है स्टडी
क्या कहती है स्टडी?
द लांसेट न्यूरोलॉजी जर्नल में पब्लिश एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, 204 देशों में स्ट्रोक (Stroke Risk Factor) से होने वाली मौतों के कारण, रिस्क फैक्टर्स आदि का आकलन करने के लिए 1990 से 2021 तक के आंकड़ों को स्टडी किया गया है, जो 2021 में प्रकाशित नवीनतम ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) अध्ययन का विश्लेषण है.
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इस स्टडी के मुताबिक लैटिन अमेरिका, मध्य एशिया और अफ्रीका के साथ दक्षिण एशिया उन जगहों में से एक है, जो बाहरी वायु प्रदूषण स्ट्रोक से होने वाली मौत और विकलांगताओं के लिए एक बड़ा रिस्क फैक्टर है. पश्चिमी यूरोप या उत्तरी अमेरिका के विपरीत दक्षिण एशिया में घरेलू वायु प्रदूषण के कारण स्ट्रोक से जुड़ी मौतें और विकलांगताएं बहुत ही ज्यादा है, जिससे पता चलता है कि कैसे स्ट्रोक और संबंधित कारण विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग होते हैं.
स्मोकिंग से कई गुना ज्यादा खतरनाक है वायु प्रदुषण
स्टडी के मुताबिक हाई सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर के बाद वायु प्रदूषण दुनिया भर में स्ट्रोक से संबंधित मौतों और विकलांगताओं का दूसरा सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर था. चिंता की बात यह है कि धूम्रपान को भी पीछे छोड़ते हुए वायु प्रदूषण दुनियाभर में स्ट्रोक के लिए दूसरा सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर बन गया है.
इस स्टडी के मुताबिक वायु प्रदूषण से स्ट्रोक का खतरा 16.6 प्रतिशत था और धूम्रपान से इसका खतरा 13.3 प्रतिशत था. बताते चलें कि इस अध्ययन में कहा गया कि साल 2021 में दुनिया में कुल 11.9 मिलियन नए स्ट्रोक के मामले सामने आए हैं.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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