डीएनए हिंदी: कोरोना (Coronavirus) महामारी के इस दौर में हम धड़ल्ले से एंटीबायोटिक्स का उपयोग कर रहे हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसके लगातार इस्तेमाल से आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर गहरा असर पड़ता है? बढ़ती महामारी के बीच हाल ही में कोविड टास्क फोर्स (Covid Task Force) ने गाइडलाइंस को लेकर कुछ बदलाव किए हैं. इसमें डॉक्टर्स को स्टेरॉयड के इस्तेमाल को लेकर चेताया गया है. इस दौरान कहा गया कि इसका अनुचित उपयोग दूसरे संक्रमण (म्यूकरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस) का कारण बन सकता है. ऐसे में आम लोगों का भी स्टेरॉयड्स और एंटीबायोटिक्स के बारे में जानकारी हासिल करना जरूरी हो गया है.
क्या है Antibiotics?
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (Centers for Disease Control and Prevention) के अनुसार, एंटीबायोटिक्स को एंटीबैक्टीरियल भी कहा जाता है. बैक्टेरियल इंफैक्शन्स से लड़ने के लिए यह बहुत ही शक्तिशाली दवा है. यानी जब शरीर में मौजूद श्वेत रक्त कोशिकाएं (White Blood Cells) बैक्टीरिया को खत्म नहीं कर पाती हैं तब एंटीबायोटिक दवा के जरिए प्रतिरोधी जीवाणु शरीर में भेजे जाते हैं. इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अगर इन्हें सही तरीके से लिया जाए तो जीवन को बचाया जा सकता है लेकिन ये हर बीमारी के लिए कारगर नहीं हैं. साथ ही दूसरी दवाओं की तरह एंटीबायोटिक्स के भी कुछ साइड इफैक्ट होते हैं.
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संक्रमण के इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स बेहद जरूरी हैं, इससे कई जानें भी बचाई गई हैं. हालांकि डॉक्टर की सलाह के बगैर इसका उपयोग घातक साबित हो सकता है. हर बीमारी के लिए अलग प्रकार के एंटीबायोटिक्स होते हैं जिसे डॉक्टर की सलाह से ही समझा जा सकते है. ध्यान रहे कि हर इंसान के शरीर के मुताबिक अलग एंटीबायोटिक्स लाभ देते हैं, इसलिए किसी दूसरे व्यक्ति के लिए दिए गए एंटीबायोटिक्स का सेवन कतई न करें.
इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली महिलाओं, किडनी या लिवर की समस्या से जूझ रहे लोगों को भी एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल से बचना चाहिए.
क्या हैं साइड इफेक्ट्स?
वहीं बात अगर इससे होने वाले साइड इफैक्ट की करें तो सबसे ज्यादा गंभीर संक्रमण के लिए दी जाने वाली क्लिंडामाइसिन एंटीबायोटिक दवा के दुष्प्रभाव अधिक दिखाई देते हैं. हालांकि पेनिसिलीन, सेफैलोस्पोरिन और इरिथ्रोमाइसिन के इस्तेमाल से भी ये लक्षण दिखाई दे सकते हैं. इनमें मुंह, पाचन मार्ग और योनि का फंगल इन्फेक्शन, किडनी स्टोन का निर्माण, असामान्य ब्लड क्लॉटिंग, बड़ी आंत में सूजन आ जाना, एलर्जिक रिएक्शन, मोटापा बढ़ना, आदी जैसी समस्या शामिल हैं.
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क्या होते हैं स्टेरॉयड?
स्टेरॉयड्स को कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स भी कहा जाता है. यूनाइटेड किंगडम नेशनल हेल्थ सर्विस के अनुसार, ये एंटी-इंफ्लेमैट्री दवाएं होती हैं जो अस्थमा, क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिसीज (COPD), हे फीवर, हाइव्स और एक्जीमा, जोड़ों या मांसपेशियों में दर्द जैसी कई तरह की परेशानियों के इलाज में इस्तेमाल की जाती हैं.
कैसे करते हैं काम?
स्टेरॉयड्स, हार्मोन्स का इंसान का बनाया हुआ वर्जन है जिसे किडनी के ऊपर पाए जाने वाले दो छोटे ग्लैंड्स तैयार करते हैं. अगर शरीर के स्टेरॉयड तैयार करने वाली मात्रा से ज्यादा डोज लिया जाए तो यह लालपन और सूजन को कम कर देता है. यह अस्थमा और एक्जीमा जैसी स्थिति के लिए फायदेमंद होता है. स्टेरॉयड्स इम्यून सिस्टम की गतिविधि को भी कम कर देते हैं. वहीं अगर स्टेरॉयड्स को कम समय के लिए या छोटे डोज में लिया जाए तो इनके खास साइड इफेक्ट्स नहीं होते.