Prevent Heart Attack: कहीं बढ़ता तनाव तो नहीं बन रहा हार्ट अटैक की वजह, सुनिए डॉक्टर की राय

Written By सुमन अग्रवाल | Updated: Nov 11, 2022, 04:08 PM IST

Heart Attack से बचना है तो मानसिक हेल्थ पर रखें ज्यादा ध्यान. ये है सबसे बड़े कारण, हार्ट अटैक से बचने के लिए अपनाएं ये मंत्र

डीएनए हिंदी: 6 Steps to Prevent Heart Attack- आज अगर हम देखें तो कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD) और हार्ट अटैक (Heart Attack) एक महामारी (एपिडेमिक) के रूप में सामने आ रही है. पहले 50 की उम्र के बाद हार्ट अटैक का खतरा होता है लेकिन आजकल उससे पहले ही दिल की बीमारी बढ़ती जा रही है. अगर 35 साल से कम की उम्र में ये बीमारी होने लगती है तो उसे युवा कोरोनरी आर्टरी डिजीज कहते हैं. आज हमने जीबी पंत अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर मोहित गुप्ता से इस बारे में बात की और जाना कि आजकल कम उम्र में ही क्यों हार्ट अटैक का खतरा बढ़ रहा है. उन्होंने इसे रोकेने के लिए 6 जरूरी कदम उठाने की बात कही, उनका फॉर्मूला है A,B, C, D, E, F 

धूम्रपान- धूम्रपान एक बहुत नकारात्मक कारण है. युवाओं में आजकल सबसे ज्यादा यही देखनो को मिलता है. युवा, बच्चे, लड़का हो या लड़की हर कोई किसी ना किसी रूप में धूम्रपान को अपनाते हैं. वो इसे एक फैशन के रूप में देखते हैं. 

दूसरा जोखिम है जीवनशैली,डाइट,हमारे सोचने का तरीका, हमारे खाने का तरीका, हमारे सोने का तरीका. 

तीसरा कुछ आनुंवांशिक कारण होते हैं, वो कोरोनरी आर्टरी डिजीज जो हमारे परिवारों में है, जिसकी वजह से आने वाली पीढ़ी भी इससे जूझती है. इसके अलावा जिन्हें कोलेस्ट्रॉल रहता है और वो भी ज्यादा मात्रा में. पांचवा मुख्य कारण है तनाव और गुस्सा. हम रोजाना की जिंदगी में बहुत स्ट्रेस लेते हैं, जिसकी वजह से दिल की बीमारी बढ़ जाती है. धूम्रपान और तनाव ये दोनों आज के समय में हार्ट अटैक के सबसे अहम कारण बनते जा रहे हैं. 

किसी बच्चे को या युवा व्यक्ति को मधुमेह है, धूम्रपान की आदत है, कोई आनुवंशिक कारक है, या कोई ज़्यादा गंभीर ह्रदय सम्बन्धी समस्या है और अगर वो जोखिम कैलकुलेट करता है  जिसे हम Atherosclerotic Cardiovascular Disease कहते हैं, जिसके कैलकुलेटर्स उपलब्ध होते हैं और अगर वो जोखिम बढ़ जाता है तो वह क्लीनिकल सीएडी ग्रुप के अंदर आ जाता है. ऐसे दो ग्रुप्स को काफी रोकथाम की आवश्यकता होती है

इसलिए जरूरी है कि हम कुछ कदमों को उठाएं और हार्ट अटैक के रिस्क से खुद को बचाएं. हम बी, सी, डी, ई इस तरह से इसे देख सकते हैं. 

ABCDEF के मंत्र से बच सकते हैं 

बी- बीपी कंट्रोल- आप कितने भी फिट हों, लेकिन किसी भी वजह से बीपी बढ़ सकता है, पारिवारिक कारण हो या फिर कोई और वजह, बीच बीच में इसकी चेकिंग करते रहें. महीने में, 3 महीने में एक बार जरूर चेक करें. 

जैसे हम ब्लड प्रेशर को कण्ट्रोल करते हैं, उसी प्रकार मन पर पड़ रहे दबाव को भी हमें कण्ट्रोल करना चाहिए. यानी तनाव,  इसे नियंत्रित करने के लिए बहुत आसान तरीका है, जीवन के अंदर शान्ति और ख़ुशी के इंडेक्स को रोज़ देखें. आज मैंने पूरे दिन जो कार्य किया, वह ख़ुशी के लिए किया या ख़ुशी से किया. हर कार्य को करते हुए आनंद और ख़ुशी का निर्माण करें. हमें जीवन को रेस नहीं बनाना है, वैसे भी जीवन भाग रहा है. इसलिए हर पल इस जीवन के अंदर आनंद और ख़ुशी को भरें. जब आपका मन संतुलित और संयम के अंदर होता है, हर कार्य में ख़ुशी का निर्माण करते हैं, तनाव हमारे मन से रिलीज़ हो जाता है और शरीर पर दबाव भी काफी कम हो जाता है.

तीसरा कदम है सी यानी सिगरेट. सिगरेट और धूम्रपान हमारे ऊपर बहुत गहरा प्रभाव छोड़ते हैं, चाहे वो किसी भी प्रकार की धूम्रपान हो. चाहे वो बीड़ी हो, तम्बाकु, गुटका, हुक्का हो, कई बार हम पार्टीज में भी हुक्का गुड़गुड़ाते हैं,यह बहुत-बहुत ज़्यादा हानिकारक है. एक सिगरेट में 500 ऐसे पदार्थ होते हैं जिनसे कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं. धूम्रपान चाहे किसी भी रूप में हो, उसे बिलकुल बंद कर देना चाहिए. सी के साथ कोलेस्ट्रॉल भी जुड़ा होता है. यह बहुत ज़रूरी है कि आप साल के अंदर अपना एनुअल लिपिड प्रोफाइल ज़रूर चेक कराएं, ताकि हमें पता चले कि सब नियमों पर चलते हुए कहीं ऐसा तो नहीं है कि कहीं मेरा कोलेस्ट्रॉल आनुवंशिक कारणों से बढ़ रहा है, क्योंकि लिपिड का उच्च होना, एलडीएल का उच्च होना, न्यू रिस्क फैक्टर है, इन सबका आपके जीवन में ख़राब होना. 

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इसी सी से कम्पटीशन की भावना, अपने जीवन में क्रिटिसिज्म (आलोचना) की भावना, इन दो भावनाओं को आज ही त्याग दीजिये, जीवन में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा ज़रूर रखिये लेकिन इतनी प्रतिस्पर्धा न रखिये जो आपका सुख व चैन खो जाए, दूसरे लोगों को बार बार क्रिटिसाइज़ करना, उनकी कंप्लेंट करना, ये तीन सी हमारे जीवन की ख़ुशी को नष्ट कर देते हैं. हमारे सुख और चैन खो जाते हैं तो आप कार्य करें लेकिन इन तीनों शब्द को अपने जीवन की के शब्दकोष से हटा दीजिये

चौथा आता है- डी, डी यानी डाइट, हेल्दी डाइट. अच्छी डाइट बहुत आवश्यक है, स्वयं को अच्छी डाइट खिलाना, अच्छा भोजन करना, फल खाना, पानी अच्छा पीना, दही खाना, घी, तेल का उचित मात्रा में उपयोग करना, बहुत आवश्यक है. हेल्दी डाइट हो, शाकाहारी डाइट हो, ग्रीन डाइट हो, जो हमारे शरीर को सुकून और आराम देती है, हमारे सारे अंगों को संतुलित रखती है. इसे स्मार्ट डाइट कहा जाता है. रात को देरी से भोजन करना, यह शरीर के लिए ज़हर का कार्य करता है. चाहे आप यंग हैं डयनमिक हैं, ऊर्जावान (एनर्जेटिक) हैं, लेकिन बहुत आवश्यक है कि जीवन को संयम में रखें, एक पटरी पर चलकर रखें, कुछ नियम, मूल्य अपने जीवन के अंदर बनाकर रखिये, जिसके द्वारा आप अपनी बीमारी को नियंत्रण में रख सकते हैं. 

डी के साथ एक और जुड़ा होता है डायबिटीज, साल में कम से कम एक बार शुगर का चेक कराना बहुत आवश्यक है, यदि आपको डायबिटीज नहीं है, ताकि हम अपने आपको फॉलो कर सकें और जो युवा भाई बहन मधुमेह से ग्रस्त हैं, उन्हें अपने चिकित्सक से परामर्श करके मधुमेह सम्बन्धी मापदंड को बिलकुल नियंत्रण में रखना चाहिए क्योंकि मधुमेह जितनी मीठी होती है, उतनी हमारे दिल के लिए बहुत बहुत कड़वी होती है. इसके अलावा अपने मन को भी अच्छी डाइट खिलाएं. 

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इसके बाद आता है, ई- ई यानी पर्याप्त एक्सरसाइज (व्यायाम). यदि हम हार्ट अटैक से बचना चाहते हैं, व्यायाम करना बहुत ज़रूरी है, चाहे आप मोटे हैं, पतले हैं, किसी भी प्रकार के हैं, लेकिन कम से कम सप्ताह में 5 दिन, कुल एक्सरसाइज 150 मिनट से 200 मिनट तक करते हैं, तेजी से चलते हैं, यह आपके लिए, बहुत लाभ देती है. ऐसा कहा जाता है कि यदि आप दिन में 45 मिनट व्यायाम करते हैं, तो आपके जीवन में 45 मिनट जुड़ जाते हैं. रोज़ एरोबिक एक्सरसाइज, कार्डियक एक्सरसाइज, योगा भी आप यदि नियमित रूप से कर सकते हैं और कभी-2 मसल ट्रेनिंग भी कर सकते हैं. यह व्यायाम ब्रेन जिम की तरह कार्य करती है, यह ब्रेन को पॉजिटिव हॉर्मोन्स का निर्माण करती है, endorphins और enkephalins हमारे ब्रेन को ख़ुशी देते हैं. ऐसे व्यायाम जब हम करते हैं तो शरीर को बहुत सुकून देते हैं. जैसे हम शरीर के लिए व्यायाम करते हैं, ऐसे हम अपने मन को भी यह संकल्प दें कि हम एक सुन्दर एक्सरसाइज करेंगे, यह एक्सरसाइज है, अपने मन को सदा हल्का रखना. 

इसलिए हमें हार्ट अटैक से बचने के लिए ए, बी, सी, डी, ई, एफ का सूत्र अपनाना होगा. तभी हम इस बीमारी से बच सकते हैं, सिर्फ शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक रूप से भी बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है

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Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.) 

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