Diabetes Micronutrients Remedy: ये 7 माइक्रोन्यूट्रिएंट्स ब्लड शुगर को झट से करते हैं कम, डायबिटीज में इसकी कमी दवा-इंसुलिन को करती है बेअसर

ऋतु सिंह | Updated:Jun 06, 2023, 06:33 AM IST

डायबिटीज में 7 जरूरी माइक्रोन्यूट्रिएंट्स शुगर कर देंगे कंट्रोल

डायबिटीज में शुगर की दवा या इंसुलिन सही तरीके के काम नहीं कर रही तो समझ लें आपके शरीर में 7 तरह के माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी हो गई है.

डीएनए हिंदीः आप जो खाते हैं उसका असर आपके पूरे हेल्थ पर पड़ता है. शरीर में अगर पोषक तत्वों की कमी हो तो ये कई बीमारियों का कारण बन जाती हैं, यही नहीं कई बार इनकी कमी बीमारी के इलाज में भी बाधा पहुंचाती हैं. यहां आपको आज उन माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी के बारे में बताएंगे जो डायबिटीज में खतरनाक होती हैं क्योंकि ये ब्लड शुगर को कम ही नहीं होने देती हैं.

माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी से ही एनीमिया से लेकर ऑस्टियोपोरोसिस और स्किन से लेकर हेयर तक की प्रॉब्लम होती है. हाल ही में मैसाचुसेट्स में टफ्ट्स मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं द्वारा एनल्स ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि विटामिन डी लेने से प्री-डायबिटीज का खतरा कम होता है. टाइप 2 डायबिटीज तब होता है जब शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है या इंसुलिन का विरोध करता है. इससे शरीर में रक्त शर्करा का असंतुलन हो सकता है और अतिरिक्त चीनी हमारी आंतरिक प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाना शुरू कर सकती है.

डायटिशियन मनप्रीत (Dietitian Manpreet) भी बताता हैं कि विटामिन डी के अलावा और भी कई पोषक तत्व हैं जो डायबिटीज को कंट्रोल करने में मददगार होते हैं

इन 7 माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी ब्लड शुगर को कर देगी हाई

1. विटामिन डी
डायबीटीज मरीज के शरीर में अगर विटामिन डी की कमी हो तो इंसुलिन रिलीज, इंसुलिन प्रतिरोध का खतरा और बढ़ जाता है. जबकि शरीर में विटामिन डी सही लेवल में हो तो शुगर कंट्रोल करना आसान होता है. इसका कारण यह है कि कैल्शियम के संश्लेषण के लिए विटामिन डी की आवश्यकता होती है और इंसुलिन का स्राव कैल्शियम पर निर्भर प्रक्रिया है. इसलिए विटामिन डी की कमी इस मार्ग को प्रभावित करेगी और इंसुलिन उत्पादन को कम करेगी. अंडे की जर्दी, वसायुक्त मछली, ऑर्गन मीट और कुछ प्रकार के मशरूम में विटामिन डी पाया जाता है. विटामिन डी को सनशाइन विटामिन के रूप में जाना जाता है. त्वचा के नीचे मौजूद D2 विटामिन सक्रिय D3 में परिवर्तित हो जाता है. बहुत से लोग सूरज की रोशनी में नहीं रहते जिससे विटामिन बनने कि प्रक्रिया बाधित होती है. छह महीने में एक बार विटामिन डी के स्तर का परीक्षण करवाना जरूरी होता है.

 

2. फाइबर
अधिक फाइबर खाने पर हमेशा जोर दिया जाता है. डायबिटीज में फाइबर बहुत शक्तिशाली दवा के रूप में काम करता है. यह न केवल आपके वजन को कम करता है, बल्कि रक्त शर्करा को भी कम करता है. फाइबर दो प्रकार के होते हैं: अघुलनशील और घुलनशील. चोकर, सब्जियों और साबुत अनाज में पाया जाने वाला अघुलनशील फाइबर पाचन क्रिया को सुचारू रखता है. दलिया, मेवे, बीज, सेम, दाल और मटर में पाए जाने वाले घुलनशील फाइबर आपके कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और रक्त शर्करा नियंत्रण में सुधार करने में मदद करते हैं.

आहार में फलों और सब्जियों की 5 सर्विंग्स को शामिल करने का लक्ष्य रखें और मैदा और जंक फूड के उपयोग को कम करते हुए साबुत अनाज वाले आहार का सेवन करें.

3. ओमेगा 3 फैटी एसिड
सामान्य वृद्धि और विकास के लिए ओमेगा-3 फैटी एसिड आवश्यक हैं और कई अध्ययनों ने बताया है कि ओमेगा-3 फैटी एसिड प्लाज्मा ट्राइग्लिसराइड्स को कम करते हैं और एचडीएल कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं. साथ ही ये डायबिटीज में ब्लड शुगर को कंट्रोल करने में भी मददगार होते हैं. ओमेगा-3 फैटी एसिड सूजन-रोधी होते हैं और ऑक्सीडेटिव तनाव को कम करते हैं.

ओमेगा -3 फैटी एसिड डीएचए और ईपीए के रूप में होते हैं जो पौधे और पशु स्रोतों में पाए जाते हैं. मांसाहारी स्रोतों में वे सार्डिन, मैकेरल, सैल्मन, टूना, हेरिंग आदि जैसी समुद्री मछलियों में मौजूद होते हैं और शाकाहारी खाद्य पदार्थों में, वे अलसी, कद्दू, खरबूजे के बीज और बादाम और अखरोट जैसे मेवों में भी पाए जाते हैं. सप्ताह में कम से कम 2 बार मछली को आहार में शामिल करें और हर दिन आहार में 1-2 बड़े चम्मच बीज और 30 ग्राम नट्स शामिल करें.

4. सेलेनियम
सेलेनियम एक एंटीऑक्सीडेंट पोषक तत्व है और अग्न्याशय के आइलेट्स को ऑक्सीकरण से बचाता है और इसके कार्य में सुधार करता है. एक अध्ययन में 75 मधुमेह रोगियों को 6 महीने तक खाली पेट 200 माइक्रोग्राम सेलेनियम लिया गया और पाया गया कि उनके रक्त शर्करा, एचबीए1सी, कोलेस्ट्रॉल और एलडीएल में कमी और अच्छे एचडीएल कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि देखी गई.

बीन्स, दाल, मछली, ब्राजील नट्स, फोर्टिफाइड अनाज और साबुत गेहूं भोजन में सेलेनियम के कुछ स्रोत हैं. एक भूमध्य आहार, जो फलों और सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर होता है, मधुमेह का प्रबंधन करने के लिए सबसे अच्छा लगता है.


5. क्रोमियम
क्रोमियम एक आवश्यक खनिज है जो इंसुलिन गतिविधि को बढ़ाता है, अध्ययनों से पता चला है कि टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों में क्रोमियम की कमी होती है. क्रोमियम की खुराक इंसुलिन की क्रिया को बढ़ाती है और विशेष रूप से अधिक वजन वाले व्यक्तियों में हृदय रोग के कुछ जोखिम कारकों को कम करती है. क्रोमियम मीट, अनाज उत्पादों, फलों, सब्जियों, नट्स, मसालों, शराब बनाने वाले के खमीर और शराब सहित कई खाद्य पदार्थों में मौजूद है. मधुमेह की रोकथाम के लिए इन खाद्य पदार्थों को आहार में शामिल करना सुनिश्चित करें.

6.मैग्नीशियम 
ब्लड शुगर को रेगुलेट रखने में यह पोषक तत्व बहुत अहम भूमिका निभाता है. इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार करने के लिए भी डायबिटीज रोगियों की डाइट में पर्याप्त मैग्नीशियम होना बहुत जरूरी है. केला, काजू और हरी-पत्तेदार सब्जियों में मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में होता है.

7. जिंक (Zinc)
यह पोषक तत्व ग्लूकोज के मेटाबॉलिज्म को रेगुलेट रखने और इंसुलिन को संश्लेषित करने में बहुत अहम भूमिका निभाता है. कद्दू के बीज, काजू और तिल में जिंक भरपूर मात्रा में पाया जाता है. डायबिटीज रोगियों को इन्हें अपनी डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए.

यदि अधिक सक्रिय होने के साथ-साथ सकारात्मक जीवनशैली में बदलाव किए जाएं तो टाइप 2 मधुमेह का प्रबंधन आसान हो जाता है.

(Disclaier: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)

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