Covid Vaccination : भारत को मिली अपनी पहली mRNA Vaccine, हो सकेगा Emergency में भी इस्तेमाल

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jun 29, 2022, 03:56 PM IST

mRNA Vaccine: India के लिए गुड न्यूज, अब Emergency में भी लग सकती है कोरोना की ये वैक्सीन, पढ़ें पूजा मक्कर की ये रिपोर्ट

डीएनए हिंदी: आखिरकार देश को mRNA तकनीक के आधार पर कोरोना की एक और वैक्सीन (Corona Vaccine) मिल गई है.भारत के ड्रग कंट्रोलर (DCGI) ने कोरोना की एक और वैक्सीन को एमरजेंसी मंजूरी दे दी. ये वैक्सीन पुणे की कंपनी जेनोवा बायोफार्मा ने बनाई है. ये वैक्सीन 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को लगाई जाएगी. दो डोज की ये वैक्सीन 28 दिन के अंतराल पर लगाई जाएगी. 

इस mRNA वैक्सीन को  2-8 डिग्री सेल्सियस पर रखा जाएगा. इससे इसे लाने-ले जाने में काफी आसानी रहेगी. पिछले महीने जेनोवा ने अपनी वैक्सीन के फेज-3 के ट्रायल के बारे में बयान जारी किया था.उसमें बताया था कि इस वैक्सीन का फेस-2 और फेस-3 ट्रायल के दौरान 4000 लोगों पर परीक्षण किया गया है.

यह भी पढ़ें- कोरोना से जुड़ी सभी खबरें एक साथ पढ़ें यहां

mRNA वैक्सीन और बाकी वैक्सीन में क्या फर्क (Difference between Normal Vaccine and mRNA)

अभी भारत में मोटे तौर पर कोवीशील्ड और कोवैक्सीन को कोरोना के लिए लगाया जा रहा है. इन वैक्सीन में कोरोना का ही मृत वायरस या कमजोर वायरस डाला गया है जो शरीर में जाने पर इम्युन रेसपांस जगाता है. यानी हमारा शरीर इस वैक्सीन के लगने के बाद कोरोनावायरस के खिलाफ हथियार बना लेता है जो शरीर में मौजूद रहते हैं. जब भी कोरोना का हमला होता है ये हथियार उससे लड़ने लगते हैं. 

mRNA वैक्सीन ऐसे काम नहीं करती, mRNA शरीर में प्रोटीन के उत्पादन के लिए आवश्यक है.  mRNA जीन्स को पढ़कर ये खाका तैयार करता है कि प्रोटीन कैसे बनाया जाए. एक बार जब कोशिकाएं प्रोटीन बना लेती हैं तो वह mRNA को तोड़ देती हैं. वैक्सीन का mRNA कोशिकाओं के डीएनए को नहीं बदलता है.

यह भी पढ़ें - मंकीपॉक्स से जुड़ी ये अपडेट जरूर पढ़ें

mRNA वैक्सीन कैसे काम करती है ? (How mRNA Vaccine works)

जब हमारे शरीर पर कोई वायरस या बैक्टीरिया हमला करता है तो mRNA टेक्नोलॉजी हमारी सेल्स को उस वायरस या बैक्टीरिया से लड़ने के लिए प्रोटीन बनाने का मैसेज भेजती है.

इससे हमारे इम्यून सिस्टम को जो जरूरी प्रोटीन चाहिए, वो मिल जाता है और हमारे शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है. इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि बाकी वैक्सीन के मुकाबले ये ज्यादा जल्दी बदली जा सकती है. यानी इसे नए वेरिएंट के हिसाब से ढालना थोड़ा आसान होता है. ये पहली बार है जब mRNA टेक्नोलॉजी पर आधारित वैक्सीन भारत में बनी है

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों पर अलग नज़रिया, फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.