वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने जॉर्डन को दुनिया का पहला कुष्ठ रोग ( Leprosy) को खत्म करने वाला देश घोषित किया है. रिपोर्ट के मुताबिक जॉर्डन में पिछले 20 सालों से इस बीमारी का (Leprosy In Jordan) एक भी मामला नहीं मिला है. वहीं, दुनियाभर के 120 से ज्यादा देशों में इस बीमारी के लाखों मरीज हैं. कुष्ठ रोग, जिसे लेप्रोसी कहा जाता है यह बचपन से लेकर बुढ़ापे तक सभी उम्र के लोगों को हो सकता है. इतना ही नहीं यह बीमारी एक से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकती है. बता दें कि भारत समेत (Leprosy Case In India) पूरी दुनिया में इस गंभीर बीमारी को रोकने के लिए पूरी तरह से कोशिश किया जा रहा है...
क्या है कुष्ठ रोग? (What Is Leprosy)
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक कुष्ठ रोग को आम भाषा में कोढ़ भी कहा जाता है. यह एक गंभीर संक्रामक बीमारी है, जो माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक बैक्टीरिया से फैलता है. इसे हैनसेन रोग के नाम से भी जाना जाता है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक कुष्ठ रोग त्वचा, नसों, आंखों और श्वसन तंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित करता है.
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कैसे फैलती है ये बीमारी? (How Leprosy Spread)
बता दें कि कुष्ठ रोग किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बहुत तेजी से फैलता है. ऐसी स्थिति में जब कोई रोगी छींकता है या फिर खांसता है तो हवा के माध्यम से यह रोग फैल सकता है. इसके अलावा कुष्ठ रोग अचानक नहीं फैलता है यह धीरे फैलने वाला एक गंभीर रोग है. इस बीमारी को लेकर आज भी लोगों में जागरूकता की कमी देखने को मिलती है.
कई लोगों को आज भी लगता है कि कुष्ठ रोग का कोई इलाज नहीं है, लेकिन WHO ने साल 1995 में ही मल्टीड्रग थेरेपी विकसित की थी, जो इस बीमारी के इलाज में काफी ज्यादा कारगर माना जाता है.
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भारत में क्या है इसकी स्थिति? (Leprosy Status In India)
एक्सपर्ट्स के मुताबिक दुनिया के 120 से ज्यादा देशों में इस बीमारी के लाखों मरीज हैं और इनमें सबसे ज्यादा तादाद भारत में है. रिपोर्ट्स के मुताबिक हर साल इंडिया में लेप्रोसी के करीब 1 लाख से भी ज्यादा केस सामने आते हैं. यानी पूरी दुनिया के करीब 53.6% मरीज भारत में मिल रहे हैं. भारत के अलावा ब्राजील और इंडोनेशिया में इसके काफी ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं.
बता दें कि भारत सरकार ने साल 2027 तक देश को कुष्ठ रोग मुक्त करने का लक्ष्य रखा है और इसके लिए देशभर में समय पर जांच और इलाज की सुविधा मुहैया कराकर कुष्ठ रोग के संचरण को रोकने और रोगियों के नतीजों में सुधार करने पर ध्यान दिया जा रहा है. भारत में इस बीमारी को कंलक माना जाता है, यही वजह है कि लेप्रोसी के कारण मरीजों को मानसिक और सामाजिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है...
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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