Kangaroo Mother Care: इस प्राकृतिक इलाज से बच सकती है नवजातकों की जिंदगी, जानिए क्या कहती है नई Study

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jul 18, 2022, 12:59 PM IST

Kagaroo mother care क्या है, कैसे इस प्राकृतिक इलाज से नवजातकों की बच सकती है जान, जानिए क्या कहती है सफदरजंग अस्पताल की स्टडी

डीएनए हिंदी: कई बार प्रीमैच्योर डिलीवरी (Premature Delivery) फिर नवजात शिशु (Newborn Baby)को कोई बीमारी होने की वजह से उनकी जान खतरे में आ जाती है. ऐसे में कंगारू मदर केयर (Kangaroo mother care) उनकी जान बचाने में एक सफल ट्रीटमेंट साबित हुआ है. दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ने हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को एक अर्जी भेजी है, जिसके मुताबिक इस इलाज के इस्तेमाल से नवजातकों की मृत्यु दर 25 फीसदी घट सकती है. हालांकि कई बड़े अस्पतालों में इस इलाज का इस्तेमाल किया जाता है लेकिन अब तक इसपर WHO की ओर से मुहर नहीं लगी है.

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क्या कहती है स्टडी  

अस्पताल की ओर से की गई स्टडी बताती है कि बच्चे के जन्म लेते ही उस अगर मां से दूर कर दिया जाए तो वो और बीमार हो जाते हैं, ऐसे में अगर उन्हें मां के सीने से लगाकर रखा जाए तो उनकी सेहत में सुधार आता है.ज्यादातर सभी हेल्थ केयर संगठन इसे स्वीकार करते हैं. एक मां के स्पर्श से बच्चे का विकास जल्दी होता है.


अगर बच्चा समय से पहले हुआ है तो उसे कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं, ऐसे में उसे अगर मां के संपर्क में लाया जाए तो वो जल्दी ठीक हो सकता है. इस इलाज को कहते हैं कंगारू मदर केयर. अब तक केएमसी केवल अंडरवेट या प्रीमेच्योर बच्चे को 3-7 दिन तक इंक्यूबेटर में रखने के बाद ही दिया जाता है, इससे बच्चे की मृत्यू दर 40 फीसदी कम हो जाती है लेकिन तुरंत केएमसी देने के कोई नियम नहीं हैं. आपको बता दें कि भारत, घाना, तांजेनिया और नाइजीरिया के नवजात शिशुओं के ऊपर ये स्टडी की गई है. 

क्या है कंगारू मदर केयर (What is Kangaroo Mother Care) 

आजकल बच्चे पैदा होते ही उन्हें कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है.ऐसे में यह एक प्राकृतिक उपचार है. इसके नाम से पता चलता है कि इसमें मां अपने बच्चे को कंगारू की तरह सीने से लगाकर रखती हैं,उसे दूध पिलाने के साथ उसका ख्याल रखती हैं ठीक उसी प्रकार गर्भावस्था के बाद महिलाओं को शिशु की देखभाल करने की सलाह दी जाती है. ऐसा शिशु के जान की रक्षा करने के लिए किया जाता है.

इस प्रक्रिया में शिशु को मां की छाती से लगाकर रखने की सलाह दी जाती है. ताकि मां और शिशु के बीच स्किन टु स्किन कॉन्टेक्ट बना रहे. आज के समय में प्री मैच्योर डिलीवरी सामान्य है. कई शिशु का जन्म समय से पहले ही हो जाता है, ऐसे शिशु सामान्य शिशु की तुलना में ज्यादा कमजोर होते हैं उनका वजन कम होता है. इन्हें ज्यादा देखरेख की जरूरत होती है. यही वजह है कि डॉक्टर इस तकनीक की मदद से शिशु का बेहतर इलाज करते हैं. 

क्या हैं फायदे (Benefits of KMC in Hindi) 

 

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