Epilepsy: ब्लड शुगर लो होने से भी आ सकती है मिर्गी, इन 3 कमियों से पड़ सकता है कभी भी दौरा
National Epilepsy Day: मिर्गी क्या है – कारण, लक्षण और इलाज
अचानक बेहोशी और दांतों का एक दूसरे से सटना या कटकटना एक गंभीर बीमारी मिर्गी का संकेत है. ये बीमारी क्यों और कैसे होती है और इसके लक्षण क्या हैं जानें.
डीएनए हिंदीः मिर्गी (Epilepsy) एक सेंट्रल नर्वस सिंस्टम यानी केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central Nervous System)
से जुड़ी बीमारी है जो मस्तिष्क की तंत्रिका कोशिका की गतिविधि बाधित करने का काम करती है. इस बाधा के कारण ही मरीज को दौरे पड़ते हैं और वह बेहोश हो जाता (Patient has Seizures and Faints) है. कई बार मरीज में बेहद असामान्य व्यवहार भी दिखता है. तो चलिए आज राष्ट्रिय मिर्गी दिवस (National Epilepsy Day) पर जानें ये बीमारी होने के कारण, लक्षण और इलाज क्या हैं.
मिर्गी मानसिक या कमजोरी से जुड़ी बीमारी नहीं
यह सबसे पहले जान लें कि मिर्गी एक से दूसरे में फैलने वाली बीमारी नहीं है. यानी ये संक्रामक बीमारी नहीं है. साथ ही ये कोई मानसिक या कमजोरी से जुड़ी बीमारी भी नहीं है. अधिकतर मामलों में मिर्गी के कारण पड़ने वाले दौरों से मस्तिष्क पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है लेकिन कभी-कभी दौरों के कारण मस्तिष्क को क्षति पहुंच सकती है.
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मिर्गी के कई कारण और लक्षण होते हैं. ये किसी को भी हो सकता है और छोटे ही नहीं बूढ़े लोगों में भी ये हो सकती है. मिर्गी का इलाज करने के कई अलग.अलग तरीके मौजूद हैंण् मिर्गी के उपचार में मेडिटेशन, सर्जरी और दवा आदि शामिल हैं, तो चलिए जानें मिर्गी के कारण, लक्षण और उपचार के बारे में.
3 कमियों से पड़ सकता है मिर्गी का दौरा
- मैग्नेशियम (Magnesium)- मैग्नीशियम की ज्यादा कमी से भी मिर्गी के दौरे का खतरा बढ़ सकता है. एक शोध के अनुसार मैग्नेशियम सप्लीमेंट मिर्गी के लक्षण को कम करते हैं. हालांकि मिर्गी और मैग्नेशियम के बीच के संबंध को समझने के लिए और स्टडी की जाने की जरूरत बताई गई है.
- विटामिन E- कुछ लोगों में विटामिन E की कमी से भी दौरे पड़ने लगते हैं. विटामिन E शरीर में एंटीऑक्सीडेंट गुणों को बढ़ाता है. 2016 की एक स्टडी के अनुसार, विटामिन E मिर्गी के लक्षणों को कंट्रोल करता है और इसे मिर्गी की अन्य दवाओं के साथ लिया जा सकता है. इसके अलावा मिर्गी के इलाज के लिए उपयोग किए जाने वाले दवा से बायोटिन या विटामिन D की कमी भी हो सकती है, जिससे लक्षण और बिगड़ सकते हैं. ऐसी स्थिति में आपके डॉक्टर इन विटामिन की गोलियां दे सकते हैं.
- विटामिन- कुछ विटामिन मिर्गी के दौरे को कम करने में मददगार होते हैं, लेकिन ध्यान रखें कि अकेले विटामिन (Vitamins) काम नहीं करता है. विटामिन मिर्गी की अन्य दवाओं के साथ प्रभावी ढंग से काम करता है. मिर्गी के इलाज में सबसे असरदार विटामिन B-6 है. कुछ लोगों के शरीर में सही ढंग से विटामिन B-6 नहीं बन पाता है. इसलिए विटामिन B-6 सप्लीमेंट मिर्गी के दौरों कम करने का काम करते हैं. हालांकि अभी इस पर और शोध किए जाने की जरूरत है.
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मिर्गी के लक्षण (Symptoms of Epilepsy)
बार-बार दौरा पड़ना मिर्गी के मुख्य लक्षणों में से एक है. अगर किसी मरीज में मिर्गी के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए. दौरा पड़ने के आलावा, मिर्गी के अन्य लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:-
- अचानक गुस्सा होना
- चक्कर आना
- एक ही जगह घूमना
- बार-बार एक जैसा व्यवहार करना
- शरीर में झुनझुनी और सनसनी होना
- लगातार ताली बजाना या हाथ रगड़ना
- चेहरे, गर्दन और हाथ की मांसपेशियों में बार-बार झटके आना
- अचानक से डर जाना और बात करने में असमर्थ होना
- बिना तापमान के एक आवेग
- ब्लैकआउट या मेमोरी लॉस होना
- कुछ समय के लिए कुछ भी याद नहीं रहना
- बिना किसी कारण के स्तब्ध रह जाना
- अचानक खड़े-खड़े गिर जाना
- छूने, सुनने या सूंघने की क्षमता में अचानक बदलाव आना
कुछ अंतराल में बेहोश होना (इस दौरान बोवेल या ब्लैडर का कंट्रोल खो जाता है, शरीर में थकावट होती है)
इन सबके अलावा, मिर्गी के दूसरे भी अन्य लक्षण हो सकते हैं. मिर्गी का लक्षण मरीज और मिर्गी के प्रकार के आधार पर अलग-अलग हो सकता है.
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मिर्गी के कारण (Causes of Epilepsy)
- आनुवंशिक कारण
- सिर पर घातक चोट लगना
- ब्रेन ट्यूमर या सिस्ट होना
- एड्स
- मेनिन्जाइटिस
- संवहनी रोग
- जन्म से पहले शिशु के सिर में चोट लगना
- मनोभ्रंश या अल्जाइमर रोग
- अत्यधिक शराब या नशीली दवाओं का सेवन
- ब्रेन स्ट्रोक (35 से अधिक उम्र के लोगों में मिर्गी का यह मुख्य कारण माना जाता है)
- शिशु के जन्म के दौरान मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी होना
- जन्म से मौजूद विकास संबंधित विकार या तंत्रिका संबंधित रोग
- ऊपर दिए गए कारणों के अलावा, मरीज की उम्र और समग्र स्वास्थ्य एवं मिर्गी के प्रकार के आधार पर मिर्गी के अन्य कारण हो सकते हैं.
मिर्गी के खतरे को बढ़ाने वाले कारक (Risk Factors of Epilepsy in Hindi)
- दवाओं का सेवन
- तनाव
- बुखार
- दवाओं के साइड इफेक्ट्स
- चमकदार या तेज रोशनी
- नींद की कमी
- अत्यधिक कैफीन का सेवन
- अत्यधिक शराब का सेवन
- भोजन नहीं करना / लंबे समय तक व्रत रखना
- अधिक भोजन करना
- अनुचित भोजन करना
- विशिष्ट आहार पदार्थ
- ब्लड शुगर बहुत कम होना
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ऊपर दिए करक मिर्गी को ट्रिगर कर सकते हैं. मिर्गी के उचित इलाज के लिए मरीज को मिर्गी के दौरे को ट्रिगर करने वाले कारक और दौरे के पैटर्न को नोट डाउन करके रखना चाहिए, क्योंकि इससे डॉक्टर को निदान और इलाज में मदद मिलती है.
मिर्गी का इलाज (Treatment of Epilepsy in Hindi)
मिर्गी का प्रबंधन किया जा सकता है. मिर्गी का उपचार मरीज की उम्र और समग्र स्वास्थ्य एवं लक्षणों की गंभीरता पर निर्भर करता है. मिर्गी का इलाज करने के लिए डॉक्टर निम्न का इस्तेमाल कर सकते हैं:-
केटोजेनिक आहार
जिन लोगों पर दवाओं का असर नहीं होता है डॉक्टर उन्हें उच्च वसा और कम मात्रा में कार्बोहाइड्रेट वाले आहार लेने का सुझाव देते हैं.
एंटी-एपिलेप्टिक दवाएं
इन दवाओं का सेवन करने से मिर्गी के कारण पड़ने वाले दौरों की संख्या कम होती है और कुछ लोगों में दोबारा दौरे आने का खतरा भी खत्म हो जाता है. इस दवा का सेवन डॉक्टर द्वारा दिए गए दिशा-निर्देश के मुताबिक ही करना चाहिए.
वेगस तंत्रिका उत्तेजना
दौरों को रोकने के लिए इस उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है. इसे शल्य चिकित्सा द्वारा छाती पर पर त्वचा के नीचे लगाकर बिजली द्वारा गर्दन से होते तंत्रिका को उत्तेजित किया जाता है.
मिर्गी की दवाएं
मिर्गी के सबसे शुरुआती इलाज के तौर पर डॉक्टर एंटी-सीज्यूर दवाएं निर्धारित करते हैं. ये दवाएं दौरों की आवृति और गंभीरता को कम करने में मदद करती हैं.
मस्तिष्क की सर्जरी
मस्तिष्क का जो हिस्सा दौरों का कारण बनता है उसे सर्जरी के दौरान हटाया या बदल दिया जाता है.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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