डीएनए हिंदीः कैंसर एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसका नाम सुनते ही लोगों के अंदर डर बैठ जाता है. बता दें कि कैंसर कई प्रकार के होते हैं. साल 2020 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) की ओर से आई एक रिपोर्ट के मुताबिक कैंसर की वजह से होनेवाले मौतों में लंग कैंसर के मरीजों की संख्या बहुत अधिक थी और आंकड़ों के अनुसार लगभग 18 लाख लोग फेफड़ों (Lung Cancer) के कैंसर के कारण अपनी जान गवां बैठे. ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि लंग कैंसर एक गम्भीर प्रकार का कैंसर है और इससे बचाव बहुत ही जरूरी है. आमतौर पर लोगों को लगता है कि लंग (Lung Cancer Causes) कैंसर या फेफड़ों का कैंसर केवल स्मोकिंग करने से ही होता है, लेकिन ऐसा नहीं है. फेफड़ों के कैंसर के कई अन्य कारण भी हैं, केवल स्मोकिंग ही इसका जिम्मेदार नहीं है. आइए जानते हैं इन कारणों के बारे में..
पैसिव स्मोकिंग
बता दें कि आजकल कई मामले नॉन स्मोकर्स में लंग कैंसर के आ रहे हैं. यानी जिन्होंने अपने जीवन में कभी बीड़ी-सिगरेट को हाथ नहीं लगाया वे भी आज फेफड़ों के कैंसर से पीड़ित हैं. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह पैसिव स्मोकिंग या सेकेंड हैंड स्मोकिंग है. दरअसल कई लोग सिगरेट नहीं पीते हैं, लेकिन घर में, ऑफिस में या पड़ोस में कोई 10-20 सिगरेट रोजाना पीता रहता है. ऐसे में आप उसके साथ बने रहते हैं और उसके धुएं को इनहेल करते रहते हैं तो यह आपके लिए मुसीबत बन सकता है. ऐसे में हो सकता है कि सिगरेट पीने वाले से पहले आपके फेफड़े जवाब दे जाएं और उसके बजाय आपको कैंसर चपेट में ले लें. इसके अलावा कई बार स्मोकर, सिगरेट पीते समय धुएं को बाहर फेंक देता है और फिर आसपास का व्यक्ति उसे सांस से अंदर खींच लेता है, इसलिए स्मोकर से दूरी बनाकर रखें.
प्रदूषण
जैसे-जैसे प्रदूषण बढ़ रहा है वैसे-वैसे कैंसर के मरीज और उससे मौतें भी बढ़ रही हैं. आपको बता दें कि प्रदूषण के लिए सिर्फ आउटडोर पॉल्यूशन जैसे खराब एयर क्वालिटी, गाड़ियों का धुआं, उद्योग और फैक्ट्री से प्रदूषण ही नहीं बल्कि इनडोर प्रदूषण भी जिम्मेदार है. जी हां घरों के अंदर धुएं में खाना पकाने, हीटिंग के लिए कोयला या उपले जलाने से होने वाले प्रदूषण के एक्सपोजर से भी ये बीमारी हो रही है.
जेनेटिक लिंक
इसके अलावा फेफड़ों के कैंसर का तीसरा सबसे बड़ा कारण आनुवांशिक रूप से बीमारी का एक्सपोजर है. दरअसल अगर किसी को परिवार में लंग कैंसर है तो उसकी पहली पीढ़ी में इसके होने के चांसेज होते हैं. आसान भाषा में समझें कि अगर किसी 30 साल के व्यक्ति को लंग कैंसर है और बीमारी के दौरान वह पिता बनता है तो उसकी संतान में कैंसर के जीन पहुंचकर बीमारी फैला सकते हैं.
(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले हमेशा अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)
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