डीएनए हिंदी: डायबिटीज मरीजों के लिए मीठा जहर के समान होता है. इसी वजह से डायबिटीज मरीजों को मीठी चीजें न खाने की सलाह दी जाती है, लेकिन कुछ लोगों को मीठा खाना का मन बहुत ज्यादा करता है. ऐसे में मोंक फ्रूट मीठे का एक बेहतरीन विकल्प है. इसकी वजह मोंक फ्रूट का चीनी से भी ज्यादा मीठा होना है. इसके बावजूद यह डायबिटीज के मरीजों के लिए नुकसान नहीं देता. इसकी वजह इस फ्रूट के खाने से ब्लड शुगर का न बढ़ना है. इसके सेवन से बॉडी में कैलोरी नहीं बढ़ती है.
भारत में इस समय डाइबिटीज के पेशेंट्स की संख्या करीब 80 मिलियन है. 2045 तक यह आंकड़ा बढ़कर 135 मिलियन हो सकता है. इसकी मुख्य वजह खराब जीवन शैली और दूसरा परिजनों से बच्चों में इस बीमारी के आने का खतरा ज्यादा होना है. ऐसे में डायबिटीज से बचने के लिए सावधानी बरतना बहुत ही जरूरी है. इसे बचने के लिए सही खानपान के साथ सही समय पर भोजना करना है.
हिमाचल प्रदेश में शुरू हुई मोंक फ्रूट की खेती
अब तक मोंक फ्रूट की खेती सिर्फ चीन में की जाती थी, लेकिन अब इसकी खेती भारत के हिमाचल प्रदेश में स्थित पालमपुर, चंबा और कुल्लू में शुरू कर दी गई है. इसकी टेस्टिंग सीएसआईआर इंस्टीट्यूट आॅफ हिमालयन बायोरिसोर्स एंड टेक्नोलॉजी ने की है. टेस्टिंग के बाद इस फ्रूट की खेती 7 जगहों पर कराई जा रही है. इस फ्रूट में मोग्रोसाइड पाया जाता है, जो इसके तेज मीठे की वजह का होना है.
रिसर्च में डायबिटीज लिए नहीं है नुकसानदायक
चीनी से भी ज्यादा मीठे इस फल को रिसर्च में डायबिटीज पेशेंट्स के लिए सही पाया गया है. भरपूर मात्रा में मिठास होने के बावजूद यह ब्लड शुगर नहीं बढ़ाता. वहीं खबरों की मानें तो अमेरिकी दवा प्रशासन ने इसे खाने के लिए सुरक्षित बताया है.
छह मीने में फल देना शुरू कर देता है ये पौधा
मोंक फ्रूट का पौधा मात्र छह महीने में फल देना शुरू कर देता है. इसका पेड़ पांच साल तक चलता है. साथ ही मोंक फ्रूट का जूस भी बनाया जा सकता है. इसकी कीमत करीब एक लाख रुपये किलो है. इसका फल के ज्यादा मात्रा में मीठे होने और ब्लड शुगर पर प्रभाव न डालने की वजह से इसका पाउडर बनाकर बेचा जाता है. इसकी कीमत भी करीब हजारों रुपये किलो में है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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