डीएनए हिंदी: सेरेब्रल पाल्सी जिसे सीपी के नाम से भी जाना जाता है, एक गंभीर न्यूरोलॉजिकल डिजीज है जो जन्म से ही बच्चों में देखने को मिलती है. चिंता की बात यह है कि इस बीमारी (Neurological Disorders) का कोई सटीक इलाज नहीं है, यह एक लाइलाज बीमारी है. बता दें कि हाल ही में नोएडा में 2 साल के बच्चें में यह बीमारी देखने को मिली है. ऐसे में इस बीमारी को लेकर सर्तक हो जाने की जरूरत है. इस बीमारी के कारण बच्चों के विकास में देरी, दौरे आना, स्पाइनल बाईफिडा (Cerebral Palsy) और देखने की समस्या होने की समस्या हो सकती है. आइए जानते हैं क्या है ये बीमारी, इससे बच्चों के शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है और और इस लाइलाज बीमारी से कैसे (Cerebral Palsy Symptoms) बचा जा सकता है..
सेरेब्रल पाल्सी क्या है (Cerebral Palsy)
बता दें कि सेरेब्रल पाल्सी कई तरह के डिसऑर्डर का एक ग्रुप है, जिसके कारण बच्चे को बैलेंस और पोस्चर बनाने या चलने-फिरने में दिक्कत होने लगती है. यह बचपन की सबसे आम बीमारी है और इसमें सेरेब्रल का मतलब दिमाग से जुड़ा और पाल्सी का अर्थ है मांसपेशियों का इस्तेमाल में परेशानी या कमजोरी महसूस होना है. ऐसे में सेरेब्रल पाल्सी में दिमाग के असामान्य विकास के कारण बच्चा चलने में अपनी मांसपेशियों पर कंट्रोल नहीं कर पाता है.
सेरेब्रल पाल्सी होने के कारण (Cerebral Palsy)
- बच्चे का जन्म के समय वजन कम होना
- किसी बच्चे का समय से पहले जन्म
- प्रेगनेंसी के दौरान इंफेक्शन होना
- पीलिया और कर्निकटेरस जैसी समस्याएं होना
- आनुवंशिक दोष के कारण
सेरेब्रल पाल्सी के लक्षण
सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित को चलने में दिक्कत होने लगती है या वह बिल्कुल भी नहीं चल पाता है.
वहीं हल्के सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित अजीब तरह से चलता है.
बता दें कि सेरेब्रल पाल्सी के लक्षण उम्र बढ़ने के साथ बदल सकते हैं.
इसके अलावा चलने और पोस्चर में परेशानियां होना भी इसके लक्षण हो सकते हैं
वहीं कुछ लोग इंटेलेक्चुअल दिव्यांगता का शिकार भी हो सकते हैं और इसके कारण दौरे पड़ना, देखने, बोलने, सुनने की दिक्कत, स्पाइन में बदलाव जैसे लक्षण शामिल हैं.
सेरेब्रल पाल्सी का इलाज क्या है
बता दें कि सेरेब्रल पाल्सी एक लाइलाज बीमारी है. लेकिन सही तरह से देखभाल कर मरीज के जीवन में कई अच्छे बदलाव लाए जा सकते हैं. इसके अलावा इसका इलाज अगर जल्दी शुरू हो जाए तो कुछ हद तक परेशानियों से राहत मिलती है. ऐसी स्थिति में डॉक्टर एक प्लान के आधार पर पीड़ित का इलाज करते हैं. साथ ही दवाईयों, सर्जरी, ब्रेसेज़, फिज़िकल, ऑक्युपेशन और स्पीच थेरेपी से सुधार लाने की कोशिश की जाती है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.