डीएनए हिंदीः हड्डियों से जुड़ी (Bone disease) ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति की हड्डियां इतनी कमजोर (Waekness Of Bone) हो जाती हैं कि उनमें किसी चोट से ही नहीं, बल्कि छींक आने भर से फ्रेक्चर (Fracture) का खतरा रहता है.
ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis ) में हड्डियां भुरभरी होकर झड़ने लगती हैं और इसके पीछे एक नहीं कई वजहें जिम्मेदार होती हैं. क्या है ये बीमारी और इसके खतरे क्या-क्या होते हैं, इसके बारे में चलिए आपको विस्तार से बताएं. साथ ही यह भी जानें कि इस बीमारी का इलाज क्या है.
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डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह बीमारी दिल की बीमारियों के बाद विश्व की दूसरी सबसे बड़ी बीमारी है. इस बीमारी में हड्डियों की मजबूती और घनत्व कम होने लगता है जिससे वह खोखली बनने लगती है. कई बार सिर्फ झुकने या छींकने भर से भी फ्रैक्चर होने लगता है.
रीढ़ की हड्डी, कलाई और कूल्हे के हिस्से में सबसे ज्यादा फ्रेक्चर का खतरा होता है और इस बीमारी की शिकार भी ज्यादातर महिलाएं ही होती हैं.
ऑस्टियोपोरोसिस के पीछे क्या है वजह
उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों का कमजोर होना शुरू हो जाता है लेकिन और जब कैल्शियम और विटामिन डी की कमी हो तो ये ऑस्टियोपोरोसिस में बदल जाता है. वहीं कई बार ये जेनेटिक्स भी होता है.
बता दें कि कई रिसर्च में ये बात सामने आ चुकी है कि जिन लोगों की हाइट कम होती है उनमें भी ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा ज्यादा होता है. वहीं, थाइरॉयड और सेक्स हॉर्मोन में कमी भी ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ाता है. डाइट में कैल्शियम से जुड़े फूड शामिल नहीं करना और शरीर में विटमिन डी की कमी हड्डियों को बहुत ज्यादा कमजोर बनाते हैं. यही वजह है कि ऑस्टियोपोरोसिस होने की आशंका बढ़ जाती है.
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ये वजहें भी होती हैं जिम्मेदार
ज्यादा शराब व स्मोकिंग भी ऑस्टियोपोरोसिस होने के रिस्क फैक्टर्स में शामिल हैं.
ऑस्टियोपोरोसिस के चांस तब भी बढ़ जाते हैं जब व्यक्ति किसी भी तरह का व्यायाम नहीं करता.
लंबे समय तक स्टेरॉयड का इस्तेमाल भी हड्डियों को नुकसान पहुंचाते हुए ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ाता है.
बचाव के तरीके
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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