डीएनए हिंदी: पोलियो वायरस मुंह के माध्यम से और संक्रमित के मल से संपर्क में आने वाली वस्तुओं से भी फैलता है. ज्यादातर 5 साल से कम उम्र के बच्चों में ये संक्रमण होता है लेकिन जिन वयस्कों ने पोलियो की खुराक नहीं ली उनमें भी ये खतरा कायम रहता है.
पोलियो का वायरस मुंह या श्वसन प्रणाली के माध्यम से ये गले और आंतों तक पहुंच जाता है और जब ये वायरस शरीर इन अंगों तक पहुंच जाता है तब ये केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करना शुरू करता है. इसकी वजह से ही विकलांगता और लकवा जैसी समस्याएं होती हैं.
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पोलियो वायरस तीन प्रकार के होते हैं और ध्यान देने वाली बात ये है कि एक प्रकार का संक्रमण या टीकाकरण दूसरे से बचाव नहीं करता है. टाइप 1 पोलियोवायरस का प्रकोप जारी है, लेकिन टीकाकरण द्वारा टाइप 2 और 3 को काबू किया जा सकता है.
पोलियो के लक्षण
पोलियो से संक्रमित लगभग 72 फीसदी लोगों में किसी भी प्रकार के लक्षण नजर नहीं आते हैं. जबकि शेष 25 फीसदी लोगों को फ्लू की तरह बुखार, गले में खराश, मतली, सिरदर्द, थकान और शरीर में दर्द जैसे लक्षणों का अनुभव हो सकता है.
हवा में फैलने वाले वायरस टीकाकरण से ही खत्म होंगे
एक्सपर्ट ने दावा किया है कि पोलियो हवा से भी फैलता है. उनका मानना है कि अब पोलियो के लिए मौखिक टीकों के बजाय इंजेक्शन की जरूरत होती है.
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लार ही नहीं, सांस से भी खतरा
पहले पोलियो दूषित पानी या भोजन के माध्यम से फैलने का दावा किया जाता है था लेकिन अब ये संक्रमित के लार द्वारा मौखिक ट्रांसमिशन (Oral to Oral) से ही नहीं, हवा के जरिये भी फैलता है. प्रमुख मेडिकल जर्नल द लैंसेट में प्रकाशित रिपोर्ट में जैकब जॉन ने इस बात का दावा किया है. रिपोर्ट के मुताबिक जंगली पोलियो वायरस का ट्रांसमिशन सांस के माध्यम से होता है. इसके साथ ही यह हवा से भी फैलता है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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