डीएनए हिंदी: खराब खानपान और जीवनशैली का बुरा असर सेहत पर पड़ता है और इसकी वजह से व्यक्ति को कई तरह की गंभीर बीमारियां घेर लेती है. ऐसी ही एक समस्या है पॉलीसिस्टिक डिज़ीज. बता दें कि खराब खानपान और जीवनशैली का बुरा असर सबसे ज्यादा लिवर (Polycystic Kidney Disease) और किडनी पर पड़ता है और पॉलीसिस्टिक डिज़ीज किडनी से ही जुड़ा एक रोग है. इस स्थिति में किडनी में सिस्ट होने लगते हैं. ऐसे में इसके लक्षणों को तुरंत पहचान कर इसका इलाज शुरू कर देना चाहिए. हालांकि ज्यादातर लोग जानकारी न होने के कारण इसके लक्षणों को समझ पाते हैं, ऐसे में आगे (PKD) चलकर ये समस्या और भी गंभीर हो जाती है. ऐसे में आज हम आपको कुछ ऐसे लक्षणों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो इस गंभीर बीमारी की ओर इशारा करते हैं. आइए जानते हैं इसके बारे में...
पॉलीसिस्टिक किडनी रोग
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (PKD) के कारण गुर्दे यानी किडनी में कई अल्सर (Cyst) का विकास हो जाता है और यह गुर्दे के आकार और वजन में वृद्धि का कारण बनता है. बता दें कि सिस्ट वाली किडनी का वजन 20-30 पाउंड तक हो सकता है. यह सबसे ज्यादा होने वाला गुर्दा विकार (Kidney Disorder) है, जो परिवार के माध्यम से आ सकता है. जी हां अगर माता-पिता दोनों को यह बीमारी है, तो इस बात की 50% संभावना है कि बच्चे को भी यह बीमारी होगी और अगर माता-पिता में से केवल एक को यह बीमारी है, तो भी बच्चे को यह बीमारी होने का 25% जोखिम रहता है.
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क्या हैं इसके लक्षण
- पेट में दर्द होना
- पेट में कोमलता
- पेशाब से खून आना
- बार बार पेशाब का आना
- पेट में दर्द होना
- यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की समस्या
- किडनी स्टोन्स की समस्या
- पीठ में दर्द होना
- त्वचा में नील पड़ना
- त्वचा का रंग पीला हो जाना
- हमेशा थकान- कमजोरी महसूस करना
- जोड़ों में दर्द की समस्या
- हाई ब्लड प्रेशर की समस्या
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पॉलीसिस्टिक किडनी रोग से बचाव के उपाय
सही समय पर और उपयुक्त उपचार से इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है और इससे किडनी को प्रभावित होने से बचाया जा सकता है. बता दें कि इस रोग से बचने के लिए दवाओं, आहार में परिवर्तन और जीवनशैली में बदलाव किया जा सकता है. इसके अलावा नियमित चेकअप और चिकित्सक द्वारा बताई गई चीजों का पालन करना जरूरी है. बता दें कि इस रोग को जांचने के लिए कुछ टेस्ट कराये जा सकते हैं, इनमें अल्ट्रासाउंड, MRI स्कैन, CT स्कैन, इंट्रावेनस पाइलोग्राम आदि शामिल हैं. इससे बचाव के लिए धूम्रपान से दूर रहें और नमक कम खाएं. इसके अलावा रोजाना योग करें.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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