डियर पूनम पांडे आप जिंदा है जानकर खुशी हुई. 24 घंटे तक अपने प्रशंसकों, चाहने वालों और साथियों में सर्वाइकल कैंसर से अपने मरने की झूठी खबर फैलाकर आपने जो सनसनी फैलाई है, वो किसी बीमारी को लेकर जागरूकता फैलाने का निहायत ही भद्दा तरीका है. आपके इस स्टंट से जागरूकता तो क्या ही फैली, लेकिन हां आपके इस गैर जिम्मेदाराना रवैये ने आपके चाहने वालों को जरूर निराश किया होगा.
हां, ये जरूर है कि कुछ घंटों के लिए आप इंटरनेट पर, मीडिया में, सोशल मीडिया पर सनसनी की तरह छाईं रहीं, लेकिन इस बीमारी के एक स्टंट ने आपके गुमनाम हुए चेहरे को एक बार फिर मेन स्ट्रीम में कुछ देर के लिए सामने ला दिया. आपका I am ALIVE, YES. भी सच कहूं तो जादू नहीं बिखेर पाया.
जहां तक जागरूकता की बात है तो महज एक दिन पहले केंद्रीय वित्त मंत्री, जो खुद एक महिला हैं, ने अंतरिम बजट में सरकार द्वारा विशेष रूप से 9 से 14 साल की लड़कियों के लिए सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ टीकाकरण को प्रोत्साहित करने की घोषणा की थी. शायद आप ये सुनना और पढ़ना भूल गईं. देश की सभी बड़े छोटे मीडिया हाउस से लेकर सोशल मीडिया ने भी सरकार के इस कदम की भूरी-भूरी प्रशंसा की.
वित्त मंत्री ने अपनी घोषणा में यह भी बताया था कि सरकार किस तरह 9 से 14 साल की लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर का मुफ्त टीका लगाने की योजना बना रही है. यह पल्स पोलियो के बाद दूसरा सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान होगा, जो सर्वाइकल कैंसर को पूरी तरह खत्म करने की बात करेगा.
महिलाओं में परिवार से अपनी बीमारी छुपाने की आदत, जागरूकता की कमी और महिलाओं की अतिसंवेदनशील आबादी के एक बड़े समूह की उपस्थिति के कारण भारत में सर्वाइकल कैंसर दूसरा सबसे बड़ा कैंसर है, जिससे मौतें हो रही हैं.
हालांकि कई मेडिकल रिसर्च सेंटर सर्वाइकल कैंसर को रोकने के लिए कम कीमत वाले टीके (वैक्सीन) पर काम कर रहे हैं, लेकिन इसमें अभी तक सीरम इंस्टीट्यूट सबसे आगे है, जो सर्वावैक (cervavac) नामक वैक्सीन पर काम कर रहा है. इसकी कीमत 200 से 400 रुपये प्रति डोज होगी, फिलहाल बाजार में मौजूद वैक्सीन की कीमत 5000 तक हैं.
पूनम एक और बात, आप आईं और बहुत ही आसानी से माफी मांगी और कहा कि आपकी मौत की झूठी कहानी के बाद से ही अचानक सर्वाइकल कैंसर पर बात होने लगी है तो आपको बताना चाहती हूं कि डॉक्टरों का बहुत बड़ा समूह आपके इस पब्लिसिटी स्टंट को लेकर नाराज है. आकाश हेल्थकेयर के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. आशीष चौधरी तो आप पर लीगल एक्शन लिए जाने की बात कह रहे हैं. वह कहते हैं, 'हालांकि मैं उन्हें फॉलो नहीं करता हूं, लेकिन जब मैंने उनकी सर्वाइकल कैंसर की मौत की खबर सुनी और फिर अब जब मुझे पता चला कि वह सिर्फ पब्लिसिटी स्टंट है तो मैं डॉक्टर एसोसिएशन से गुजारिश कर रहा हूं कि इस तरह के मजाक के लिए उन पर कानूनी कार्रवाई की जाए. स्वास्थ्य कोई मजाक नहीं है. बीमारी की मार्केटिंग नहीं की जा सकती. हेल्थ की ब्रांडिंग और मैगी की ब्रांडिंग एक बात नहीं है.'
मीडिया, खासकर हेल्थ रिपोर्टर्स और डॉक्टर समय-समय पर इस मुद्दे पर बातें करते रहे हैं और सरकार भी हाथ पर हाथ धर कर नहीं बैठी है, बल्कि हर दिन इसपर काम जारी है. हां, ये जरूर है कि आप या आप जैसे चंद लोग इसके बारे में न जानते हों. क्योंकि अगर हर साल सर्वाइकल कैंसर से महिलाओं की होने वाली मौत का आंकड़ा पेश कर रहे हैं तो ये आपकी मौत की झूठी खबर के बाद झटपट नहीं आ गया है, इसमें सरकार और स्वास्थ्य जगत से जुड़े लोगों की वर्षों की मेहनत है.
आप जब हजारों मौत होने की बात कर रही हैं तो हमारा आपको बता देना जरूरी है कि 9 से 15 साल और उससे बड़ी उम्र की करीब 51 करोड़ लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर का खतरा बना हुआ है. हर साल करीब 1 लाख 23 हजार 907 महिलाएं इस घातक बीमारी का शिकार हो रही हैं, यही नहीं हर साल करीब 77,348 महिलाएं अपनी जान इस घातक बीमारी के कारण गंवा रही हैं. ये सबकुछ अचानक नहीं हो गया है. सरकारी और गैर सरकारी संस्थान और एचपीवी सूचना केंद्र इस बीमारी पर काम कर रहे हैं. गांव-गांव में आशा दीदी साफ-सफाई से लेकर सैनिटरी पैड तक के लिए महिलाओं-बेटियों को जागरूक कर रही हैं.
आपने कहा कि आपने एक कॉज के लिए अपनी मौत की झूठी खबर फैलाई तो आपको बता दूं कि आप न केवल नासमझ हैं बल्कि संवेदनहीन भी.
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