डीएनए हिंदी: (Monsoon Disease Signs And Prevention) भयंकर गर्मी के बाद दिल्ली एनसीआर समेत पहाड़ी इलाकों में बारिश का दौर शुरू हो गया है. माॅनसून आने में कुछ ही समय बाकी रह गया है, लेकिन इस मौसम में बरसात के साथ आने वाली बीमारियों ने दस्त देना शुरू कर दिया है. ऐसे में जरूरी है कि इन 5 बीमारियों का खतरा भांपते हुए पहले ही बचाव शुरू कर दें. इसकी वजह माॅनसून में इन बीमारियों का आना आम हो गया है. यह किसी भी उम्र के लोगों को जकड़ लेती हैं. वहीं कमजोर इम्यूनिटी के लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. ऐसे में इन बीमारियों के चपेट में आने इनके लक्षणों की पहचान कर डाॅक्टर से परामर्श जरूर लें. इसे अनदेखा करना जानलेवा हो सकता है.
एक्सपर्ट्स के अनुसार, बरसात में एक या दो नहीं पांच तरह की बीमारियां लोगों को अपनी चपेट में लेती हैं. इनमें मुख्य रूप से स्किन इंफेक्शन से लेकर, सर्दी जुखाम, खांसी, वायरल, डेंगू हैं. इनमें से किसी के भी लक्षण दिखते ही तुरंत जांच करा लें.
इन 5 बीमारियों का रहता है सबसे ज्यादा खतरा
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स्किन इंफेक्शन का होता है खतरा
स्किन स्पेशलिस्ट बताते हैं बरसात के मौसम में स्किन इंफेक्शन तेजी से फैलता है. इनमें फोड़े फुंसी के साथ ही दाद, फंगल इंफेक्शन, लाल दाने, खुजली की समस्या होना है. ये त्वचा संबंधित बीमारियां एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भी फैल जाती है. ऐसी स्थिति से बचने के लिए इसका इलाज समय रहते करा लें.
डेंगू और मलेरिया
बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा खतरा डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया का होता है. बारिश से होने वाली जलभराव में मच्छरों का लार्वा पनपने लगता है. इसके बाद मच्छर लोगों को काटकर संक्रमण फैलाते हैं. माॅनसून में इन बीमारियों के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती है. लोग डेंगू और मलेरिया के शिकर हो जाते हैं. ये दोनों ही बीमारियां बेहद घातक होती हैं. इसमें प्लेटलेट डाउन हो जाती है. अगर समय पर इलाज नहीं कराया गया तो कई बार लोगों की जान चली जाती है.
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टाइफाइड
माॅनसून के मौसम में टाइफाइड के मरीजों की संख्या अचानक से बढ़ जाती है. टाइफाइड ज्यादातर बच्चों को अपनी चपेट में लेता है. यह बीमारी संक्रमित खाने या पानी की वजह से हो सकती है. इसके शुरुआत लक्षण भी वायरल की तरह होते हैं, लेकिन टाइफाइड शरीर की ताकत को खत्म कर देता है. दो से तीन दिन के बुखार में ही शरीर में कमजोरी भर जाती है. ऐसे में एक या दो दिन के फ्रलू पर ही टाइफाइड की जांच जरूर करा लें. खासकर बच्चों का विशेष ध्यान रखें.
रेस्पिरेटीर इंफेक्शन
एक्सपर्ट्रस के अनुसार, बारिश के मौसम में रेस्पिरेटरी इंफेक्शन का खतरा ज्यादा रहता है. इसकी वजह से ब्रोंकाइटिस और अस्थमा के मरीजों की समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. वहीं इस बीमारी की चपेट में बच्चों के आने का खतरा बहुत ज्यादा रहता है. ऐसे में लगातार खांसी, सांस लेने में तकलीफ या छोटे छोटे कामों में ही सांस चढ़ जाता है तो लापरवाही न करें. जल्द से जल्द से डाॅक्टर से परामर्श लें.
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वायरल इंफेक्शन
गर्मी के बाद अचानक से बारिश और तापमान में गिरावट वायरल इंफेक्शन की बड़ी वजह बनता है. यह इंफेक्शन बैक्टीरिया के चलते होता है. इसी की वजह से लोग फ्रलू और वायरल की चपेट में आते हैं. इस बचने के लिए बारिश में मौसम में खास ध्यान रखें.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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