डीएनए हिंदी: हम सभी ऐसे लोगों को जानते हैं जिनके ब्लड ग्रुप A+, A-, B+, B-, O+, O-, AB+ और AB- होते हैं, लेकिन क्या आपने कभी किसी ऐसे व्यक्ति को देखा है, जिनका ब्लड सुनहरा यानी गोल्डन हो. वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह ऐसा ब्लड ग्रुप है, जो दुनिया के सिर्फ 43 लोगों के पास ही है. इसे गोल्डन ब्लड के नाम से जाना जाता है.
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खास बात तो यह हैं कि इस ग्रुप वाले ब्लड को दूसरे अन्य किसी भी ग्रुप के साथ मैच किया जा सकता है. यह ब्लड ग्रुप उस व्यक्ति में पाया जाता है, जिसका Rh फैक्टर null होता है.
'गोल्डन ब्लड' ग्रुप इतना दुर्लभ क्यों है?
यह ब्लड ग्रुप बेहद दुर्लभ है. इस ब्लड ग्रुप के लोग ब्राजील, अमेरिका, कोलंबिया और जापान में पाए गए है. 'गोल्डन ब्लड' दुनिया में सबसे महंगा ब्लड ग्रुप है. इस ब्लड की खासियत यह है कि इस ग्रुप का रक्त किसी को भी चढ़ाया जा सकता है, लेकिन इस ब्लड ग्रुप के लोगों को ब्लड की जरूरत पूरी करने में परेशानी होती है.
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'गोल्डन ब्लड' का क्या है इतिहास
गोल्डन ब्लड पहली बार साल 1961 में ऑस्ट्रेलिया की एक महिला के शरीर में पाया गया था- इस ब्लड में Rh एंटीजेन्स की कमी होती है. ये एक तरह का प्रोटीन है जो रेड ब्लड सेल्स की सतह पर पाया जाता है. शोध के मुताबिक, दुनिया में इस ब्लड ग्रुप के सक्रिय दाता केवल 9 है.
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Rh Factor क्या होता है?
आरएच रेड ब्लड सेल्स की सतह पर पाया जाता है. आम इंसान में ये आरएच या तो नेगेटिव होता है या तो पॉजिटिव, लेकिन जिस व्यक्ति के बॉडी में गोल्डन ब्लड पाया जाता है, उसकी शरीर का आरएच न तो पॉजिटिव होता है और न ही नेगेटिव होता है. यानी कि इनके शरीर में आरएच फैक्टर नहीं होता है.
इस बात का बना रहता है खतरा
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, ,म्युटेशन के कारण गोल्डन ब्लड एक पीढ़ी से दूसरी में ट्रांसफर होता है. जैसे भाई, भाई-बहन या फिर शादी होने के बाद उनके बच्चों में गोल्डन ब्लड पाए जाने की संभावना होती है. इस ग्रुप के लोगों को हीमोग्लोबिन,पीलापन और थकान रहती है. इतना ही नहीं, गोल्डन ब्लड वाले लोग एनीमिया का शिकार भी हो जाते हैं.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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