डीएनए हिंदी: आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और तनाव व चिंता (Mental Health) के कारण लोगों को कई तरह की मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. इन्हीं में से एक है सिज़ोफ्रेनिया. बता दें कि यह एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसके कारण मरीज अकेले रहने लगता है और पीड़ित (Schizophrenia Symptoms) हमेशा भ्रम की स्थिति में रहता है. इसलिए इस मेंटल प्रॉब्लम का जल्द से जल्द इलाज कराना बहुत ही जरूरी हो जाता है. क्योंकि अगर समय पर इस बीमारी का इलाज न कराया जाए तो स्थिति और भी ज्यादा गंभीर हो सकती है. आज हम आपको इस लेख के माध्यम से बता रहे हैं कि आखिर सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) क्या है, यह कैसे होता है और इसका सही इलाज क्या है. आइए जानते हैं इसके बारे में...
क्या है सिजोफ्रेनिया
दरअसल हमारे दिमाग में डोपामाइन नाम का न्यूरोट्रांसमीटर है, जो दिमाग और शरीर में तालमेल बिठाने में मदद करता है. लेकिन जब किसी वजह से दिमाग में डोपामाइन केमिकल जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है, तब सिजोफ्रेनिया की समस्या होने लगती है. बता दें कि इस बीमारी के होने की दो वजह होती हैं, पहला, जेनेटिक और दूसरा घर और आसपास का माहौल. विज्ञान के मुताबिक़ सिजोफ्रेनिया के न्यूरोलॉजिकल कारण भी होते हैं.
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समय रहते कराएं इलाज
विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO के अनुसार, दुनियाभर में लगभग 20 लाख लोग सिजोफ्रेनिया की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं. बता दें कि अगर व्यवहार में बदलाव होने के बाद ही व्यक्ति को तुरंत डॉक्टर के पास पहुंचाया जाए, तो इससे मरीज की स्थिति को संभाला जा सकता है.
बता दें कि सिजोफ्रेनिया से पीड़ित व्यक्ति के लिए खुद का इलाज करवा पाना बहुत मुश्किल हो जाता है. इसलिए पेशेंट को बीमारी से बाहर निकालने में उनकी मदद करें. ऐसी स्थिति में समय पर दवाइयां देना, डॉक्टर्स के अपॉइंटमेंट को पूरा करना जरूरी है. इसके अलावा उन्हें उन कार्यों में बिजी रखें, जिनसे उन्हें खुशी मिलती है.
क्या है इसका इलाज
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक़ विटामिन बी से युक्त सप्लीमेंट सिजोफ्रेनिया की स्थिति में फायदेमंद माने जाते हैं और विटामिन B6, B8, B12 सप्लीमेंट्स सिजोफ्रेनिया में नजर आने वाले लक्षणों को कंट्रोल करने में मददगार होते हैं.
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इसके अलावा इस बीमारी के इलाज में दवाओं, साइकोलॉजिकल सपोर्ट थेरेपी और काउंसलिंग की मदद भी ली जाती है. इसके लिए सबसे पहले सामने वाले के स्ट्रेस ट्रिगर्स को पहचानें और उसके बाद एक्सरसाइज, मेडिटेशन, ब्रीडिंग एक्सरसाइज, योगा, बैलेंस डाइट, इत्यादि करने करवाएं.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ से परामर्श करें.)
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