डीएनए हिंदीः इस बार 9 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा होगी और इस दिन रात में खीर बनाकर चंद्रमा की चांदनी में रखने की परंपरा केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक भी है. आयुर्वेद में इस खीर को खाना दमा यानी अस्थमा के मरीजों के लिए बहुत कारगर माना गया है. वहीं नेत्र रोगियों के लिए भी चांदनी बहुत लाभाकरी होती है.
शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ धरती पर जो किरणें पहुंचाता है उसमें औषधिय गुण पाए जाते हैं. यही कारण है कि कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात अमृतवर्षा होती है. इस दिन चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है. शरद पूर्णिमा से शीत ऋतु का प्रारंभ होती है और इसमें जठराग्नि तेज हो जाती है और मानव शरीर स्वास्थ्य से परिपूर्ण होता है.
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वैज्ञानिक महत्व और शोध क्या कहते हैं
शरद पूर्णिमा पर औषधियों की स्पंदन क्षमता अधिक होती है. रसाकर्षण के कारण जब अंदर का पदार्थ सांद्र होने लगता है, तब रिक्तिकाओं से विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न होती है. यही कारण है कि इस रात की चांदनी में खीर रखने से उसके औषधिय गुण बढ़ते हैं. यही नहीं इस दिन रात में कम से कम वस्त्र पहनकर चांदनी स्नान करना चाहिए. रात 10 से मध्यरात्रि 12 बजे तक शरीर पर पड़ने वाली चांदनी शरीर को निरोग और अंदर से शक्ति प्रदान करती है.
सोमचक्र, नक्षत्रीय चक्र और आश्विन के त्रिकोण के कारण शरद ऋतु से ऊर्जा का संग्रह होता है और बसंत में निग्रह होता है. खीर रखने को लेकर हुए शोध बताते हैं कि दूध में मौजूद लैक्टिक एसिड और चावल का स्टार्च से चांदनी का रिएक्शन उसे औषधिय गुणों से भरता है. शोध बताते हैं कि अगर इस दिन चांदी के बरतन में खीर रखी जाए और उसी में सेवन किया जाए तो ये रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और इंफेक्शन से भी बचाती है. अमावस्या और पूर्णिमा को चंद्रमा के विशेष प्रभाव से समुद्र में ज्वार-भाटा आता है. जब चन्द्रमा इतने बड़े दिगम्बर समुद्र में उथल-पुथल कर विशेष कम्पायमान कर देता है तो शरीर में मौजूद जलीय अंश है, सप्तधातु पर भी इसका प्रभाव पड़ता है.
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आयुर्वेद का क्या है कहना
आयुर्वेद के अनुसार शीत की शरूआत में एसिडीटी, गैस, सिर दर्द, एलर्जी और इंफेक्शन का खतरा बढ़ता है. ऐसे में चांदनी में रखी खीर रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ ही शरीर को मौसम के हिसाब से अंदर से भी ठंडक प्रदान करता है. बाहर ठंड और शरीर के अंदर गर्मी से तापमान का असुतलन सामान्य होता है.
जब खीर बन जाती है औषधि
- जानकारों के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात दमा रोगियों के लिए वरदान बनकर आती है. इस रात्रि में खीर को चांदनी रात में रखकर प्रातः चार बजे सेवन किया जाता है. रोगी को रात्रि जागरण करना पड़ता है और खीर के सेवन के बाद 2.3 किमी पैदल चलने के लिए कहा जाता है.
- वहीं, नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए दशहरे से शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात्रि में 15 से 20 मिनट तक चंद्रमा को टकटकी लगाकर देखने की सलाह दी जाती है. इस रात सुई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्रज्योति बढ़ती है.
- चंद्रमा की चांदनी गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें.)
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